हरियाणा के प्रमुख पर्व व उत्सव (Major festivals and festivals of Haryana) - IT/ITes-NSQF & GK

हरियाणा के प्रमुख पर्व व उत्सव (Major festivals and festivals of Haryana)

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट।https://raazranga.blogspot.com पर स्वागत हैं, आज हम इस पोस्ट के माध्यम से  "हरियाणा के प्रमुख पर्व व उत्सव (Major festivals and festivals of Haryana) के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे ।


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हरियाणा के प्रमुख पर्व व उत्सव (Major festivals and festivals of Haryana):-

                    मेले एवं उत्सव भारतीय संस्कृति की महत्त्वपूर्ण पहचान है । मेले न केवल पारम्परिक एवं धार्मिक उत्सवों के लिए मनाए जाते हैं, बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक महत्त्व को भी धारण करते हैं । आइए इस ब्लॉग के द्वारा हरियाणा में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व व उत्सवों के बारे में विस्तार से जानते है ।

∆ नवसम्वत्सरोत्सव:-

                                प्राचीन समय से ही राज्य के लोगों द्वारा हिन्दी नववर्ष की शुरुआत के अवसर पर चैत्र महीने के प्रथम दिन यह उत्सव मनाया जाता है। अब इस उत्सव की लोकप्रियता कम हो गई है ।

∆ सीली साते:-

                             यह लोकप्रिय त्योहार है, जो नवसम्वत्सरोत्सव के छह दिन के बाद मनाया जाता है । इस उत्सव में स्त्रियों द्वारा शीतला देवी की पूजा की जाती है । शीतला माता चेचक की देवी मानी जाती है । इसे बासौड़ा भी कहा जाता है । इसमें औरते शाम को गुड़ वाले मीठे चावल बनाती है और सुबह उन्ही से ही उसकी पूजा की जाती हैं ।

∆ निर्जला ग्यास :-

                            इसमें स्त्रियाँ निर्जल व निराहार व्रत रखती हैं । यह त्योहार ज्येष्ठ महीने के दूसरे पखवाड़े में मनाया जाता है । हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है । प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं । ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या ग्यास कहते है इस व्रत मे पानी का पीना वर्जित है इसिलिये इस निर्जला एकादशी कहते है ।

∆ भड़लिया नवमी:-

                               यह त्योहार आषाढ़ महीने के दूसरे पखवाड़े में मनाया जाता है तथा यह वर्षा ऋतु के आरम्भ होने की सूचना देता है । भड़रिया नवमी को विभिन्न बोली, भाषा एवं क्षेत्र के अनुसार भड़रिया नौमी, भड़ल्या नवमी, भढली नवमी, भड़ली नवमी, भादरिया नवमी, भदरिया नवमी, कन्दर्प नवमी एवं बदरिया नवमी नामो से भी जाना जाता है ।

∆ तीजो पर्व:-

                          यह श्रावण महीने का सर्वाधिक  महत्त्वपूर्ण त्योहार है, जो किसानों की प्रसन्नता का सूचक है । इस त्योहार को हरियाली तीज भी कहा जाता है । इस त्योहार में जो विवाहित लड़कियाँ अपने पिता के घर नहीं आ पातीं । उनके पास उपहार भेजा जाता है, जिसे सिन्धारा कहा जाता है।

∆ सलोणी पर्व:-

                        यह त्योहार सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तीज को मनाया जाता है । यह भाई-बहनों का प्राचीन उत्सव है । इस त्योहार में बहनें भाइयों की कलाइयों पर राखी (पौंहची) बाँधती हैं । इसे रक्षा बंधन भी कहा जाता है जो हरियाणा के साथ साथ पूरे देश में भी मनाया जाता है ।

∆ जन्माष्टमी पर्व:-

                             यह त्योहार भाद्रपद महीने की अष्टमी को मनाया जाता है । इसे लौकिक भाषा में जॉंटी कहा जाता है । जन्माष्टमी से अगले दिन गोगापीर की पूजा होती है । जन्माष्टमी हिंदू परंपरा के अनुसार तब मनाई जाती है जब माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद महीने के आठवें दिन की आधी रात को हुआ था । कृष्ण का जन्म अराजकता के क्षेत्र में हुआ था ।

∆ बैसाखी पर्व:-

                        रबी फसलों के पककर तैयार होने की खुशी में मनाया जाने वाला उत्सव है । यह हर वर्ष बैशाख की प्रथम तिथि यानी 13 अप्रैल को मनाया जाता है । यह उत्सव मुख्यतया सिखों द्वारा मनाया जाता है । 

∆ लोहड़ी पर्व:-

                            यह पर्व मुख्यतया सिखों द्वारा मनाया जाता है । इसे सिखों की संक्रान्ति भी कहा जाता है । यह मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है । धार्मिक संस्कार और परंपराओं को बहुत ही भक्ति के साथ मनाया जाता है । सभी स्थानीय लोग अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और मिठाई, फूला हुआ चावल और पॉपकॉर्न को आग की लपटों में फेंक देते हैं । वे गाने गाकर और अभिवादन का आदान-प्रदान करके खुद को महफिल में शामिल करते हैं ।

∆ मकर संक्रान्ति पर्व:-

                              यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर जनवरी महीने की 14 तारीख को पूरे हरियाणा सहित देशभर में मनाया जाता है । इसे ऋतु परिवर्तन और दान का पर्व भी कहा जाता है । इस दिन लोग स्नान इत्यादि करके दान करते हैं ।

∆ दुर्गा अष्टमी उत्सव:-

                              यह उत्सव हरियाणा के सभी जिलों में मनाया जाता है ।

∆ साईं मस्तनाथ का मेला:-

                           इस मेले का आयोजन सोनीपत जिले की तहसील गोहाना के रमड़ा में आयोजित किया जाता है ।

∆ शिव चौदस उत्सव:-

                           अम्बाला के दुराना नामक स्थान पर फाल्गुन महीने में शिवरात्रि के अवसर पर मनाया जाता है । शिव का आनन्द लेने और जागने के लिए, देवताओं ने अलग-अलग नृत्य और संगीत बजाए, जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया । शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया । तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है ।

∆ रामनवमी उत्सव:-

                       यह फरीदाबाद में भण्डोली नामक स्थान पर श्रीराम के जन्मोत्सव पर भव्यता से मनाया जाता है । यह पर्व हरियाणा के साथ साथ पूरे भारत में भी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है । रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है । हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है ।

∆ शिवाजी मन्दिर उत्सव:-

                             जीन्द जिले के भूरायण नामक स्थान पर श्रावण व फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष में इस उत्सव का आयोजन किया जाता है ।

∆ दशहरा उत्सव:-

                                यह उत्सव रोहतक जिले में अत्यन्त हर्षोल्लास से आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है ।

∆ डोला मोहल्ला उत्सव:-

                                    यह उत्सव लाखन माजरा में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को गुरु तेग बहादुर की स्मृति में मनाया जाता है ।

∆ गोगानवमी उत्सव:-

                                  महेन्द्रगढ़ जिले के कनीना, हुडीना एवं नारनौल में भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की नवमी को यह उत्सव मनाया जाता है ।

∆ महावीर जयन्ती उत्सव:-

                              लाड़वा नामक स्थान पर मार्च महीने में महावीर जयन्ती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है ।

∆ सूरजकुंड मेला:-

                          राज्य के इतिहास और परंपराओं का एक आदर्श उदाहरण है । हरियाणा में सूरज कुंड गाँव दिल्ली से 20 किमी की दूरी पर है । यह गाँव 1 और 14 फरवरी के बीच आयोजित होने वाले हस्तकला मेले के लिए प्रसिद्ध है । शिल्पकार, कुम्हार, कशीदाकारी, बुनकर, लकड़ी का काम करने वाले, धातु का काम करने वाले, पत्थर से काम करने वाले और चित्रकार अपने सामान को यहां बेचते हैं । मनोरंजन के लिए लोक नर्तक, संगीतकार और जादूगर होते हैं ।

∆ कुरुक्षेत्र महोत्सव:-

                             कुरुक्षेत्र में उत्सव गीता जयंती के साथ होता है, जो श्रीमद भगवद गीता के जन्म का प्रतिनिधित्व करता है । भागवत गीता में मौलिक सत्य शामिल हैं और जीवन का तरीका घोषित करता है ।

∆ पिंजौर हेरिटेज फेस्टिवल:-

                               पिंजौर हेरिटेज फेस्टिवल हर साल दिसंबर के महीने में ‘पिंजौर गार्डन’ में आयोजित किया जाता है । यह त्योहार अपनी ऐतिहासिक परंपरा के साथ हरियाणा की समृद्ध संस्कृति का समर्थन करने के लिए आयोजित किया जाता है ।

∆ कार्तिक सांस्कृतिक महोत्सव:-

                               वार्षिक कार्तिक सांस्कृतिक महोत्सव नवंबर के महीने में बल्लभगढ़ के नाहर सिंह महल में आयोजित किया जाता है । यह त्योहार हरियाणा पर्यटन, युवा मामले और खेल विभाग, पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति विभाग, सांस्कृतिक कार्य विभाग, भारत सरकार, विकास आयुक्त हथकरघा और हस्तशिल्प, उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का दोहरा प्रयास है ।

∆ होली का त्यौहार:-

                          होली का त्यौहार हरियाणा राज्य में एक बिल्कुल नए रंग को मानता है और इसलिए एक अलग नाम रंगों के त्यौहार से जुड़ा है, जिसे ‘दुलंडी होली’ के नाम से जाना जाता है । यहाँ के उत्सवों में मौज-मस्ती को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया जाता है । लोग एक-दूसरे को रंगों से अभिवादन करते हैं और इस प्रकार सद्भाव की भावना को बढ़ाते हैं जिससे खुशी बनी रहती है ।

∆ दिवाली महोत्सव:-

                         हरियाणा में दिवाली बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है और पूरे राज्य में कार्तिक माह के मध्य में मनाया जाता है । छोटी दिवाली ’सबसे पहले आती है और धार्मिक संस्कार और परंपराओं को पूरी ईमानदारी और भक्ति के साथ मनाया जाता है । चावल और चीनी को बर्तन में ऊपर की तरफ रखी एक पाव के साथ रखा जाता है और ब्राह्मण और लड़कियों को दिया जाता है ।

∆ महाभारत महोत्सव:-

                                 महाभारत महोत्सव प्रत्येक वर्ष हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित किया जाता है । यह कई समारोहों और समारोहों के साथ मनाया जाता है और हरियाणा त्योहारों में से एक है ।

∆ बसंत पंचमी महोत्सव:-

                                  यह त्यौहार हरियाणा में पूरे देश में बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है । इस राज्य में बसंत पंचमी को सर्दियों के मौसम के मृत और क्षय के बाद वसंत के मौसम का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है । लोग इस खुशी के त्योहार को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं और इस त्योहार का मुख्य आकर्षण पतंगबाजी है ।

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