12th-Employability Skills- Unit-2 Self-Management Skills - IT/ITes-NSQF & GK

12th-Employability Skills- Unit-2 Self-Management Skills

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट "https://raazranga.blogspot.com" पर स्वागत हैं, आज में आप सभी को "12th-Employability Skills-Unit-2 Self-Management Skills in hindi" के बारे में जानकारी दूंगा । यह जानकारी NSQF कोर्स के तहत पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए काफी सहायक होगी ।


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12th-Employability Skills- 

Unit-2: Self-Management Skills 

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Introduction (परिचय):-

                       Self-Management जिसे 'self-control' भी कहा जाता है । Self-Management विभिन्न स्थितियों में अपनी भावनाओं, विचारों और व्यवहार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की क्षमता है । इसमें स्वयं को प्रेरित करना और व्यक्तिगत और शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करना शामिल है । Self-Management skills में कुछ चीजों को शामिल किया जा सकता हैं जैसे- समय पर कक्षा में आना, कक्षा में ध्यान देना, शिक्षकों, माता-पिता और बड़ों की आज्ञा का पालन करना, अनुशासन के साथ काम करना आदि शामिल है । यह व्यक्ति को पढ़ाई या काम में बेहतर करने में मदद करता है । दूसरे शब्दों में कहें तो Self Management skills में वे सभी Skills शामिल हैं जो हमें अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं । इसमें हमारे द्वारा चुने गए विकल्प, हमारी प्रतिक्रियाएं और हमारी भावनाओं या विचारों को प्राथमिकता देने और नियंत्रित करने की हमारी क्षमता शामिल है । इस यूनिट में तीन session दिए गए हैं । आइए इनके प्रश्न उत्तर को इस ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं ।

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Session-1:   Motivation and Positive Attitude (प्रेरणा और सकारात्मक दृष्टिकोण)

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                     Motivation (प्रेरणा) और positive thinking (सकारात्मक सोच) हमें भय को दूर करने और नई चुनौतियों को उठाने में मदद कर सकती है । इसी तरह आशावाद जो एक मानसिक दृष्टिकोण है एक विश्वास या आशा को दर्शाता है । Helen Keller के शब्दो में:-  "आशावाद वह विश्वास है जो उपलब्धि की ओर ले जाता है । आशा और विश्वास के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है ।" 

Q.1) Motivation क्या हैं यह कितने प्रकार का हो सकता है?

Ans:- Motivation शब्द 'Motive' से लिया गया है । Motivation एक प्रेरणा है जो हमे किसी काम को करने के लिए प्रेरित करती है । किसी व्यक्ति की Motivation अंदर से (आंतरिक प्रेरणा) या दूसरों या घटनाओं (बाहरी प्रेरणा) से प्रेरित हो सकती है । यह दो प्रकार का हो सकता है:-

1) आंतरिक प्रेरणा (Intrinsic motivation):- इसमें ऐसी गतिविधियाँ शामिल हैं जिनके लिए कोई स्पष्ट reward नहीं है लेकिन उन्हें प्राप्त करने में आनंद और संतुष्टि प्राप्त होती है । आंतरिक प्रेरणा  तब होती है जब लोग आंतरिक रूप से कुछ करने के लिए प्रेरित होते हैं क्योंकि इससे उन्हें खुशी मिलती है या कुछ नया सिखने को मिलता है । सीधे शब्दों में कहे तो हमारे अन्दर से मिली प्रेरणा जो किसी काम को करने के लिए प्रेरित करती है वह आंतरिक प्रेरणा (Intrinsic motivation) कहलाती है ।

2) बाहरी प्रेरणा (Extrinsic motivation):- किसी काम को करने के लिए बाहरी रूप से जो प्रोत्साहन मिलता है वह Extrinsic motivation कहलाता है । । Motivation या प्रोत्साहन की कमी से निराशा हो सकती है । उदाहरण के लिए जो कर्मचारी लंबे समय तक अनुबंध के आधार पर रखे जाते हैं वे निराश हो सकते हैं और एक संगठन छोड़ सकते हैं ।

Q.2) सकारात्मक रवैया (Positive attitude) क्या है?

Ans:- सकारात्मक रवैया या दृष्टिकोण एक दृष्टिकोण है जो कार्य में सफलता की संभावना को भी बढ़ाता है । Positive attitude व्यक्ति को बेहतर निर्णय लेने में मदद कर सकता है । वो लोग जो जीवन स्थितियों और चुनौतियों में सकारात्मक सोच (positive attitude) रखते हैं वे नकारात्मक सोच (Negative attitude) वाले लोगों की तुलना में आगे बढ़ने में सक्षम हैं । नकारात्मक सोच  मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है ।

Q.3) सकारात्मक सोच (Positive attitude) को बनाए रखने के तरीके बताएं?

Ans:- सकारात्मक सोच (Positive attitude) के निर्माण में थोड़ा समय और प्रयास लग सकता है । निम्नलिखित कुछ तरीके हैं जो positive attitude बनाए रखने में मदद कर सकते हैं:-

1) दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करें ।

2) मन को सकारात्मक रखें ।

3) हमेसा प्रेरित करने वाली किताबें पढ़ें, अच्छा संगीत सुनें, प्रेरणादायक फिल्में देखें आदि ।

4) कार्य के प्रति हमेशा सक्रिय रहे ।

5) रचनात्मक और सकारात्मक चीजों पर ध्यान दें । समस्याओं का सामना करें और समाधान की कोशिश करें ।

6) असफलताओं से सीखें ।

7) वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना सीखें ।

8) अपने लक्ष्यों और सपनों की ओर बढ़ें ।

9) हंसमुख रहें और सपनों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें ।

Q.4) स्व प्रेरणा (Self Motivation) क्या है?

Ans:- किसी भी काम को करने के लिए खुद को प्रेरित करना Self Motivation कहलाता है । जैसे:- सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करना, खेलो में अच्छे प्रदर्शन के लिए सुबह शाम अभ्यास करना आदि । Self Motivation:- के दो मुख्य कारक Love और Reward है । Self Motivation जिंदगी में सफल होने के लिए एक जरूरी प्रेरणा है ।

Q.5) वह तकनीक बताएं जो सकारात्मक Positive attitude बनाए रखने में सहायक है? 

Ans:- यहां कुछ तकनीकें दी गई हैं जो आपको लंबे समय में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद कर सकती हैं:-

1) शारीरिक व्यायाम और ताजी हवा (Physical exercise and fresh air):- छात्रों के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन आवश्यक है । योग, ध्यान और गहरी साँस लेने से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और शरीर को आराम मिलता है ।

2) स्वस्थ आहार (Diet):- स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए एक स्वस्थ और संतुलित आहार महत्वपूर्ण है । संतुलित आहार जैसे कि दाल, रोटी, हरी सब्जियां और फल खाने से दैनिक कार्य को कुशलता से करने के लिए आवश्यक ताकत मिलती है ।

3) अकादमिक जीवन को व्यवस्थित करें (Manage academic life):- Classes के नोटसो को व्यवस्थित रखने से, समय पर असाइनमेंट पूरा करने और समय के सही उपयोग से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है ।

4) पर्याप्त नींद कम से कम सात घंटे की अच्छी नींद महत्वपूर्ण है ताकि अगले दिन बेहतर काम करने के लिए मन और शरीर स्वस्थ रहें ।

5) परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियां (Holidays with family and friends):- परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियां बिताएं ताकि आप Relax महसूस कर सकें ।

Q.5) तनाव (Stress) क्या होता है?

Ans:- यह एक मानसिक दबाव की क्रिया है । तनाव, मानसिक या भावनात्मक दबाव का सामना करने में असमर्थ होने की भावना है । हर रोज हम सभी अपनी जिंदगी में तमाम मुश्किलों का सामना करते हैं । कई बार ऐसे हालात आते हैं जिन्हें हम चाहकर भी संभाल नहीं पाते हैं तो कई बार उनसे निपटते हुए हमें भारी तनाव का सामना करना पड़ता है ।

Q.6) तनाव प्रबंधन (Stress Management) क्या है? इसको manage करने के steps लिखो ।

Ans:- आज के युग में तनाव हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है । तनाव हमें किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित भी कर सकता है परंतु अगर तनाव लगातार लम्बे समय तक बना रहे तो वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है । इसलिए Stress management जरूरी है । तनाव की स्थिति में बाहर निकलना ही Stress Management कहलाता है ।

Stress Management के चरण इस प्रकार हैं:-

1) तनाव के प्रति सचेत रहें ।

2) तनाव के कारण का पता लगाएं ।

3) तनाव प्रबंधन विधियो का प्रयोग करके तनाव खत्म करें ।

Q.7) तनाव प्रबंधन (Stress Management) की Techniques के बारे में बताएं? 

Ans:- यहाँ कुछ सरल Stress Management तकनीकें निचे दी गई हैं:-

1) समय प्रबंधन (Time Management):- उचित समय प्रबंधन सबसे प्रभावी तनाव राहत तकनीकों में से एक है ।

2) शारीरिक व्यायाम और खुली और ताजी हवा (Physical exercise and open and fresh air):- हमेशा व्यायाम करें और ताजी हवा में सैर करे ।

3) स्वस्थ आहार (Healthy diet):- स्वस्थ आहार लेने से आपको तनाव कम करने में भी मदद मिलेगी । संतुलित आहार जैसे दाल, रोटी, सब्जियाँ और फल खाने से आपको अपने दैनिक कार्य को कुशलता से करने की शक्ति मिलेगी ।

4) सकारात्मकता (Positivity):- हमेशा अपने विचारों सकारत्मक रखें ।

5) नींद (Sleep):- हमें कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेनी चाहिए ताकि अगले दिन बेहतर काम करने के लिए आपका दिमाग और शरीर स्वस्थ रहें । 

6) परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियां (Holidays with family and friends):-परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियां बिताएं ताकि आप Relax महसूस कर सकें ।

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Session 2: Result Orientation

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Q.1) Result orientation से आपका क्या अभिप्राय है?

Ans:- Result orientation एक शब्द है जिसका अर्थ है कार्य के परिणाम पर ध्यान करना और उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करने से है । कोई भी संगठन हमेशा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है । संगठन में काम कर रहे कर्मचारी को सक्रिय और परिणाम प्रेरित होना चाहिए । निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को हमेशा आवश्यक कदम उठाने चाहिए ।

Q.2) हम Result orientated किस प्रकार बन सकते है?

Ans:- हम Result orientated बनने के लिए निम्नलिखित कार्य कर सकते है:-

1) स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें (Set clear goal):-हमेशा लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। 

2) एक कार्य योजना तैयार करें (Create an action plan):- एक कार्य योजना किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को पूरा करने के तरीके का वर्णन करती है । यह लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का विवरण देता है । इसमें कब, क्या, कैसे करना है ये सब शामिल होता है ।

3) सही संसाधनों और उपकरणों का उपयोग करें (Use the right resources and tools):- किसी परिणाम को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों और उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए ।

4) Mentors और साथियों के साथ communicate करें (Communicate with Mentors and Peers):- यथार्थवादी लक्ष्यों को स्थापित करने में मदद के लिए शिक्षकों, वरिष्ठों और mentors से बात करनी चाहिए ।

5) कैलेंडर बनाएं (Make calender):- नियमित अंतराल पर प्रगति की निगरानी के लिए एक  कैलेंडर बनाना चाहिए ।

6) कड़ी मेहनत करें (Work hard):- व्यक्ति को लक्ष्य प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए ।

Q.3) लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting) का अर्थ समझाएँ?

Ans:- लक्ष्य निर्धारण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम अपने लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं । आपका लक्ष्य किसी भी चीज से संबंधित हो सकता है जैसे धन प्राप्त करना, सरकारी नौकरी प्राप्त करना आदि ।

Q.4) हम SMART Method के द्वारा लक्ष्य कैसे निर्धारित कर सकते हैं? 

Ans:- हम लक्ष्य निर्धारित करने के लिए Smart विधि का उपयोग कर सकते हैं ।

SMART का अर्थ है:- Specific, Measurable, Achievable, Realistic, Time-Bound ।

1) Specific:- आपका लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए । लक्ष्य को सुनने या पढने के बाद उसे लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए ।

2) Measurable:- आपका goal ऐसा होना चाहिए जिसे किसी पैमाने पर मापा जा सके यानि उस goal के साथ कोई संख्या, कोई number जुड़ा होना चाहिए । Goal के साथ जब numbers जुड़ जाते हैं तो आप अपनी progress को measure कर सकते हैं और ये जान सकते हैं की आपने अपना लक्ष्य सही तरह से achieve किया है या नहीं । इसलिए एक अच्छा goal हमेशा measurable होता है । 

3) Achievable:- हमारा goal Specific और Measurable होने के साथ साथ Achievable भी होने चाहिए, जिसके लिए हमे बड़े लक्ष्यों को छोटे भागों में तोड़ना चाहिए जिससे हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके ।

4) Realistic:- आपका goal आपके लिए realistic होना चाहिए । जो लक्ष्य realistic है वो achievable हो सकता है पर जो achievable है वो realistic भी हो ऐसा जरूरी नहीं है ।

5) Time-Bound:- Goals के साथ अगर आप समय सीमा निर्धारित नहीं करेंगे तो आपको उसे achieve करने की urgency नहीं महसूस होगी और आप उसे पूरा करने के लिए सही प्रयत्न नहीं कर पायेंगे । इसीलिए goal decide करते वक़्त ये निश्चय करना कि इसे कब तक achieve करना है ।

Q.5) परिणाम उन्मुख लक्ष्य (Result-oriented goals) के कुछ उदाहरण बताएं?

Ans:- Result oriented goal के उदाहरण इस प्रकार हैं:-

1) एक छात्र एक परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित कर है ।

2) एक एथलीट एक दिन में पांच मील दौड़ सकता है ।

3) एक यात्री तीन घंटे के अन्दर एक गंतव्य शहर तक पहुंचने का प्रयास कर सकता है ।

Q.6) SMART की full form लिखो?

Ana:- SMART की full form इस प्रकार है:-Specific, Measurable, Achievable, Realistic, Time bound.

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Session 3: Self-awareness

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Q.1) आत्म जागरूकता (Self-awareness) क्या है, विस्तारपूर्वक वर्णन करें? Self-awareness की तरफ जाने के steps बताएं?

Ans:- Self-awareness (आत्म जागरूकता) किसी की अपनी जरूरतों, इच्छाओं, आदतों, लक्षणों, व्यवहारों और भावनाओं को समझने के बारे में है । आइए इसे एक कहानी के साथ समझने की कोशिश करते हैं:- "एक साधु धीरे-धीरे सड़क पर चलता है तो वह एक घोड़े को सरपट दौड़ता हुआ सुनता है । वह घूमते हुए एक आदमी को अपनी दिशा में घोड़े की सवारी करता हुआ देखता है । जब आदमी करीब आता है तो साधू पूछता है, "तुम कहाँ जा रहे हो?" जिस पर आदमी जवाब देता है, "मुझे नहीं पता, घोड़े से पूछो" और भाग जाता है । जब हम खुद के बारे में नहीं जानते हैं तो हम एक ऐसी दिशा में जा रहे हैं जिसके बारे में हम स्पष्ट नहीं हैं । इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमें खुद के लक्ष्य के बारे में पता होना चाहिए । जब व्यक्ति self-aware (आत्म-जागरूक) हो जाता है तो व्यक्ति हर चीज के बारे में जागरूक होने लगता है और चीजों या स्थितियों को निष्पक्षता से देखता है । यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि हम अपने आपको और दूसरों कैसे समझते हैं ।

Self-awareness प्राप्त करने की तरफ जाने के steps निम्नलिखित है जो इस प्रकार है:-

1) Self-awareness प्राप्त करने के लिए अपनी भावनाओं के बारे में अधिक जागरूकता होनी चाहिए ।

2) Self-awareness के लिए अपनी भावनाओं को समझना जरूरी है । 

3) अपनी कमजोरी और ताकत को समझें ।

4) प्रेरणादायक कहानी पढ़े और उन्हें जीवन में अपनाने की कोशिश करें ।

Q.3) Personality क्या है और व्यक्तित्व लक्षण बताएं?

Ans:- Personality (व्यक्तित्व) विचारों, भावनाओं और व्यवहारों का एक समूह है जो एक व्यक्ति को दूसरों से unique और different बनाता है । Personality traits (लक्षणों) को विचारों, भावनाओं और व्यवहारों के अपेक्षाकृत स्थायी पैटर्न के रूप में परिभाषित किया गया है जो एक दूसरे से व्यक्तियों को अलग करते हैं । इसलिए व्यक्तित्व विकास, व्यवहार और दृष्टिकोण के एक संगठित पैटर्न का विकास है जो किसी व्यक्ति को विशिष्ट बनाता है । स्वभाव का विकास स्वभाव, चरित्र और पर्यावरण की परस्पर क्रिया से होता है । संस्कृति भी व्यक्तित्वों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । व्यक्ति का व्यक्तित्व दूसरों के साथ संबंधों को भी प्रभावित करता है । एक सकारात्मक व्यक्तित्व दूसरों के साथ बेहतर प्रदर्शन, उत्पादकता और सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ा सकता है ।

Q.4) व्यक्तित्व के five factor model (FFM) के बारें में वर्णन करें? 

Ans:- व्यक्तित्व के पांच तत्व हैं जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का वर्णन करते हैं । इन पांच आयामों को 'Big five factor' भी कहा जाता है और मॉडल को 'five factor model' भी कहा जाता है ।

1) खुलापन (Openness):- अनुभव करने के लिए खुलेपन वाले व्यक्ति, आमतौर पर रचनात्मक, जिज्ञासु, सक्रिय, लचीले और साहसी होते हैं । यदि किसी व्यक्ति को नई चीजें सीखने, नए लोगों से मिलने और दोस्त बनाने में रुचि है और नई जगहों पर जाना पसंद करता है तो व्यक्ति को खुले दिमाग वाला कहा जा सकता है ।

2) Consciousness (चेतना):- व्यक्ति जो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनते हैं । स्वयं अनुशासित होते हैं, अपना काम समय पर करते हैं, दूसरों के सामने खुद की देखभाल करते हैं और दूसरों की भावनाओं की परवाह करते हैं ।

3) Extraversion (बर्हिमुखी):- बर्हिमुखी व्यक्ति वो हैं जो आसपास के लोगों के साथ बातचीत करना पसंद करते हैं और आमतौर पर बातूनी होते हैं । एक व्यक्ति जो आसानी से दोस्त बना सकता है और किसी भी सभा को जीवंत बना सकता है वह आत्मविश्वास और बहिर्मुखी है ।

4) Agreeableness (सहमतता):- ऐसे लक्षण वाले व्यक्ति आमतौर पर दयालु, सहानुभूतिपूर्ण, सहकारी, और विचारशील होते हैं । वे किसी भी स्थिति में खुद को समायोजित करते हैं उदाहरण के लिए जो लोग दूसरों की मदद और देखभाल करते हैं ।

5) Neuroticism (तंत्रिकावाद):- तंत्रिकावाद एक लक्षण है जिसमें व्यक्ति चिंता, आत्म-संदेह, अवसाद, शर्म और अन्य समान नकारात्मक भावनाओं की ओर झुकाव दिखाते हैं । लोग जिन्हें दूसरों से मिलने में कठिनाई होती है और चीजों के बारे में बहुत अधिक चिंता करते हैं । न्यूरोटिकवाद के लक्षण दिखाते हैं । ये लोग मानसिक रूप से कमजोर होते है ।

Q.5) सामान्य व्यक्तित्व विकार (Common personality disorders) क्या है? व्यक्तित्व विकार दूर करने के उपाय लिखो?

Ans:- जब व्यक्ति की सोच और व्यवहार सामान्य नहीं रहता तो वह सामान्य व्यक्तित्व विकार हो सकता है । एक व्यक्तित्व विकार (Personality disorder) सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने का एक तरीका है जो सांसारिक अपेक्षाओं से विचलित करता है और संकट का कारण बनता है और यह लंबी अवधि तक बना रहता है । 

कुछ सामान्य व्यक्तित्व विकार (Some common personality disorders):-

1) Suspicious (संदेहजनक):- इस समूह के अंतर्गत आने वाले लोग हमेशा दूसरों पर अविश्वास करते हैं और संदिग्ध होते हैं ।

I) पारानोइड व्यक्तित्व विकार (Paranoid Personality disorder):- disorder की विशेषता दूसरों के प्रति अविश्वास से है जिसमें दोस्त, परिवार के सदस्य और पार्टनर शामिल हैं । ऐसे disorders (विकार) वाले लोग ज्यादातर दूसरों के खिलाफ शिकायत रखते हैं ।

II) स्किज़ोइड व्यक्तित्व विकार (Schizoid Personality disorder):- 'Schizoid' शब्द बाहरी दुनिया से दूर किसी के आंतरिक जीवन की ओर ध्यान आकर्षित करने की प्राकृतिक प्रवृत्ति कों दर्शाता है । यह व्यक्ति, व्यक्तिगत relation बनाने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाता है और भावनात्मक रूप से cold होता है ।

III) स्किज़ोटाइपल व्यक्तित्व विकार (Schizotypal Personality disorder):- इस प्रकार के व्यक्तित्व विकार वाले लोग मानते हैं कि वे अपने विचारों से अन्य लोगों या घटनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। वे अक्सर व्यवहारों का गलत अर्थ लगाते हैं इससे उन्हें अनुचित भावनात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं।

2) Emotional and impulsive (भावनात्मक और आवेगी):- यह व्यक्तित्व विकार अस्थिर मनोदशाओं और व्यवहारों की विशेषता है जो अस्वस्थ और अस्थिर संबंधों, भावनात्मक अस्थिरता और बेकार की भावना को जन्म देता है उदाहरण के लिए Aman एक हाई स्कूल में छात्र है जब भी उसे कम अंक मिलते हैं तो वह उदास होता है और अपने दोस्तों से लड़ता है। वह गलतियों से सीखने की कोशिश भी नहीं करता है । उनके माता-पिता और शिक्षकों ने उनके साथ बात करने की कोशिश की है लेकिन उसे गुस्सा, बेकार और उन पर चिल्लाहट महसूस होती है ।

I) असामाजिक व्यक्तित्व विकार (antisocial personality disorder):- असामाजिक व्यक्तित्व विकार वाले लोग सामाजिक नियमों और दायित्वों की अवहेलना करते हैं । वे चिड़चिड़े और आक्रामक होते हैं और जबरदस्ती काम करते हैं । वे अपराध की कमी और अनुभव से सीखने में असफल होते हैं । उनमें झूठ बोलने, चोरी करने शराब या ड्रग्स लेने की आदत भी हो सकती हैं ।

II) अस्थिर व्यक्तित्व की परेशानी (Borderline Personality Disorder):- इस disorder वाले लोगों में अनिवार्य रूप से आत्म मूल्य की भावना की कमी होती है और इस प्रकार खालीपन की भावना और परित्याग की आशंकाओं  का अनुभव होता है । भावनात्मक अस्थिरता, हिंसक प्रकोप और आवेगी व्यवहार के हो सकते है । ऐसे व्यक्तित्व विकार वाले लोगों में आत्महत्या के खतरे आम हैं। तनावपूर्ण घटनाओं से निपटने में उन्हें कठिनाई हो सकती है ।

III) हिस्टोरियोनिक व्यक्तित्व विकार (Histrionic Personality Disorder):- इस विकार वाले लोग अक्सर अत्यधिक नाटकीय होने से अधिक ध्यान पाने की कोशिश करते हैं । वे आलोचना या अस्वीकृति के लिए बेहद संवेदनशील हैं और दूसरों को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं ।

IV) आत्ममुग्ध व्यक्तित्व विकार (Narcissistic personality disorder):- नार्सिसिस्टिक व्यक्तित्व विकार वाले लोग मानते हैं कि वे दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं । उनके पास अन्य लोगों के लिए सहानुभूति की कमी होती है और वे अपनी उपलब्धियों को बढ़ाते हैं ।

3) Anxious (चिंतित):- यह Personality disorder (व्यक्तित्व विकार) चिंता या भय की भावनाओं की विशेषता है जो किसी की दैनिक दिनचर्या को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

I) परहेज व्यक्तित्व विकार (Avoidant personality disorder):- इस प्रकार के विकार वाले लोग सामाजिक रूप से अयोग्य, अनुचित या हीन होते हैं और लगातार भयभीत, आलोचना या अस्वीकार किए जाने से डरते हैं । वे दूसरों से मिलने से बचते हैं और अक्सर अपर्याप्तता, हीनता की भावनाओं का अनुभव करते हैं । 

II) आश्रित व्यक्तित्व विकार (Dependent personality disorder):- इस तरह के विकार वाले लोगों में आत्मविश्वास की कमी और अतिरिक्त देखभाल की PubhesCon आवश्यकता होती है । उन्हें रोज़मर्रा के निर्णय लेने में बहुत मदद की ज़रूरत होती है और दूसरों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण जीवन के फैसले आत्मसमर्पण करते हैं । वे अपनी भावनात्मक और शारीरिक जरूरतों के लिए अन्य लोगों पर बहुत अधिक निर्भर हैं और के लोग आमतौर पर अकेले रहने से बचते हैं ।

III) जुनूनी बाध्यकारी व्यक्ति विकार (Obsessive compulsive personality disorder):- इस तरह के विकार वाले लोग नियमों और विनियमों से दृढ़ता से चिपके रहते हैं । यह लोग हमेशा नियमों का पालन करके ही कार्य को पूरा करते हैं ।

व्यक्तित्व विकार दूर करने के उपाय निम्नलिखित है:-

1) व्यक्ति को घर में या मित्रों से बात करनी चाहिए और अपनी भावनाओं को share करना चाहिए ।

2) अपने शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए । स्वस्थ शरीर आपको स्वस्थ दिमाग बनाए रखने में मदद कर सकता है ।

3) कठिन परिस्थितियों को संभालने की अपनी क्षमता पर विश्वास रखना चाहिए ।

4) संगीत, नृत्य और पेंटिंग जैसे शौक में व्यस्त रहें ताकि आप तनावमुक्त रह सके ।

5) समस्याओं के बजाय चुनौतियों जैसे शब्दों को चुनकर सकारात्मक रहने की कोशिश करें ।

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Thanks for read my Blog || राज रंगा

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12th-Employability Skills - Unit-1 Communication Skills


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