Operating System and Function & types of Operating System(ओपरेटिंग सिस्टम और इसके प्रकार और कार्य) - IT/ITes-NSQF & GK

Operating System and Function & types of Operating System(ओपरेटिंग सिस्टम और इसके प्रकार और कार्य)

Operating System (ओपरेटिंग सिस्टम):-

                  एक ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर संसाधनों का प्रबंधन करता है, और कंप्यूटर प्रोग्राम के लिए सामान्य सेवाएं प्रदान करता है । (An operating system (OS) is system software that manages computer hardware, software resources, and provides common services for computer programs.)

Operating System 

                        ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) प्रोग्रामों का वह Set (समूह) होता है जिसमें किसी कंप्यूटर और हार्डवेयर के बीच को-आर्डिनेट (समन्वय स्थापित करने) के लिए सभी आवश्यक संदेश व निर्देश शामिल होते हैं । उदाहरण के लिए, ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) इनपुट डिवाइस (input Devices) जैसे की-बोर्ड, माउस, माइक्रोफोन और पीसी कैमरा से इनपुट प्राप्त करता है और कंप्यूटर पर इसे डिसप्ले करने के लिए आउटपुट से समन्वय स्थापित (को-आर्डिनेट) करता है । Printer को instructions देता है कि कब और कैसे information को प्रिंट करना है । इसके अलावा Disk में स्टोर इंफोर्मेशन और memory के डाटा और निर्देशों के बीच समन्वय स्थापित करता है । कंप्यूटर को कार्य करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरत होती है और यह उच्च स्तरीय फंक्शन के लिए ग्राफिकल यूजर इंटरफेस उपलब्ध कराता है । 

                        Operating System वह सिस्टम सॉफ्टवेयर है, जो हमारे अर्थात् user के और मशीन यानि की Hardware के बीच मध्यस्थ या Mediator का कार्य करता है । Computer जो भी कार्य करता है वे वास्तव में Hardware द्वारा ही सम्पन्न किये जाते हैं, Hardware यानि की Computer की मशीनरी, हमारे द्वारा दिये गये निर्देश वाक्यों अर्थात् Commands को सीधे नहीं समझ सकता, ऐसे में Operating System रूपी System Software, हमारे और Computer के बीच में एक mediator का कार्य करता है । इस प्रकार हम Hard ware या मशीन से जो भी Communication करते हैं, वह Operating System के माध्यम से ही होता है, Operating System के बिना computer से कोई भी काम लेना सम्भव नहीं है । Operating System ही हमारे द्वारा दिये गये Instructions या Commands को Computer से क्रियान्वित या execute करवाता है । Operating System ही computer द्वारा की जा रही Processing को भी control करता है । Computer द्वारा जो output generate किये जाते हैं वे machine language में होते हैं, ऐसे में operating System ही इन्हें Human understandable form यानि हमारे समझने योग्य भाषा में बदल कर हमारे समक्ष display करता है । O.S. केवल हमारे और Computer के बीच Communication को सम्पन्न कराने का साधन ही नहीं है, बल्कि वह तो computer System का overall controller तथा man ager भी है ।कंप्यूटर का मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम । जब कोई कंप्यूटर चालू होता है, तो एक छोटा "Boot Program" ऑपरेटिंग सिस्टम(O/S) को Load करता है। यद्यपि अतिरिक्त सिस्टम मॉड्यूल को आवश्यकतानुसार लोड किया जा सकता है, मुख्य भाग, जिसे "Kernel" के रूप में जाना जाता है, हर समय मेमोरी (RAM) में रहता है । 

आपरेटिंग सिस्टम को हम इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं:-

                         आपरेटिंग सिस्टम ऐसा System Software है जो एक manager की तरह Computer System के सभी अवयवों तथा उनकी सभी activities तथा operations को control तथा manage करता है । आपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य user के कार्य को computer से करवाना है ।Operating जितना दक्ष या efficient तथा user friendly होगा user को computer का use करना उतना ही आसान होगा, इस तरह operating system का एक सिरा जहां Hardware से जुड़ा है वहीं सिरा सीधे user से इसका दूसरा सिरा सीधे जुड़ा है, इस अर्थ में तो O. S. को user और Hardware के बीच का सम्पर्क सूत्र या Connective Link कहा जा सकता है तथापि इसके अलावा भी ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी किये जाते हैं । 

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य (Function of operating system):-

1) Device Management:-

                          आपरेटिंग सिस्टम Computer System में जुड़ी सभी devices manage करता है, ताकि उनसे user के Purpose या उद्देश्य को को Solve कराया जा सके, वही input device से data तथा Instructions ग्रहण करता है, CPU से उन्हें Process कराता है, तथा Results को Output devices पर पंहुचाता है, आपरेटिंग सिस्टम द्वारा इस प्रकार computer System में लगी devices तथा pheripherals को manage तथा control करने का कार्य device management कहलाता है ।

2) Memory Management:-

                       Computer की memory में किस data को किस memory f Location पर Store किया जाये यानि memory Space allocation (आवंटित करना) का महत्वपूर्ण कार्य भी operating System द्वारा ही किया जाता है ।

3) Processor Management:-

                 Computer System मे Processing का कार्य  microprocessor द्वारा ही किया जाता है । User के विभिन्न कार्यो को Processor का attension उपलब्ध कराना operating system का ही कार्य है । आपरेटिंग सिस्टम, Processor को इस प्रकार manage करता है कि उसकी प्रोसेसिंग क्षमताओं का अधिकतम लाभ उठाया जा सके ।

4) Command Interpretation:-

                       इन्टरप्रेटेशन का अर्थ होता है, किसी बात के अर्थ को समझाना या व्याख्या करना, Command Interpreter के रूप में आपरेटिंग सिस्टम हमारे द्वारा दी गयी Command या निर्देश की व्याख्या Computer को करता है, ताकि Computer उस निर्देश या Command का क्रियान्वयन या execution कर सके ।

5) Manager of the System:-

                        जो स्थान किसी Company में एक manager का होता है या किसी office में office incharge का होता है, वही स्थान computer  System में आपरेटिंग सिस्टम का होता है । किसी Job में कौन-कौन सी devices का use होगा उन्हें समय पर Activate करना, उनसे भली-भाँती वह कार्य करवाना आपरेटिंग सिस्टम का ही काम है । यह एक manager की तरह आपरेटिंग सिस्टम, Input unit, Display unit, Printers, Memory, Processor आदि को काम में लगाता है ।

6) System Clock को चलाये रखना:-

                   Computer System की working में date and time का बहुत महत्व है, तभी तो कम्प्यूटर के बंद होने पर भी कम्प्यूटर की System clock चलती रहती है । System clock को maintain करके computer system में date और time की व्यवस्था को स्वचालित रूप से चलाये रखने का कार्य Operating System का ही है ।किसी भी computer प्रणाली में date और time की व्यवस्था भंग नहीं होनी चाहिए । 1999 में इस व्यवस्था के भंग होने की आशंका से ही कोहराम मच गया था जिसे हम y-2k Problem के नाम से जानते हैं ।

7) Application Software को चलाने के लिए Background प्रदान करना:-

                     जिस प्रकार नॉव, नदी में चलती है ठीक इसी प्रकार Application Softwares, Operating System के background में ही चलते हैं । Application Programs को जरूरी Files, data तथा अन्य Application Programs Connectivity, Operating System उपलब्ध कराता है ।

8) File Management:-

                              यह एक ओएस या प्रोग्राम द्वारा फाइलों को व्यवस्थित और ट्रैक करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रणाली है। हालाँकि OS अपनी फ़ाइल प्रबंधन प्रणाली प्रदान करता है। फ़ाइल प्रबंधन में विभिन्न कार्य शामिल हैं:- i) फाइल और डायरेक्टरी दोनों को बनाने और डिलीट करने । (ii) फाइलों तक आसान पहुंच । (iii) फाइलों के लिए जगह आवंटित करें । (iv) फाइलों का बैकअप रखें । (v) सुरक्षित फाइलें । (vi) फाइलों, उसके स्थान, उपयोग, स्थिति आदि का ट्रैक रखता है ।

9) Storage Management:- 

                         यह वह प्रक्रिया है जो किसी संगठन द्वारा अपने डेटा संसाधनों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों और प्रक्रियाओं (Technologies and Processes) का वर्णन करती है । डेटा या फाइलों को कंप्यूटर में इस तरह से स्टोर किया जाएगा कि एक अधिकृत उपयोगकर्ता (Authorised User) आसानी से इसका उपयोग और प्राप्त कर सके । यह एक विस्तृत प्रक्रिया है जिसमें वर्चुअलाइजेशन, प्रतिकृति (replication), सुरक्षा(security), डेटा का संपीड़न(compression of data) यातायात विश्लेषण(traffic analysis) आदि शामिल हैं । भंडारण प्रबंधन डेटा केंद्र के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है । मुख्य मेमोरी (main memory) सभी डेटा और कार्यक्रमों को समायोजित करने के लिए बहुत छोटी है, और जो डेटा उसके पास है वह बिजली जाने पर खो जाता है । इसलिए प्रत्येक कंप्यूटर सिस्टम को मुख्य मेमोरी का बैकअप लेने के लिए द्वितीयक भंडारण (secondary storage) प्रदान करना चाहिए ।

Loading of operating System (Booting):-

                         Operating System एक जटिल System Software होता है, वास्तव में यह कई सारे सिस्टम प्रोग्राम्स तथा फाइलों का समूह होता है । Operating System को बनाने वाले ये Program तथा files disk पर Stored रहते हैं परन्तु हम जानते है कि क्रियान्वित होने के लिए किसी भी Program को RAM या main memory में Load करना आवश्यक होता है, अतः Operating System को भी RAM में Load करना होगा, हम तो जानते ही हैं कि Hardware को कार्य निष्पादन के समस्त निर्देश Operating System ही देता है, परन्तु जब आपरेटिंग सिस्टम ही memory में Load नहीं हुआ है तब भला आपरेटिंग सिस्टम को disk से उठाकर memory में Load करने का निर्देश Hardware को कौन तथा कैसे देगा, यह एक रोचक समस्या है । इस Problem का हल है एक ROM Chip जैसा कि हम जानते हैं कि हम किसी ROM Chip में स्थाई रूप से Programs को Store कर सकते हैं, और ROM में भरे Program को कितनी ही बार execute भी कर सकते हैं । इस बात को ध्यान में रखते हुए, disk से आपरेटिंग सिस्टम को उठाकर memory में Load करने के Program को एक ROM Chip में ही भर दिया जाता है । Computer को Startup करने की प्रक्रिया को Booting कहा जाता है, तो जैसे ही हम computer को ON करते हैं, इस ROM Chip में भरा Program execute होता है, इस Program को follow कर Hardware, disk के Booting Sector से Booting के लिए आवश्यक Program को load कर लेता है । अब यह Booting Program अपने Booting Step को Perform करते हैं । अंत में Operating System को memory में Load कर लिया जाता है । इस दौरान हम user जो भी निर्देश देते है computer उन पर कोई Response नहीं देता, जब आपरेटिंग सिस्टम पूर्णता: memory में Load हो जाता है तो आपरेटिंग सिस्टम समस्त नियंत्रण अपने हाथ में ले लेता है अन्ततः नियंत्रण की इस कमान को Command Promt के रूप में वह user को सौप देता है अब user इस Promt के समक्ष commands को type करके अथवा click करके अपने कार्यों को आपरेटिंग सिस्टम की सहयता से कम्प्यूटर से करा सकता है ।

Types of Operating System (आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार):-

1) Single User Operating System:-

                         ऐसे Computer System जिन पर एक समय में एक ही user कार्य कर सकता है, Single user System कहलाते हैं, और ऐसे Single user computers में use होने वाले operating system जो at a time, एक user को ही computer Resource को operate करने की सुविधा प्रदान करते हैं । Single user operating system कहलाते हैं । Disk operating system यानि की DOS इसका सबसे अच्छा उदाहरण है ।


2) Multi-User Operating System:-

                         ऐसे computer System जिसमें कई सारे User, एक ही समय में अपने-अपने terminals के माध्यम से एक मात्र CPU या main Computer से अपना कार्य कराते हैं- Multi-User systems कहलाते हैं ऐसी स्थिती में Operating System का दायित्व बहुत बढ़ जाता है, Multi-User operating system को ऐसे multi-user Environment को Manage करना होता है । Multi-user operating system प्रायः time sharing के concept का use कर user terminals को बारी-बारी से main computer से connectivity प्रदान कराते हैं । ऐसी स्थिती में आपरेटिंग सिस्टम को Securtity के लिए login, password आदि के security levels स्थापित करने का अतिरिक्त दायित्व भी उठाना होता है । Unix multi-user operating System का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है ।


3) Single Tasking Operating System:-

                         Computer System से हम जो कार्य कराते हैं, उन्हें हम Job या task भी कह देते हैं ।हमारे कार्य या task में Operating System अनिवार्यतः शामिल होता है या कहें कि Operating System ही हमारे task को Computer से Perform कराता है । ऐसे Operating System, जो एक समय में कम्प्यूटर पर एक ही task या Job को allow करते हैं, Single tasking Operating System कहलाते हैं, ऐसी स्थिती में हमें दूसरे काम को शुरू करने के पहले, पहले से चल रहें काम को बंद करना या रोकना होगा । यही Single tasking का सिद्धान्त है ।

Single User Operating System 

4) Multi-Tasking Operating System:-

                      एक समय में Computer System द्वारा कई tasks या कामों को Simultaneously या साथ-साथ Perform करना multi tasking कहलाता है । वे operating system जो इस प्रकार की multi tasking को allow करते हैं, Multi Tasking Operating System कहलाते हैं ।Windows Operataing System, multi-tasking को allow करते हैं । Windows पर काम करते समय कितनी ही बार हम multi-tasking का लाभ लेते हैं, जैसे किसी समय Printer हमारी किसी बड़ी file को print करने में व्यस्त है, उसी समय हम Exel पर अपनी work-sheet में data entry कर रहें होते हैं । इन दोनों कामों के अलावा back ground में CD Player भी चल रहा होता है इस तरह कई सारे tasks या Jobs को साथ-साथ या Simultaneausly, Perform करने की क्षमता ही multi tasking है । Multi-tasking पर आधारित operating system के माध्यम से हम उतने ही समय में कहीं ज्यादा काम कर सकते हैं ।


5) Time Sharing Operating System:-

                          Time sharing की आवश्यकता हमें Multi-user enviroment में ही होती है, जहां कई सारे users अपने-अपने Terminals के माध्यम से एक मात्र CPU का उपयोग कर रहे होते हैं । ऐसी स्थिती में CPU के कुल time को सभी users के बीच share कर दिया जाता है । CPU के time को इस प्रकार विभाजित कर देने को Time Sharing या Time Slicing कहा जाता है, ऐसे में प्रत्येक user के हिस्से में जितना Time आता है उस समय अन्तराल को Time Slice कहते हैं । उतनी ही देर के लिए उस Terminal को CPU का Attension प्राप्त होता है, जिसमें वह अपने Processing Job को CPU से Process करवा सकता है । यदि एक Time Slice में काम पूरा नहीं होता तो CPU, next या अगली बारी में remaining या बचे हुए काम को Time Sharing System में इस तरह हर Terminal को थोड़ी-थोड़ी देर के लिए बारी-बारी से CPU का Attension तथा Connectivity प्राप्त होती है । यह व्यवस्था पूरी तरह Time Sharing पर आधारित operating System द्वारा नियंत्रित होती है । Time Sharing Systems का CPU अत्याधिक fast होता है क्योंकि उसे एक multi-user enviroment के लिए काम करना होता है । ऐसे System की memory या RAM भी अधिक Capacity की होती है क्योंकि किसी user का Job एक बार में पूरा न होने पर उसे उससे Related data तथा मध्यवर्ती results को अगली बार Connectivity मिलने तक सुरक्षित रखना होता है । जितने अधिक terminal होंगे, उतना ही कम time प्रत्येक terminal को मिलेगा, यद्यपि ये system इतने fast होते है कि हम अपनी ज्ञान इन्द्रियों से, connect होने और disconnect होने का अनुभव नहीं कर पाते बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारे घर में लगा 50Hz AC से जलने वाला वल्ब यद्यपि 1 सेकण्ड में 50 बार जलता तथा 50 बार बुझता है, परन्तु हमारी दृष्टि की Limitation के कारण हमें वह सदैव जलता हुआ ही दिखाई देता है ।


6) Distributed Operating System:-

                          वितरित (Distributed) का अर्थ है कि डेटा को कई स्थानों पर संग्रहीत और संसाधित किया जा सकता है । डिस्ट्रीब्यूटेड O/S कई Real-Time Application को परोसने के लिए Multiple Central Processors का इस्तेमाल करता है । डाटा प्रोसेसिंग जॉब को प्रोसेसर के बीच उनकी दक्षता के अनुसार वितरित किया जाता है । प्रोसेसर विभिन्न संचार लाइनों (जैसे हाई-स्पीड बस या टेलीफोन लाइन) के माध्यम से एक दूसरे के साथ communicate करते हैं और संसाधित परिणाम बाद में एक केंद्रीय कंप्यूटर(central computer) पर एक साथ संकलित किए जाते हैं ।


7) Interactive Operating System(GUI Based):-

इंटरएक्टिव (GUI आधारित) ऑपरेटिंग सिस्टम काम करने में आसानी के लिए एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस है । ये ऑपरेटिंग सिस्टम इसलिए अस्तित्व में आए हैं क्योंकि ये ग्राफिकल ओरिएंटेड और अधिक यूजर फ्रेंडली हैं । विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, ग्राफिकल यूजर इंटरफेस सिस्टम हैं । यूजर इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम का वह हिस्सा है जो यूजर को दिखाई देता है और यूजर को समझना होता है । यूजर इंटरफेस दो प्रकार के होते हैं:- 

1) CUI-Character User Interface 

2) GUI:- Graphical User Interface


Commonly Used Operating System:-

1) UNIX

2) Linux 

3) Windows 

4) Solaris 

5) BOSS:- Bharat Operating System Solution 

6) Mac O/S:- Macintos Operating System for Apple Computer system 

Thanks for read my Blog || राज रंगा 


 
 


 

 


 











Computer's Motherboard and Its components/Parts

Computer's Cables and Connectors (कंप्यूटर के केबल और कनेक्टर )


Computer & History of Computer Evolution (कंप्यूटर और कंप्यूटर के विकास का इतिहास)

Files and types of files(फ़ाईल और फ़ाईलो के प्रकार)



Secondary Storage Memory Devices ( दिवितीय स्टोरज मैमोरी डिवाइसज)

Components of Computer Hardware and Software (कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के घटक)


Mobile Operating System and its types (मोबाइल ओपरेटिंग सिस्टम और इसके प्रकार)


No comments

If you have any doubt, please let me know

अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उनके मुख्यालय /International organizations and their headquarters

अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उनके मुख्यालय /International organizations and their headquarters ✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓✓ *जी-15 (G-15 - Group of 15)*...

Powered by Blogger.