Computer Virus and Types of Computer Virus (कंप्यूटर वाईरस और कंप्यूटर वाईरस के प्रकार) - IT/ITes-NSQF & GK

Computer Virus and Types of Computer Virus (कंप्यूटर वाईरस और कंप्यूटर वाईरस के प्रकार)

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट "https://raazranga.blogspot.com" पर स्वागत हैं, आज में आप सभी को Computer Virus and Types of Computer Virus (कंप्यूटर वाईरस और कंप्यूटर वाईरस के प्रकार) के बारे में जानकारी दूंगा ।

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कंप्यूटर वायरस (Computer Virus):-

                      Computer Virus वह प्रोग्राम होते है जो कम्प्यूटर पर Negative effect डालते हैं । ये PC पर Control हासिल करके उनसे असामान्य व विनाशकारी कार्यों को करवाते हैं । Virus स्वयं ही अपने आप को system में copy कर लेते हैं व आगे संक्रमण हेतु अन्य प्रोग्रामों के साथ स्वयं ही जुड़ जाते हैं । विशेष रूप से, कंप्यूटर वायरस (Computer Virus) कुछ बाहरी स्रोत से प्राप्त प्रोग्राम का भाग होता है जो अपने आप कंप्यूटर में आ जाता है । यदि एक बार कोई वायरस आपके कंप्यूटर में आ जाए तो आपकी Files या Operating System, Boot Block,        System Area तथा अन्य Application Programs इत्यादि को हानि पहुँचा सकते हैं । Network के विस्तार के साथ ही Email और Internet के द्वारा कंप्यूटर वायरस (Computer Virus) तेजी से फैल रहे है । इन तकनीकों के द्वारा User, Files और किसी भी Virus को एक-दूसरे में फैला सकते हैं ।


Virus आपके कंप्यूटर पर निम्न तरीकों से Activate होते है:-

1) वायरस वाली फाइल को खोलने से (opening a file with a virus) ।

2) वायरस वाले प्रोग्राम को चलाने से (running virus programs) ।

3) डिस्क ड्राइव में वायरस वाली फ्लॉपी को डालकर कंप्यूटर को बूट करने से (booting the computer by inserting the floppy containing the virus into the disk drive) ।

4) वायरस वाली पेन ड्राइव या CD/DVD को सिस्टम मे चलाने पर (When running a virus-laden pen drive or CD/DVD in the system) ।

5) कंप्यूटर गेम डाउनलोड करने से (download computer games) ।

6) प्राप्त हुई ईमेल के द्वारा (received via email) ।

कुछ सामान्य कंप्यूटर वायरसों के प्रकार निम्नलिखित हैं जो इस प्रकार हैं । आइए इनको विस्तार से जानते है:-

1) Direct Action Virus (डायरेक्ट एक्शन वायरस):- 

                    यह Virus किसी File में होता है और जब उस file का use किया जाता है तब यह Virus स्वयं को Activate कर देता है । यह Virus केवल उन्हीं Files को संक्रमित करता है, जिनके Folder (autoexec.bat) file Path पर वर्णित होते हैं । इसके उदाहरण:- Vienna Virus etc है ।

2) Over Right Virus (ओवर राइट वायरस):-

                         यह संक्रमित फाइलों में रखे हुए Data व Information को Delete कर देता । इसके उदाहरण:- Way Trivial, 88-D etc है ।

3) Boot Sector Virus (बूट सेक्टर वायरस):-

                              इसे मास्टर बूट सेक्टर वायरस (Master Boot Sector Virus) या मास्टर बूट रिकॉर्ड वायरस (Master Boot Record Virus) भी कहा जाता है । यह सामान्यतः कम्प्यूटर के चालू (Boots Up) होने पर फैलता है, क्योंकि यह वायरस हार्ड डिस्क (HDD) या फ्लॉपी डिस्क (FDD) के Master Boot के सेक्टर में होता है । इसके उदाहरण:- Anti exe etc हैं ।

4) फाइल सिस्टम वायरस (File System Virus):-

                       यह किसी भी File के डायरेक्टरी पथ (directory path) को बदलकर Memory प्रबन्धन में गड़बड़ कर देता है । इसे क्लस्टर वायरस (cluster virus) या डायरेक्टरी वायरस (directory Virus) भी कहते हैं । यह किसी भी प्रोग्राम फाइल से अटैच हो जाता है । जब आप इनफेकटेड प्रोग्राम को रन कराते हैं अर्थात चलाते हैं या उस पर काम करते हैं तो वायरस मेमोरी में Load हो जाता है । अधिकांश users फ़ाईल वायरस को कंप्यूटर से किसी प्रोग्राम को डाउनलोड करने में या किसी ईमल के अटैचमेंट को खोलने से अनजाने में प्राप्त करते हैं अर्थात उन्हें पता नहीं होता कि इसमें वायरस है लेकिन वह वायरस कंप्यूटर में चला जाता है । इसके उदाहरण:- Dir-2 Virus, Jerusalem and Cascade इत्यादि है।

5) Macro Virus (मैक्रो वायरस):-

                            ये केवल उन्हीं एप्लीकेशनों (Applications) तथा प्रोग्रामों (Programs) को संक्रमित करता हैं, जिनमें doc, xls, ppt इत्यादि macros होते हैं । यह किसी भी एप्लीकेशन की Macro भाषा का इस्तेमाल करता है जैसे- Word Processing, Spreadsheet इत्यादि । जब आप किसी डॉक्यूमेंट को open करते हैं जिसमें संक्रमित macro है तो वायरस मेमोरी में चला जाता है । माइक्रो वायरस को तैयार करने वाले आमतौर पर इन्हे Templates में छुपाते हैं, इसलिए वायरस उस डॉक्यूमेंट को संक्रमित या प्रभावित कर देता है जो Templates का इस्तेमाल करते हैं । इसके उदाहरण:- Melissa etc है ।

6) Polymorphic Virus (पॉलीमॉर्फिक वायरस):-

                 यह जब भी किसी सिस्टम को संक्रमित करता है तो अपने आपको प्रत्येक बार Encode या Encrypt करता है । इस प्रकार वायरस की ज्यादा-से-ज्यादा copy तैयार हो जाती हैं । इसके उदाहरण:- ElKern, Tuareg etc हैं ।

7) Web Scripting Virus (वेब स्क्रिप्टिंग वायरस):-  

                    कई वेबसाइटों में रोचक सूची या जानकारी को डालने के लिए कठिन Codes का इस्तेमाल होता है यह इन्हीं Codes को संक्रमित करता है । इसके उदाहरण J.S. Fort Night इत्यादि है ।

8) Multipartite Virus (मल्टीपार्टाइट वायरस):-

                         यह वायरस कई तरीकों से फैलता है; जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम Installed करने पर आदि । इसके उदाहरण flip इत्यादि है ।

9) Resident Virus (रेजिडेंट वायरस):- 

                         यह अपने आप को सिस्टम की memory में स्थिर कर लेता है तथा ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) के चलने पर active हो जाता है और खोले जाने वाली सभी Files को प्रभावित करता है । यह RAM में छुपा होता है तथा द्वेषपूर्ण कोड (Malicious Code) के निष्पादन (execution) के बाद भी वही रहता है । इसका उदाहरण Randex, Meve इत्यादि है ।

10) FAT Virus (फैट वायरस):-

                   यह फाइलों की लोकेशन व अप्रयोगित मैमोरी स्थान के बारे में सभी प्रकार की जानकारियों को संग्रहीत करने के लिए प्रयोग होता है । इसके उदाहरण- Link Virus इत्यादि है ।

11) Worms (वॉर्मस):-

                          कम्प्यूटर वॉर्म एक अकेला ऐसा मालवेयर प्रोग्राम है, जोकि दूसरे कम्प्यूटरों में अपने आप फैलाने के लिए कॉपी करता हैं । वॉर्मस को ढूँढ पाना अत्यन्त कठिन हैं, क्योंकि ये अदृश्य फाइलों के रूप में होते हैं। ये कम्प्यूटर नेटवर्क में बैंडविड्थ को नष्ट करके भी क्षति पहुँचाते हैं । उदाहरण- Begle, I love you Morris, Nimda इत्यादि । 

12) Trojans Horse (ट्रॉजन हॉर्स):-

                              यह एक प्रकार का नॉन-शेल्फ रेपलिकेटिंग मालवेयर (Non-self Replicating Malware) है जो कि किसी भी इच्छित (desired) कार्य को पूरा करते हुए नजर आता है पर ये User के कम्प्यूटर सिस्टम पर अनाधिकृत उपयोग (Unauthorized Access) की सुविधा प्रदान करता है । ये कम्प्यूटर वायरस की भाँति अपने आप को दूसरी फाइलों में सम्मिलित करने का प्रयास नहीं करते हैं । ये इंटरनेट पर use होने वाली Applications द्वारा target कम्प्यूटरों तक पहुँच सकते हैं । इसके उदहारण Beast, Sub-7, Zeus, Zero Access Rootkit इत्यादि है ।

13) Spyware (स्पाइवेयर):-

                            यह वह प्रोग्राम होते हैं जो किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम पर installed होते है और user को इसका पता भी नही चलता । यह उस सिस्टम के मालिक की सभी activities की निगरानी तथा गलत तरीके से आगे प्रयोग होने वाली सभी जानकारियों को एकत्रित करता है । इनका प्रयोग हम कानूनी या गैरकानूनी उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं । Spyware व्यक्तिगत सूचनाओं को दूसरे व्यक्ति के कम्प्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से transfer करते रहते हैं । इसके उदाहरण- Cool Web Search, Zango Keyloggers, Zlob Trojan इत्यादि है ।

वायरस आने पर क्या करें? (What to do if virus infects your machine?)

                         मान लीजिए, सभी सुरक्षा संबंधी सावधानियां बरतने के बावजूद आपके कंप्यूटर में वायरस आ जाता है । ऐसी परिस्थतियो में निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं जो इस प्रकार है:-

1) यदि आपके कंप्यूटर में एन्टी-वायरस प्रोग्राम है, तो उसके द्वारा आप अपने पूरे सिस्टम को स्कैन कीजिए ।

2) यदि यह कोई नया वायरस है, तो अपने एन्टी-वायरस (Anti-Virus) सॉफ्टवेयर को अपडेट करके सिस्टम को स्कैन कीजिए ।

3) यदि आपको अपने एन्टी-वायरस सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता / Quality पर संदेह है, तो "http://security.symantec.com" नामक वेबसाइट के जरिये अपना कंप्यूटर स्कैन कीजिए, इस वेबसाइट की मदद से आप मुफ्त में कंप्यूटर स्कैन कर सकते हैं ।

4) यदि आपका वर्तमान एन्टी-वायरस नये वायरसों को खोजने में असमर्थ है, तो उसे हटाकर कंप्यूटर में नया एन्टी-वायरस स्थापित (Install) कीजिए ।

5) यदि वायरस आपके डाटा और सिस्टम को अधिक हानि पहुंचा चुका है, तो डाटा वापस पाने और कंप्यूटर ठीक कराने के लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क कीजिए ।

                            आज इस ब्लॉग के द्वारा हमने जाना की Computer Virus क्या होते है और यह कौन कौन से होते है । आशा हैं कि आप लोगो को यह ब्लॉग पसंद आया होगा  ।

Thanks for read my Blog || राज रंगा 









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