Starting the Computer System (कंप्यूटर सिस्टम को स्टार्ट करना) - IT/ITes-NSQF & GK

Starting the Computer System (कंप्यूटर सिस्टम को स्टार्ट करना)

Starting the Computer System (कंप्यूटर सिस्टम को शुरु करना):-

                Computer को start और restart करने को 'Booting' कहते हैं । जब आप कंप्यूटर बिल्कुल बंद करने के बाद On करते है तो यह 'Cold Boot' कहलाता हैं । Warm Boot वह है, जिसमें पहले से ही Computer में Power On हो और आप restart करें । हर बार जब आप कंप्यूटर Boot करते हैं तो kernel और अन्य हिस्से Operating System की instructions को इस्तेमाल करता है, जो instructions कंप्यूटर की memory RAM में Hard Disk storage से Load या copy को गई होती है । Kernel ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) का core (केंद्रीय हिस्सा) होता है, जो Memory व devices (computer's clock), Applications start को manage करता है और devices programs data और information जैसे computer's resources को निर्धारित करता है । Kernel memory का residents होता है ।


इसका अर्थ है कि जब computer चलता है, तो यह memory में रहता है । ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) के अन्य parts Non-residents हैं । इसका मतलब है कि उनके instructions को जब तक जरूरत नहीं होती है, तब तक वह हार्ड डिस्क (HDD) पर रहते हैं । Windows Operating System इस्तेमाल करते समय PC Cold Booting करने के दौरान क्या-क्या करता है । आईये विस्तार से जानते हैं:-

1) जब हम कंप्यूटर On यानी चालू करते हैं, तो पावर सप्लाई Motherboard और System Unit में स्थित अन्य Devices को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल (electronic signal) भेजता है ।

2) बिजली का आवेश स्वयं को reset करता है और ROM (Read Only Memory) चिप की ओर बढ़ता है । रोम चिप में BIOS होता है । BIOS (basic input output system) फर्मवेयर (Firmware) है, जिसमें कंप्यूटर के starup के instructions होते है ।

3) BIOS यह सुनिश्चित करने लिए Test की पूरी series जांचता है कि कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware) ठीक ढंग से जुडा हुए है और सही ढंग से कार्य कर रहे हैं या नहीं । यह Test सामान्यतौर पर पावर-ऑन सेल्फ टेस्ट (POST) कहलाते हैं, जो सिस्टम क्लॉक (System Clock), एक्सपेंशन कार्ड (Expension Card), रेम चिप्स (RAM Chip), की-बोर्ड और ड्राइव आदि विभिन्न सिस्टम कपनेट को चैक करते हैं। जैसे ही पोस्ट सक्रिय होता है, तो LEDs लाईट डिस्क ड्राइव (HDD) और keyboard सहित devices पर टिमटिमाते है कई Beeps आवाज करती है और Moniter की screen पर कई Message display होते हैं ।

4) POST मदरबोर्ड पर CMOS चिप के data को compare करता है । CMOS चिप में Memory की मात्रा, Disc Drive के प्रकार, Keyboard व  Moniter, Current date and time और अन्य starup information जैसी कंप्यूटर संबंधी कॉफगरेशन इन्फोमेशन (configuration information) स्टोर होती है । ये कंप्यूटर से connected किसी नई डिवाइस को भी ditect करता है । यदि कोई समस्या पायी जाती है, तो समस्या की गंभीरता के आधार पर कंप्यूटर beeps कर सकता है, Error मैसेज show कर सकता है या ऑपरेटिंग रोक सकता है ।

5) यदि POST सफलतापूर्वक पूरा हो जाता है, तो BIOS System file कहलाने वाली ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) फाइल्स को Search करता है । सामान्यत, ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) सबसे पहले फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (FDD) के स्थान Drive-A,B को देखता है । यदि सिस्टम फाइल Drive-A,B में नहीं होती हैं, तो BIOS आमतौर पर पहली हार्ड डिस्क (HDD) के स्थान ड्राइव सी की ओर देखता है । यदि DriveA,B और Drive-C में सिस्टम फाइल नहीं होती हैं, तो कुछ कंप्यूटर CD-ROM या DVD-ROM Drive की ओर देखते हैं ।

6) पहले मेमोरी में Load सिस्टम फाइल Locate और execute होती हैं । इसके आगे, ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) का Kernel उन्हें मेमोरी में load करता है और memory में ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) कंप्यूटर का नियंत्रण (control) करने लगता है ।

7) ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) कंफिगरेशन इन्फोर्मेशन (Configuration informations) को load करता है । Windows की रजिस्ट्री में कई फाइलें होती हैं, जिनमें सिस्टम कंफिगरेशन इन्फोर्मेशन होती हैं । Installed हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर (Hardware & Software) उपकरण और Mouse Speed, Password व अन्य यूजर इन्फोर्मेशन के लिए कंप्यूटर के ऑपरेटिंग के दौरान विंडोज लगातार रजिस्ट्री को access करती रहती है ।

8) जब आपरेटिंग सिस्टम (O/S) पूर्णताः memory में Load हो जाता है तो आपरेटिंग सिस्टम (O/S) समस्त नियंत्रण (Control) अपने हाथ में ले लेता है अन्ततः control की इस कमान को Command Promt के रूप में वह user को सौप देता है, अब user इस Promt के समक्ष commands को type करके अथवा GUI Interface मे click करके अपने कार्यो को आपरेटिंग सिस्टम (O/S) की सहयता से कम्प्यूटर से करा सकता है ।

                             इस ब्लॉग के माध्यम से हमने जाना कि किस प्रकार कंप्यूटर सिस्टम बूट होता हैं । जब कोई भी सिस्टम पुरी तरह से बूट हो जाता है तो उस पर हम कोई भी प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर चला सकते है और अपनी जरुरत के हिसाब से काम को कर सकते हैं । 

Thanks for read my Blog ||राज रंगा


 
 


 

 


 











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