Computer Networking and its Hardware Components (कंप्यूटर नेटवर्किंग और इसके हार्डवेयर संघटक या घटक)
Computer Networking (कंप्यूटर नेटवर्किंग):-
Computer जब पहली बार सामने आया तो यह अपने आप में अकेला उपकरण (devices) था । बाद मे इसके ज्यादा इस्तेमाल ने ऐसे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तैयार करने का रास्ता खोला जिनके जरिए कंप्यूटर एक दूसरे से Communicate (बात-चीत) कर सकें । कंप्यूटर कम्यूनिकेशन (Computer Communication) से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक कंप्यूटर से Data, निर्देश (instructions) या सूचनाएं (informations) दूसरे कंप्यूटरों तक पहुंचती है । आरंभ में केवल बड़े कंप्यूटरों में Communication की क्षमता थी, लेकिन अब तो छोटे से छोटे कंप्यूटर और उपकरण एक- दूसरे से communicate कर सकते हैं ।
Computer Network, कंप्यूटर (Computer) और उपकरणों (Hardware) का ऐसा समूह है जो एक कम्युनिकेशन चैनल (communication channel) से जुड़े रहते हैं । इसके जरिए Users डाटा (Data), जानकारी (Information), हार्डवेयर (Hardware) और सॉफ्टवेयर (Software) को दूसरे Users के साथ शेयर कर सकता है । निजी व संस्थानिक कंप्यूटरों को कई वजहो से एक Network में जोड़ा जाता है । इसमें Data, Information, Hardware और Software को शेयर करने की और कम्युनिकेशन (Communication) स्थापित करने की क्षमता होती है । Computer Networking, दो या दो से अधिक computers और इसके resources को share करने के उदेश्य से computers को आपस मे एक दुसरे से जोडने की techniques को Computer Networking कहा जाता है ।
Needs of Computer Networking (कंप्यूटर नेटवर्किंग की जरूरत):-
1) To share Hardware (हार्डवेयर को शेयर करने के लिए):-
एक Network में शामिल प्रत्येक कंप्यूटर हार्डवेयर (computer hardware) को access करके उसका इस्तेमाल कर सकते हैं । उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एक network में कई सारे computer शामिल हैं और हर computer को Laser printer की जरूरत होती है । ऐसे में नेटवर्क से जुड़े एक ही laser printer का हर कंप्यूटर इस्तेमाल कर सकता है ।
2) To share Data and Information (डाटा और जानकारी को शेयर करने के लिए):-
एक network में शामिल किसी भी computer पर कार्य करते समय कोई भी वैध यूजर (Authentic User) किसी भी दूसरे कंप्यूटर में संग्रहित डाटा (stored data) और सूचनाओं (informations) तक पहुंचकर उनका इस्तेमाल कर सकता है । For Example, कंप्यूटर इंफॉमेशन को डाटाबेस सर्वर (database server) की हार्ड डिस्क (HDD) में Save हो सकता है । Network में शामिल कोई भी User यहां तक कि हैंडहेल्ड कंप्यूटर (Handheld computer) का इस्तेमाल करने वाला मोबाइल यूजर भी इस Database तक पहुंच सकता है और इसका इस्तेमाल कर सकता है । Stored data और Information तक पहुंचकर उनका इस्तेमाल करने की सुविधा कई नेटवकों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण फीचर होता है ।
3) To share software (सॉफ्टवेयर शेयर करने के लिए):-
Software sharing में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर server की हार्ड डिस्क (HDD) में store रहते हैं ताकि नेटवर्क में शामिल एक साथ कई user इन तक पहुंचकर इनका इस्तेमाल कर सकें । जब आप किसी software package का नेटवर्क वर्जन खरीदते हैं, सॉफ्टवेयर वेंडर आपको एक लीगल एग्रीमेंट जारी करता है जिसे साइट लाइसेंस कहते हैं । यह कई यूजरों को एक साथ सॉफ्टवेयर पैकेज का इस्तेमाल करने की आज्ञा देता है । साइट लाइसेंस की फीस आमतौर पर नेटवर्क में शामिल कंप्यूटरों या यूजरों की संख्या के आधार पर तय होती है । प्रत्येक कंप्यूटर के लिए अलग से सॉफ्टवेयर खरीदने की बजाय नेटवर्क के जरिए उनकी sharing का खर्च लगभग न के बराबर आता है ।
4) To Facilitate Communication (सुगम संचार के लिए):-
Network का इस्तेमाल कर लोग प्रभावशाली और आसान ढंग से E-mail, Instant Masseging, chat room, टेलीफोन और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कम्युनिकेट कर सकते हैं । E-mail मैसेज आमतौर पर तुरंत डिलीवर होते है । कभी-कभी यह कम्युनिकेशन एक बिजनेस नेटवर्क में भी काम आता है । नेटवर्क के साइज की एक पूरी रेंज होती है । एक छोटा नेटवर्क दो कंप्यूटरों को आपस में जोड़ता है तो ग्लोबल नेटवर्क जैसे इंटरनेट में दुनिया के लाखों कंप्यूटर आपस में जुड़े होते हैं । नेटवर्क सभी तरह के कंप्यूटरों को आपस में जोड़ता है चाहे वह Handheld कंप्यूटर हो या सुपरकंप्यूटर (supercomputer) ।
Network/Networking Hardware (नेटवर्क/नेटवर्किंग हार्डवेयर):-
Network Hardware (नेटवर्क हार्डवेयर) में वे उपकरण (devices) शामिल होते हैं जो एक नेटवर्क में use होते हैं । सभी नेटवर्कों में कार्य करने के लिए नेटवर्क हार्डवेयर की जरूरत होती है । नेटवर्क या नेटवर्किंग के लिए कई हार्डवेयर इस्तेमाल होते हैं जिनमे निम्नलिखित इस प्रकार हैं:-
1) Computer System (कंप्यूटर सिस्टम):-
Network का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है कंप्यूटरों को आपस में जोड़ना । जब कंप्यूटर आपस मे जुड़े रहते हैं तो जो लोग उनका इस्तेमाल करते हैं वे ज्यादा प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं । कंप्यूटर सिस्टम में पांच मुख्य हार्डवेयर घटक होते है जिनमे Input, Processing, Storage, Output and Communication devices शामिल हैं । नेटवर्क में जुड़ने वाले सभी कंप्यूटर एक जैसे हों यह जरूरी नहीं है । उदाहरण के लिए, एक नेटवर्क में Desktop Computer जैसे IBM Computer और Macintosh Compter, अथवा portable computer जैसे कि Notebook और पर्सनल डिजिटल असिस्टेंड (PDA) शामिल हो सकते हैं ।
2) Network Interface Card (नेटवर्क इंटरफेस कार्ड-NIC):-
एक एक्सपेंशन कार्ड (Expension Card) अथवा अन्य उपकरण जो कंप्यूटर और अन्य उपकरणों जैसे कि Printer को Network Access करने की सुविधा मुहैया कराता है । नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC), कंप्यूटर और फिजिकल मीडिया जैसे कि Cable जिसके माध्यम से डाटा ट्रांसमिशन होता है, इसके बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है । जब कोई नेटवर्क इंटरफेस कार्ड बनता है तो उसे एक unique हार्डवेयर एड्रेस दिया जाता है । जब information भेजी (send) अथवा प्राप्त (recieve) की जाती है तो हार्डवेयर का एड्रेस नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) को पहचानने में मददगार होता है । अलग-अलग तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) के लिए नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) ड्राइवर सॉफ्टवेयर के साथ आता है जिसके द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है । नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) ठीक से कार्य करे इसके लिए जरूरी है कि सही ड्राइवर इंस्टॉल किया जाए । यदि कंप्यूटर ने नेटवर्क इंटरफेस कार्ड जोड़ने के बाद अपने आप ड्राइवर को इंस्टॉल नहीं किया तो आपको ड्राइवर को मैनुअली यानी खुद से इंस्टॉल करना होगा ।
3) Network Connecting Devices (नेटवर्क से जोडने वाले उपकरण):-
यह ऐसे उपकरण है जो दो नेटवर्कों को आपस में जोड़ने के लिए उपयोग होते है । सबसे आम कनेक्टर हैं हब (Hub), ब्रिज (Bridge) और राउटर (Router) ।
4) Server Computer (सर्वर कंप्यूटर):-
ऐसा कंप्यूटर जो अपने से जुड़े हुए कंप्यूटरों को सूचनाएं उपलब्ध कराता है 'Server' कहलाता है । जैसे वेब सर्वर (Web Server), मेल सर्वर (Mail Server) और LAN Server । टिपिकल सर्वर (Typical Server) वह कंप्यूटर सिस्टम (computer system) है जो नेटवर्क में लगातार चलता रहता है और नेटवर्क से जुड़े अन्य कंप्यूटरों द्वारा services मांगने का इंतजार करता है । कई सर्वर इस भूमिका के प्रति समर्पित रहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे servers भी होते हैं जिनका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए भी किया जा सकता है । Server आजकल आम उपयोग में आने वाले कंप्यूटर की तरह ही होते हैं हालांकि यदि वे सर्वर की भूमिका के प्रति समर्पित हैं तो उनका हार्डवेयर संघटन (Hardware Components) इस भूमिका पर खरा उतरने के लिए थोड़ा अलग हो सकता है । हार्डवेयर ज्यादातर वैसे ही होते हैं जो एक Standard Computer में इस्तेमाल होते हैं हालांकि Server के सॉफ्टवेयर डेस्कटॉप कंप्यूटर (Desktop Computer) और Workstation में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयरों की तुलना मे काफी अलग होते हैं । Server हार्डवेयर रिर्सोसेज का मेजबान (Host) होता है । इन्हें वह क्लाइंट कंप्यूटरों (Client computers) को control और share करने के लिए उपलब्ध कराता है । जैसे प्रिंटर (Print server) और फाइल सिस्टम (File Server) । यह शेयरिंग एक्सेस कंट्रोल (Sharing access control) और सिक्योरिटी (security) के हिसाब से काफी अच्छी होती है और हार्डवेयर के डुप्लीकेशन से बचाकर खर्च भी काफी कम कर देती है ।
5) Network Printer (नेटवर्क प्रिंटर):-
ऐसे प्रिंटर जो नेटवर्क से जुड़े
रहते हैं ताकि प्रिंटिंग की लागत कम हो सके । उन्हे नेटवर्क प्रिंटर (Network Printer) कहते है । यदि नेटवर्क प्रिंटर का इस्तेमाल न किया जाए तो हर यूजर को अपने अलग प्रिंटर लगाने की जरूरत होगी । ज्यादातर नेटवर्क प्रिंटर नेटवर्क एडेप्टर (Network Adaptor) का इस्तेमाल कर नेटवर्क से सीधे जुड़े होते हैं । नेटवर्क केबल का Plug नेटवर्क एडेप्टर में लगा होता है जो कि प्रिंटर के पीछे होता है । ज्यादातर नेटवर्क प्रिंटर कई तरह के Networks से जुड़े हो सकते हैं ।
6) Print Server (प्रिंट सर्वर):-
प्रिंट सर्वर (Print Server) होस्ट कंप्यूटर (Host Computer) या उपकरण होता है जो एक या एक से अधिक कंप्यूटरों से जुड़ा होता है । यह अपने Network में जुड़े क्लाइंट कंप्यूटरों से print के लिए job / command लेता है और इसके बाद यह उस डाटा को उसके मुताबिक printer पर भेजकर उसका print निकलवाता है ।
7) Wireless Network Interface Controller (वायरलेस नेटवर्क इंटरफेस कंट्रोलर -WNIC):-
एक नेटवर्क कार्ड (Network Card) है जो रेडियो आधारित (Radio based) कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़ा होता है यह आम नेटवर्क इंटरफेस कार्ड NIC की तरह तार आधारित नेटवर्क से जुड़ा नहीं होता है । WNIC वायरलेस डेस्कटॉप कंप्यूटर के लिए एक आवश्यक उपकरण है । यह कार्ड माइक्रोवेव (Microwave) के माध्यम से Communicate करने के लिए एक एंटीना का इस्तेमाल करता है ।
8) Network Hub (नेटवर्क हब):-
Hub का इस्तेमाल बीच की जगह पर होता है जहां नेटवर्क की सभी केबल मिलती हैं । हब ज्यादातर Modern Network में पाए जाते हैं । पहले केवल स्टार स्ट्रक्चर (star structure) नेटवर्क में इनका इस्तेमाल होता था, लेकिन अब कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए इसका प्रयोग सामान्य हो गया है । कई तरह के नेटवर्क स्ट्रक्चर अब हब का इस्तेमाल कंप्यूटरों को connect करने के प्राइमरी मैथड (Primary Method) के रूप में कर रहे हैं । Hub में सॉकेट यानी पोर्ट होते हैं जहां कंप्यूटर उपकरणों (Computer devices) से आने वाली केबल Pluged होती हैं । Hub में आमतौर पर 4, 8, 16 या 24 Ports होते हैं । सामान्यत हर पोर्ट की इंडीकेटर लाइट (indicator light) होती है जो लाइट एमिटिंग डायोड (LED) कहलाती हैं । जब कंप्यूटर पोर्ट से जुड़ा हो और चालू(ON) हो तो लाइट जलती रहती है । कुछ LEDs उस समय भी संकेत देती हैं जब पोर्ट के माध्यम से सूचना एक से दूसरी जगह shift हो रही होती हैं । दो या अधिक Hub को जोड़ने को डेजी चेनिंग कहा जाता है । एक बड़ी Hub 24 कंप्यूटरों तक से जुड़ी रह सकती है । यदि नेटवर्क में 24 से ज्यादा कंप्यूटर हैं तो दो या अधिक हब का इस्तेमाल करना होगा । Hub में कंप्यूटरों अथवा Hub की चेन को जोड़ना, हटाना या एक से दूसरे स्थान पर फिट करना बहुत आसान है । केबल किसी भी port से आसानी से निकालकर दूसरे पोर्ट में लगाई जा सकती है । इस प्रक्रिया के बीच मे नेटवर्क को बंद करने की भी कोई जरूरत नहीं होती ।
9) Network Switch (नेटवर्क स्विच):-
नेटवर्क स्विच एक नेटवर्क डिवाइस है जो हार्डवेयर की स्पीड तक ट्रांसपेरेंट ब्रिजिंग बनाता है । आम हार्डवेयर में स्विच शामिल होते हैं जो प्रति सेकेंड 10, 100 या 1000 मेगाबिट पर कनेक्ट हो सकते हैं । ये हाफ और फुल डुप्लेक्स (Half & Full Duplex) के रूप में होते हैं । हाफ डुप्लेक्स का अर्थ है कि एक समय में उपकरण (device) डाटा रिसीव कर सकता है या भेज सकता है जबकि फुल डुप्लेक्स में उपकरण (device) एक ही समय में डाटा भेज भी सकता है और रिसीव भी कर सकता है । Switch को Hub के स्थान पर use किया जा सकता है । नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाने के लिए ओवरलोड नेटवर्क (overload Network) में Hub को Switch से रिप्लेस कर देते हैं ।
समान्यतौर पर इस बदलाव के दौरान नेटवर्क के अन्य घटकों जैसे कि cable system को replace करने की जरूरत नहीं होती । Switch यह तय करने में मदद करते हैं कि जो सूचनाएं नेटवर्क के जरिए shift हो रही हैं वे सुरक्षित रहें । Hub नेटवर्क के हर कंप्यूटर को सूचनाएं ट्रांसफर कर देता है जबकि switch में ये सूचनाएं केवल वांछित रिसीवर को ही उपलब्ध होती हैं ।
10) Routing Switch (राउटिंग स्विच):-
कुछ स्विच 'Routing switch' कहलाते हैं । इनमें राउटर जैसी क्षमताएं होती हैं । Routing switch, नेटवर्क के किसी स्थान पर भेजी जाने वाली सूचनाओं को पहचान कर उन्हें रास्ता दिखाते हैं । इसके अलावा Routing switch मे यह क्षमता भी होती है कि सूचनाओं को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का सबसे सही रास्ता खोजकर उसी रास्ते में सूचनाएं भेजें ।
11) Repeater (रिपीटर):-
यह एक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण होता हैं जो slow या निम्न स्तर के signal को रिसीव कर उन्हें high level अथवा उच्च शक्ति का बनाकर भेजते हैं ताकि signal लंबी दूरी को बिना किसी बाधा के तय कर सके । ये LANs (Local Area Network) में segments को आपस मे जोडने या इंटरकनेक्ट करने के लिए इस्तेमाल होते हैं और WAN (Wide Area Network) ट्रांसमिशन को बढ़ा देते हैं । Cable में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते-जाते signal कमजोर पड़ जाते हैं । इसे सामान्यतः 'एटेन्यूएशन' कहा जाता है । Repeater उन समस्याओं से बचाते हैं जो signal के कमजोर पड़ने से पैदा होती हैं । इसका इस्तेमाल नेटवर्क में कंप्यूटर उपकरणों (computer Devices) को एक-दूसरे से जोड़ने वाली कंबल की लंबाई बढ़ाने के लिए किया जाता है । यह उस समय बहुत ही उपयोगी साबित होते हैं जहां कंप्यूटरों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए काफी लंबी cable की जरूरत होती है जैसे एक बडी Building के नेटवर्क को जोडने मे ।
12) Bridge (ब्रिज):-
एक ऐसा उपकरण (device) जो दो नेटवर्कों को एक बड़े Logical Network के रूप में जोड़ देता है ताकि उनके बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान (exchange) हो सके ।
यह छोटे Networks को आपस में जोड़ने के लिए काम आते हैं ताकि वे सभी नेटवर्क संयुक्त रूप से एक बड़े Network के रूप में कार्य कर सकें । यह एक व्यस्त नेटवर्क (Busy Network) को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने में भी काफी मददगार साबित होता है । व्यस्त नेटवर्क (Busy Network) को बांटने की जरूरत तब होती है जब नेटवर्क के traffic को कम करना हो । एक ब्रिज नेटवर्क के इस हिस्से को बाकी के हिस्सो से अलग रख सकता है ।
13) Network Router (नेटवर्क राऊटर):-
यह वह कंप्यूटर Network Device है जो Network में कहीं से भी data को कहीं भी भेज सकता है । उसकी इस पूरी प्रक्रिया को राउटिंग (Routing) कहते हैं । यह दो या दो से अधिक नेटवर्कों (Networks) के बीच एक junction की तरह कार्य करता है ताकि उनके बीच data packet इधर से उधर हो सकें । यह Switch का ही एक अलग रूप है । Switch उपकरणों (devices) को जोड़ते हैं ताकि एक लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) बन सके ।
Router और Switch के विभिन्न कार्यों को समझने का सबसे आसान तरीका है कि स्विच को सड़कें मान लें और राउटर को सड़क के चिह्नों से बने हिस्से मान ले । एक बड़े नेटवर्क में एक से ज्यादा रूट हो सकते हैं जिनके जरिए Information अपनी मंजिल तक पहुंच सकें । कुछ Router ऐसे भी होते हैं जो अपने आप पता लगा लेते हैं कि नेटवर्क के किसी हिस्से में कुछ error है या वह काफी slow है । ऐसे में Router कोशिश करता है कि सूचना को समस्या वाले एरिया से न भेजकर किसी दूसरे रास्ते से उसकी मंजिल तक भेजा जाए ताकि नेटवर्क में error का कम से कम असर हो । Router को बुद्धिमान भी कहा जाता है क्योंकि वे अन्दाजा लगा लेते हैं कि किसी सूचना को उसकी मंजिल तक पहुंचाने का सबसे अच्छा रास्ता कौन-सा होगा । Router लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) को वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) से जोड़ने में काफी मददगार होते हैं । यह वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) को Segments में बांटने में भी helpfull होता हैं । इससे नेटवर्क में जाने वाली सूचनाओं की मात्रा घटने में help मिलती है और WAN की दक्षता बनी रहती है । Router दो प्रकार के होते हैं:-
(1) Static Router
(2) Dynamic Router
14) Network Connector (नेटवर्क कनेक्टर):-
इन्हें आमतौर पर Input-Output Connectors कहते हैं । यह ऐसे Interface होते हैं जो Cable की मदद से Devices को जोड़ने के लिए प्रयोग किए जाते हैं । यह आमतौर पर Male End होता है जिनसे pin बाहर निकले होते हैं । इस plug को female Port/socket में डालना होता है, जिसमें पहले से pin के enter करने लायक छेद बने होते हैं । RJ-45 एक प्रकार का कनेक्टर है जो सामन्यतय: ईथरनेट नेटवर्किंग (Ethernet Networking) के लिए प्रयोग किया जाता है । इसका प्रयोग Ethernet पर आधारित लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) में कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए किया जाता है । यह एक फिजिकल नेटवर्क कनेक्टर है । ये टेलीफोन jack के समान ही है परन्तु ये उससे थोडा चौडा होता है । इसके आतिरिक्त और भी बहुत से प्रकार के connector प्रयोग किए जाते हैं जैसे:- BNC Connector, Coax Connector, TNC Connector, SMA,SMB,RCA, Mini BNC Connectors etc ।
15) Cables (केबल्स):-
तारों का समूह अथवा Glass Wire अथवा फलैक्सिबल मेटल केबल, यह सभी केबल इलैक्ट्रॉनिक्स में प्रयोग की जाती हैं और प्लास्टिक अथवा रबर से घिरी होती हैं । इनके द्वारा कंप्यूटरों को आपस मे जोडा जाता है । Cable के दो मुख्य प्रकार STP (Shielded Twisted Pair) और UTP (Unshielded Twisted Pair) हैं ।
16) Resource (रिसोर्स):-
कंप्यूटर सिस्टम (Computer System) अथवा Network का कोई भी पार्ट जैसे डिस्क ड्राइव (HDD), Printer अथवा Memory जो किसी भी प्रोग्राम को या उस प्रक्रिया को जो चल रही है, को Share कर सकते हैं ।
उम्मीद है कि आप लोगो को यह ब्लॉग पसन्द आया होगा । इस ब्लॉग मे हमने जाना Networking क्या होती है? और उसके लिए कौन कौन से hardware Components प्रयोग किए जाते है ।
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Components of Computer Hardware and Software (कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के घटक)
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