New 7 Wonders of the World in Hindi (दुनिया के सात अजूबे हिंदी में ।) - IT/ITes-NSQF & GK

New 7 Wonders of the World in Hindi (दुनिया के सात अजूबे हिंदी में ।)

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट "https://raazranga.blogspot.com" पर स्वागत हैं, आज हम इस पोस्ट के माध्यम से "Seven Wonders of the World in Hindi (दुनिया के सात अजूबे हिंदी में)" के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

                             आज हम इस पोस्ट के माध्यम से "दुनिया के सात अजूबे हिंदी में (Seven Wonders of the World in Hindi)" के बारे में जानेंगे, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और लोग उन जगहों पर जाकर उन्हें देखना पसंद करते है । उनके सामने खड़े होकर तस्वीरें खिचवाते है । आईए इस पोस्ट इनको विस्तार से जानते है ।

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Seven Wonders of the World in Hindi (दुनिया के सात अजूबे हिंदी में ।):-

                           दुनिया के अजूबे ऐसे प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचनाओं का संकलन है, जो अपनी अनोखी कला, संरचना, खूबसूरती से मनुष्य को आश्चर्यचकित यानी हैरान करती हैं । प्राचीन काल से वर्त्तमान काल तक दुनिया के अजूबों की ऐसी कई विभिन्न सूचियाँ तैयार की गई हैं । लगभग 2,200 साल पहले यूनान के विद्वानो ने दुनिया की सात अजूबो की सूची तैयार की थी और यहीं सात अजूबे लगभग 2100 सालो तक दुनिया मे प्रचलित रहे । लेकिन 1999 मे इसमें संशोधित की बात चली क्योंकि पुरानी इमारतो मे अधिकांश टूट-फुट हो चुकी थी । 21वी सदी शुरू होने से पहले सात अजूबे को नए तरीके से सबके सामने लाने की बात शुरू हुई । इसलिए इंटरनेट से प्रतियोगिता के लिए एक सूची तैयार की गयी, और 2005 से मतदान शुरू हुआ जिसमे दुनिया भर के लोग शामिल हुए ।



इसके लिए स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिक में न्यू सेवन वंडर फाउंडेशन बनाया गया था । इन्होने कैनेडा में एक साईट बनवाई, जिसमें विश्व भर की 200 कलाकृति के बारे में जानकारी थी, और एक पोल शुरू हुआ, जिसमें इन 200 एंट्री में से सात एंट्री को चुनना था । न्यू सेवन वंडर फाउंडेशन (New seven wonder foundation) के अनुसार इस परियोजना में लगभग 100 मिलियन लोगों ने नेट एवं फोन के द्वारा अपना वोट दिया था । इन्टरनेट के द्वारा एक इन्सान एक ही बार सात अजूबे चुन कर वोट कर सकता था, लेकिन फ़ोन के द्वारा एक इन्सान कई वोट दे सकता था । वोटिंग 2007 तक चली थी, जिसका रिजल्ट 7 जुलाई 2007 (07/07/07) को लिस्बन में सबसे सामने आया । आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम दुनिया के सात अजूबों को विस्तार से जानते है । जो इस प्रकार है:-

1) भारत का ताज महल (India's Taj Mahal):-

                    भारत की शान आगरा (उत्तर प्रदेश) में स्थित ताजमहल भी दुनिया के सात अजूबों में से एक है जो सात अजूबों में पहले नंबर पर आता है । अपनी खूबसूरत कलाकारी और आकृति की वजह से इसे अजूबा बोला गया था । ताजमहल का निर्माण 1632 में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था । यह एक प्यार की निशानी है, जिसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद बनवाया था । दुनिया के सबसे खूबसूरत इमारतों में शामिल आगरा के ताजमहल की खूबसूरती में मकराना (राजस्थान) के मार्बल का बड़ा योगदान है । पूरा का पूरा ताजमहल मकराना के मार्बल से बना है । इसको बनानेवाले यानी मुख्य वास्तुकार उस्ताद या मास्टर को अहमद लाहोरी के रूप में जाना जाता है । यह सफ़ेद संगमरमर का बना एक मकबरा है जो पूरी तरह से सफ़ेद है, जिसके चारों ओर बगीचा है एवं सामने पानी की बारी है । ताजमहल भारत के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे पर स्थित है । इस जैसी सुंदर कलाकृति दुनिया में और कही देखने को नहीं मिलती । शाहजहाँ ने जब इसे बनवाया था, तब इसमें लगभग 20 साल का समय लगा था । इसे बनाने के बाद राजा ने निर्माण से जुड़े सभी मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे ताकि वह ऐसी अदभुत कलाकृति दोबारा ना बना सके । भारत में मुगलों ने लम्बे समय तक शासन किया था । इस दौरान उन्होंने बहुत सी शिल्पकारी की और कलाकृतिया बनवाई थी जो आज तक भी भारत में मौजूद है ।


ताजमहल की सुन्दरता को देखने के लिए, देश-विदेश से लोग आते है । इसको भी जुलाई 2007 में विश्व के नए सात अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया है । यह अपने आप में एक बहुत ही अद्भुत कलाकृति है जो वास्तव में भारत के लिए एक गर्व की बात है की इसको सात अजूबों में पहला स्थान मिला है । 

2) जॉर्डन का पेट्रा (Petra of Jorden):- 

                            साउथ जॉर्डन में बसे पेट्रा शहर की कलाकृति सात अजूबों में शामिल है । यह एक इतिहासिक और पुरातात्विक शहर है । इस शहर में चट्टानों को काटकर वास्तुकला का निर्माण हुआ है । साथ ही यहाँ पानी की नालीनुमा प्रणाली है । यही वजह है ये शहर बहुत फेमस है । इस शहर को रोज सिटी भी कहा जाता है, क्यूंकि यहाँ पत्थर काटकर कलाकृति बनाई गई है, वह सब लाल रंग की है । यह जॉर्डन का मुख्य आकर्षण है, जहाँ हर साल बहुत से पर्यटक जाते है । यहाँ ऊँचे ऊँचे मंदिर है जो आकर्षण का केंद्र है । इसके अलावा तालाब, नहरें भी है, जो बहुत सुन्योजित तरीके से बनाई गई है । इसको देखने के लिए भी लोग बहुत यहाँ आते है ।आपको बता दें कि पेट्रा विश्व के नए सात अजूबों में से एक के रूप में भी जाना जाता है और इसके साथ ही यह जॉर्डन का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है ।


पेट्रा एक बहुत ही खास ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है, जिसको यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थलों की सूचि में शामिल किया गया है । पेट्रा को दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है । इस शहर जैसा कोई नहीं है और इसकी प्रशंसा पूरे इतिहास में की जाती है । यह मुख्य रूप से नाबतीयन नामक प्राचीन लोगों द्वारा बसाई गई बस्ती थी । पेट्रा 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से पहले नाबातियन शासन की राजधानी था जिसके बाद 106 ईस्वी में यह रोमन साम्राज्य के अधीन आ गया था । पेट्रा को 7 वीं शताब्दी के अंत में छोड़ दिया गया था और 11 वीं शताब्दी के अंत तक इसके कई महल नष्ट हो गए थे । यह तब एक “लॉस्ट सिटी” बना हुआ था जब तक कि 1812 में एक स्विस खोजकर्ता ने खोज नहीं लिया था । बता दें कि छटी शताब्दी में मुसलमानों ने पेट्रा पर जीत हासिल कर ली थी लेकिन यह अधिक समय तक मुसलमानों का अधीन नहीं रह पाया । बाद में 1189 ईस्वी के दौरान मुस्लिम शासक सुलतान सलादिन के जीतने के बाद इसाइयो ने पेट्रा को छोड़ दिया था । पेट्रा की पहली वास्तविक खुदाई 1929 ईस्वी में की गई थी और जुलाई 2007 में पेट्रा को विश्व के नए 7 अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया है ।

3) रोम (इटली) का कोलोजियम (Rom's Colosseum):-

                        कोलोसियम को 2000 साल पहले बनाया गया था । उसे फ्लेवियन राजवंश के रोमन सम्राट वेस्पासियन ने बनाया था । यह उनसे रोमन लोगों के लिए एक उपहार था । वह फ्लेवियन एम्फीथिएटर के रूप में जाना जाता था । उसका प्रयोग कई निष्पादन, विदेशी पशु व्यापार, तथा  लड़ाई के लिए करते थे और लड़ाई के खेल के मनोरंजन के लिए जनता के लिए खुला स्थान था । कालीज़ीयम उन सभी भाग्यशाली और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का प्रतीक है । उसकी लंबाई 188 मीटर, चौड़ाई 156 मीटर और ऊंचाई 52 मीटर है । यह दो चरणों के आधार पर खड़ा है । उसके ऊपर मेहराबों की तीन मंजिलें हैं और चौथी मंजिला आयताकार खिड़कियों के साथ है । उसकी शुरुआत में प्रत्येक मंजिल पर 80 रोमन-संख्या वाले मेहराब थे जो आधे स्तंभ स्तंभ से विभाजित है । दुर्भाग्य से 1349 में आए भूकंप के कारण पूरा दक्षिण हिस्सा ढह गया था । उत्तर की ओर पायलटों और मेहराबों की मूल परतें बच गईं जो बाहरी दीवार के रूप में है ।


अडाकार में बने कोलोसियम में लगभग 50000 पर्यटक समा सकते है जो किसी भी संरचना के लिए बहुत बड़ी बात है । इस स्टेडियम में सिर्फ मनोरंजन के लिए योद्धाओं के खुनी युद्ध होते थे । उसके अलावा योद्धाओं की जानवरों के साथ लड़ाई होती थी । कोलोसियम में अंदाजन 10 लाख मनुष्य और 5 लाख पशु मारे गए है । पौराणिक एमकथाओं से संबंधित कई नाटक भी यहां आयोजित होते थे । कोलोसियम में साल में 2 भव्य समारोहो का  आयोजन होता था । मध्यकाल में यह संरचना,. सार्वजानिक कार्य के लिए बंद किया था । उसके बाद वह रहने, धार्मिक कामों, किले, और तीर्थ स्थल के लिए उपयोग किया गया था । वर्तमान में संरचना भूकंप और पत्थर चोरी के के कारण खंडहर बन चुकी है । मगर आज भी खंडहर को पर्यटकों के लिए सबसे अच्छी जगह माना जाता है । आज भी कोलोसियम रोमन साम्राज्य के वैभव को उजागर करता है । कोलोसियम रोम में पर्यटकों द्वारा ज्यादा पसंद की जाने वाली जगहों में से एक है । कोलोसियम को यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थलों की सूचि में शामिल किया है । हर गुड फ्राइडे (शुक्रवार) को पोप यहाँ मशाल जलाकर जुलूस निकालते हैं । इसको जुलाई 2007 में विश्व के नए सात अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया है ।

4) चिचेन इट्ज़ा के पिरामिड (Chichen Itaza's pyramid):- 

                        चिचेन इट्ज़ा कैनकन के पश्चिम में 200 किलोमीटर की दूरी पर युकाटन राज्य में स्थित है और यह मेक्सिको के सबसे संरक्षित पुरातात्विक स्थलों में से एक है । इट्ज़ा जातीय-वंश समुदाय का नाम है जिसने स्पेनिश विजय से पहले मैक्सिको के उत्तरी प्रायद्वीप पर शासन किया था । चीचेन इट्ज़ा का अर्थ होता है "कुएं के मुहाने पर" । यहा ची शब्द  का अर्थ है मुख या मुहाना और चेन शब्द का अर्थ होता है कुआं । इट्ज़ा एक जातीय-वंश समूह का नाम है जिसने उत्तर प्रायद्वीप पर राजनीतिक और आर्थिक प्रभुत्व प्राप्त किया था । ऐसा माना जाता है कि यह नाम माया के इट्जा से लिया गया है, जिसका अर्थ है जादू और पानी है । स्पेनिश में itzá का अर्थ होता है "जल की चुड़ैलें" लेकिन इसका एक और अधिक सही अनुवाद है जल के जादूगर । चिचेन इत्ज़ा दुनिया के अजूबो में  से एक है । यह अमेरिका के मैक्सिको में स्थित है ।


मेक्सिको में बसी चिचेन इत्जा नाम की यह इमारत दुनिया का परिचय माया सभ्यता के उन्नत वास्तुशिल्प का ज्ञान कराती हैं । यह स्थान माया सभ्यता का प्रमुख केन्द्र माना जाता है । चिचेन इत्ज़ा मैक्सिको में बसा बहुत पुराना मयान मंदिर है । इसका निर्माण AD 600 में हुआ था । चिचेन इत्ज़ा माया का सबसे बड़ा शहर है, यहाँ की जनसँख्या भी अधिक है । मैक्सिको में चिचेन इत्ज़ा सबसे पुराने पुरातात्विक स्थलों में से एक है, जहाँ हर साल 1.4 मिलियन पर्यटक घुमने आते है । चिचेन इत्ज़ा का माया मंदिर पांच किलोमीटर में फैला हुआ है । यह 79 फीट ऊँचा है जो पत्थरों से पिरामिड की आकृति का बना है । इस मंदिर में उपर जाने के लिए चारों दिशाओं से सीढियां बनी है, कुल 365 सीढियां है । हर दिशा में 91 सीढियां है । कहते है, हर एक सीढ़ी एक दिन का प्रतिक है । उपर 365 दिन के लिए एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है । इसके अलावा इस जगह पर पिरामिड ऑफ़ कुकुल्कन, चक मूल का मंदिर, हज़ार स्तंभों के हॉल एवं कैदियों के खेल का मैदान है । यह सबसे बड़े मांयान मंदिरों में से एक है । इसको भी जुलाई 2007 में विश्व के नए सात अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया है ।

5) पेरू का माचू पिचू (Peru's Machu Picchu):-

                        दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू पिच्चु (Machu Picchu) एक ऊँची चोटी पर स्थित शहर हुआ करता था जो समुद्र तल से 2430 मीटर उपर है । माचू पिच्चु में 15 वीं शताब्दी के समय इंका सभ्यता रहा करती है । इतनी ऊंचाई में शहर कैसे बसा, ये सोचने वाली बात है और यही इसे दुनिया का एक अजूबा बना देता है ।


पुरातत्वविदों का मानना है कि माचू पिच्चु का निर्माण राजा पचाकुती ने 1400 के आस पास करवाया था । यहाँ उनके शासक रहा करते थे, उस समय वहां इंका जाती रहती थी । इसके 100 साल बाद इस पर स्पेन ने जीत लिया और इसे ऐसे ही छोड़ कर चले गए । इसके बाद इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था, जिससे यहाँ रहने वाली सभ्यता भी नष्ट हो गई । यह जगह भी इसी के साथ घूम हो गई, लेकिन 1911 में अमेरिका के इतिहासकार हीरम बिंघम ने इसकी खोज की और इसे दुनिया के सामने लाया । 1983 में यूनेस्को (UNESCO) ने इसे विश्व की धरोहर घोषित कर दिया । यहाँ इंका सभ्यता की कलाकृति को आज भी देखा जा सकता है । बहुत सी ऐसी चीजें अभी भी वहा मौजूद है, जो उनके द्वारा बनाई गई थी । माचू पिच्चु पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है, इसे देखने कई लोग जाते है । इसको भी जुलाई 2007 में विश्व के नए सात अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया है ।

6) चीन की विशाल दीवार (Great Wall of China):-

                            चीन की इस विशाल दीवार को दुनिया में सब जानते है । इस दीवार को वहा के शासको ने अपने अपने राज्य की रक्षा के लिए बनवाई थी, जिसे धीरे धीरे जोड़ दिया गया, जो अब एक किलेनुमा आकृति की हो गई है । इसका निर्माण 7वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक हुआ था । यह महान कलाकृति इतनी मजबूत और विशाल है कि इसे ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना (Great Wall Of China) कहा गया है । इस दीवार की एक और खास बात है कि इसे बनवाने की कल्पना चीन के पहले सम्राट किन शी हुआंग ने की थी, लेकिन उसके सैकड़ों साल बाद इसका निर्माण कार्य आरंभ हुआ था । माना जाता है कि इस विशाल दीवार के निर्माण कार्य में करीब 20 लाख मजदूर लगे थे, जिसमें से करीब 10 लाख लोगों ने इसे बनाने में ही अपनी जान गंवा दी थी । कहते हैं कि उन लोगों को फिर दीवार के नीचे ही दफना दिया गया था । जिस कारण चीन की इस महान और विशाल दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है ।


सैनिकों, कैदियों और स्थानीय लोगों से बनी जनशक्ति की एक बड़ी सेना ने दीवार का निर्माण किया । इस चीन की दीवार की विशालता को वैज्ञानिक ने अंतरिक्ष से भी देखा है । यह मानव निर्मित कलाकृति वहां से भी दिखाई पड़ती है । यही एकमात्र वस्तु है जो अंतरिक्ष से देखने पर धरती पर नज़र आती है । इसका निर्माण मिट्टी, पत्थर, ईंट, लकड़ी और दुसरे मटेरियल को मिला कर हुआ है । यह विशाल दिवार पूर्व के दंदोंग से शुरू होकर पश्चिम में लोप लेक तक फैली है । चीन की दीवार लगभग 6400 किलोमीटर तक फैली है, और यह 35 फीट ऊँची है । यह दीवार किले के समान बनी है । इसकी चौड़ाई इतनी है कि इसमें एक बुग्गी या 10-15 लोग आराम से चल सकते है । यह महान दीवार न केवल अपने लंबे इतिहास के लिए, बल्कि इसके विशाल निर्माण, आकार और इसकी अनूठी स्थापत्य शैली के लिए भी दुनिया के सात अजूबों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित है । करीब 1 करोड़ पयर्टक हर साल चीन की दीवार को देखने के लिए आते हैं ।

7) Christ the Redeemer (क्राइस्ट दी रिडीमर):-

                    ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है ।  दुनिया के इकलौते जीवित परमेश्वर येशु मसीह की 38 मीटर (130 फीट) ऊँची और 28 मीटर चौड़ी प्रतिमा है । यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है । इससे ऊँची कोई भी प्रतिमा आज तक नहीं बनी है । 


दुनिया के उद्धारकर्ता के रूप में माने जाने वाले येशु मसीह की इस मूर्ती का निर्माण 1922 में शुरू हुआ था, जिसे 12 अक्टूबर 1931 को इस जगह पर स्थापित किया गया था । इस मूर्ती को क्रांकीट और पत्थर से बनाया है, जिसे ब्राजील के सिल्वा कोस्टा ने डिजाईन किया था, एवं फ्रेंच के महान मूर्तिकार लेनदोव्सकी ने इसे बना कर तैयार किया था । इसका वजन 635 टन के लगभग होगा । यह रियो शहर के 700 मीटर ऊँची कोरकोवाडो की पहाड़ी पर स्थित है । दुनिया भर में ईसाई धर्म का यह बहुत बड़ा प्रतीक है । इसको भी जुलाई 2007 में विश्व के नए सात अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया है ।

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