Internet Terminology in hindi (इंटरनेट शब्दावली हिंदी में) - IT/ITes-NSQF & GK

Internet Terminology in hindi (इंटरनेट शब्दावली हिंदी में)

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट "https://raazranga.blogspot.com" पर स्वागत हैं, आज हम इस पोस्ट के माध्यम से "Internet Terminology in hindi (इंटरनेट शब्दावली हिंदी में)" की जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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Internet Terminology (इंटरनेट शब्दावली):-

                            सामान्य भाषा में कहा जाये तो इन्टरनेट टर्मिनोलॉजी एक शब्दावली है जिसमें इन्टरनेट से जुड़े हुए सभी शब्दों को रखा गया है अर्थात आप जब भी इन्टरनेट का उपयोग करते है या इन्टरनेट की बात करते है तो बहुत सारें टर्म (शब्द) की बात करते है जैसे की:- डाउनलोड, अपलोड, ईमेल, यूआरएल इत्यादि । तो यह सभी शब्द इंटरनेट टर्मिनोलॉजी कहे जा सकते हैं । 


आइए इस पोस्ट के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण इंटरनेट शब्दावली से जुड़े शब्दो के बारे में जानते हैं:-

1) Archie (अर्की):-

                              यह एक ऐकेसा सिस्टम है जो FTP:-File transfer protocol server में स्टोर फाइलों को search करता है इसके द्वारा सूचनाओं के storage के बीच अपनी जरूरत की सूचना search की जा सकती है । यह आमतौर पर server का एक ऐसा संग्रह है जिसके प्रत्येक server में जानकारी रहती है कि कौन सी फाइल किस server में है तथा यह किस विषय /subject से संबंधित है । 

2) वेब ब्राउजर (Web Browser):-

                     यह एक क्लाइंट सॉफ्टवेयर (client Software) हैं जो hypertext को प्रदर्शित करने तथा इसके साथ संवाद / communication स्थापित करने के काम आता हैं । इनके द्वारा हम moble, कंप्यूटर, tab इत्यादि पर internet चला सकते हैं । Example:- google chrome, internet explorer, safari, MS Edge etc ।

3) इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail):-

                           यह कंप्यूटर के द्वारा भेजी जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक डाक सेवा का एक संक्षिप्त रूप है ।  इसे email भी कहा जाता है । इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के द्वारा बड़ी-बड़ी सूचनाओं को प्रकाश की गति से भेजना इमेल ने संभव कर दिया है इसके माध्यम से आप कोई भी सूचना / Message एक स्थान से दूसरे स्थान पर एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति को भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं । कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़कर किसी भी सूचना व कंप्यूटर के प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हैं ।

4) गोफर (Gopher):-

                  इसका विकास अमेरिका के मिनिसोटा यूनिवर्सिटी में 1991 में हुआ था । यह एक यूजर फ्रेंडली इंटरफेस (UFI) प्रदान करता है । इसके माध्यम से कोई भी user इंटरनेट पर सूचनाओं को प्राप्त कर सकता है । यह यूजर के द्वारा वांछित सूचनाओं को खोजकर यूजर के सामने ला देता है । इसका प्रयोग करना बहुत आसान है । इसके अतिरिक्त यह कई इंटरनेट सर्विस को आपस में जोड़ने में भी सहायक होता है । 

5) हायपर टैक्स्ट ट्रान्स्फर प्रोटोकॉल (Hyper Text Transfer Protocol: HTTP):-

                        यह एक एप्लीकेशन प्रोटोकॉल हैं जिसका प्रयोग वेब पर हायपर टैक्स्ट दस्तावेजों तथा दूसरे वेब संसाधनों के transfer में किया जाता हैं । यह किसी भी internet address के आगे से आगे लगता है जिससे URL पता खुलता है । इसका संक्षिप्त नाम एच टी टी पी (HTTP) है । यह हमेशा किसी web address के आगे ही लगता है उदाहरण के लिए "http://www.google.com"

5) इंटरनेट रिले चैट (Internet Relay Chat:IRC):-

                              इंटरनेट रिले चैट को सामान्य भाषा में चैट के रूप से जाना जाता है इसका प्रयोग प्रयोक्ता ऑनलाइन एक दूसरे से संवाद स्थापित करने में करते हैं एक ओर का यूजर दूसरी ओर के यूजर से कम्युनिकेशन टेक्स्ट टू वॉयस के रूप में कर सकता है ।

6) होम पेज (Home Page):-

                 यह किसी साइट का सर्वप्रथम प्रदर्शित होने वाला वेब पेज होता हैं । जब भी हम कोई वेबसाइट खोलते हैं तो उस वेबसाइट का जो पहला पेज खुलकर आता है उसे ही home page कहा जाता है ।

7) वेब पेज (Web Page):- 

वेब पेज वेब दस्तावेज का एक इकाई होता हैं। जब हम किसी हायपरलिंक को क्लिक करत हैं तब हम एक वेब पेज प्रदर्शित कर रहे होते हैं।

8) वेब साइट (Web Site):-

                        यह वेब पेजों का एक पूर्ण संकलन होता हैं जिसमें टैक्स्ट, ध्वनि तथा चित्रों का समावेश होता हैं तथा वेब साइट के सभी तथ्य परस्पर जुड़े होते हैं । इसमें बहुत सारे वेब पेज आपस में एक दूसरे से संबंधित होते हुए जुड़े होते हैं ।

9) वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web):-

                         यह एक प्रकार का डेटाबेस है जो पूरे विश्व में फैला हुआ है user इसी के माध्यम से सूचनाओं को प्राप्त करता है । इसमें यूजर के द्वारा सूचनाओं से संबंधित title दिया जाता है यूजर उस title से संबंधित सभी सूचनाओं का use कर सकता है । पहले वर्ल्ड वाइड वेब में सिर्फ लिखित सूचनाएं उपलब्ध थी किंतु आज लिखित सूचनाओं के साथ-साथ चित्र, ध्वनि, गेम, कार्टून, ऑडियो, वीडियो आदि कई सारी सुविधाएं उपलब्ध है इस पर सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए web browser software की आवश्यकता होती है । जैसे इंटरनेट एक्सप्लोरर, गूगल क्रोम, मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स आदि वेब ब्राउजर इत्यादि ।

10) वेब सर्वर (Web Server)

                           यह प्रोग्राम वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने की request को पूरा करता हैं तथा उसके request पर प्रतिक्रिया व्यक्त करता हैं । Web server उन कम्प्यूटरों को भी कहते हैं जिन पर सर्वर प्रोग्राम कार्य रहा होता हैं ।

11) वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सिस्टम (WAIS):-

                              इसे आमतौर पर Voice से संबोधित करते हैं यह एक प्रकार का search system है जो कि user द्वारा मांगे गए फाइल को server से जुड़कर user को प्रदान करता है वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सिस्टम (WAIS) उस एड्रेस को बताता है जहां फाइल उपलब्ध है । यदि user द्वारा मांगी गई फाइल किसी एक वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सिस्टम (WAIS) सर्वर पर नहीं मिलती है तब यह वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सिस्टम server किसी अन्य वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सर्वर (WAIS) की सहायता लेता है ।

12) टेलनेट (Telnet):-

                            यह प्रोटोकॉल user को रिमोट कंप्यूटर से जोड़ने में सहायक होता है जिस प्रकार फोन पर नंबर डायल करके बात की जा सकती हैं उसी प्रकार इससे आपस में डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है जो आपको किसी अन्य कंप्यूटर पर पहुंचा कर उस पर उपलब्ध विभिन्न सेवाओं के इस्तेमाल का अवसर देती है इस पर कार्य करते समय username password की आवश्यकता होती है जब यह दोनो सही होते है तो यूजर रिमोट कंप्यूटर या दूरस्थ कंप्यूटर से जुड़ जाता है ।

13) यूजर नेट (User net):-

                         यह एक ऐसा नेटवर्क है जो किसी user को विभिन्न समूहों से सलाह करने में सहायता प्रदान करता है । यह विभिन्न विषयों पर सूचनाएं एकत्र करने में भी सहायक होता है । यह विभिन्न News group का एक ऐसा संग्रह है जो सूचनाओं के एक विशेष क्षेत्र को cover करता है उदाहरण के लिए यदि कोई यूज़र फिल्मों के बारे में जानता है तो यूज़र नेट का ग्रुप जो फिल्मों को कवर करता है उन्ही फिल्मों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा । आज के समय में समाचारों से संबंधित बहुत सारे संगठन उपलब्ध है ।

14) यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर (Uniform Resource Locator: URL):-

                           यह वेब पर किसी विशेष सूचना को एक्सेस करने के लिए एक विशेष प्रकार का एड्रेस कोड होता हैं । कोई भी कंप्यूटर या internet पर उपलब्ध address जिसे URL कहा जा सकता है । जैसे:-https://raazranga.blogspot.com यह एक URL है ।

15) वेरोनिका (Veronica):-

                                 यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो Gopher के माध्यम से कार्य करता है । इसके माध्यम से तेजी से आवश्यक सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं । यूजर गोफर सर्वर (Gopher Server) और वेरोनिका सर्वर (Veronica server) को access कर के किसी database तक आसानी से पंहुचा सकता है । यह आवश्यक नहीं है कि गोफर सर्वर वेरोनिका सर्वर के साथ ही सर्विस प्रदान करें । वेरोनिका सर्वर का आर्ची सर्वर से ज्यादा अच्छा प्रयोग है इसमें यूजर को File नेम के बारे में जानना आवश्यक नहीं है ।

16) पासवर्ड क्रेकिंग (Password Cracking):-

                       कम्प्यूटर तथा नेटवर्क का पासवर्ड, कोडेड फार्म (Encrypted form) मे स्टोर किया जाता हैं । पासवर्ड क्रैकर साफ्टवेयर प्रोग्राम की मदद से coded पासवर्ड का पता लगा लेते हैं । तथा इसका प्रयोग अवैध कार्यो (Illegal activities) तथा अनधिकृत उपयोग (Unauthorized use) के लिए करते हैं । Password Cracker एक ऐसा ही सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हैं जिसका प्रयोग इस तरह के कार्यों को करने के लिए किया जाता है ।

17) फिशिंग (Phishing):-

                       Internet पर इंटरनेट users के user name, password तथा अन्य व्यक्तिगत सूचनाओं को प्राप्त करने का प्रयास करना फिशिंग (Phishing) कहलाता हैं । इसके लिए users को झूठे ई-मेल या संदेश भेजे जाते हैं जो दिखने में वैध (Legitimate) वेबसाइट से आये हुए लगते हैं । इन ई-मेल या संदेश में users को अपना user name लॉग इन आई डी (Login ID) या पासवर्ड तथा अन्य विवरण डालने को कहा जाता हैं । जिनके आधार पर users के निजी विवरणों की जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं । इसके द्वारा ये यूजर को अपने जाल में फसा सकते है ।

18) पैकेट स्निफिंग (Packet Sniffing):-

                   इंटरनेट पर डाटा को पैकेट में बांटकर भेजा जाता हैं । डाटा पैकेट्स को अपने Destination तक पहुंचने से पहले ही उसकी पहचान करके उसे रिकॉर्ड कर लेना पैकेट स्निफिंग कहलाता हैं ।

19) पैच (Patch):-

                       सॉफ्टवेयर कंपनियों द्वारा उपयोग के लिए जारी सॉफ्टवेयर में कई कमियां होती हैं । जिनका फायदा Hackers / Crackers उठाते हैं। सॉफ्टवेयर कंपनियों द्वारा इन कमियों में कोसुधार के लिए समय समय पर छोटे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम जारी किए जाते हैं, जिन्हें पैच कहा जाता हैं । यह पैच सॉफ्टवेयर मुख्य सॉफ्टवेयर के साथ ही कार्य करते हैं ।

20) स्केअर वेयर (Scare Ware):-

                       यह कम्प्यूटर वायरस का एक प्रकार है जो इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरो को प्रभावित करता हैं । इसमें इंटरनेट से जुड़े उपयोगकर्ता को कोई free antivirus या free software डाउनलोड करने का लालच दिया जाता हैं । यह एक अधिकृत सॉफ्टवेयर की तरफ दिखता हैं, पंरतु इसे डाउनलोड करते ही वायरस कम्प्यूटर में प्रवेश कर जाता हैं । 

21) डिजिटल सिग्नेचर (Digital Signature):-

                   यह कम्प्यूटर नेटवर्क पर किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने, उसकी स्वीकृति या Approval प्राप्त करने तथा किसी तथ्य को सत्यापित या Verify करने का एक method हैं । इसमें नेटवर्क सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता हैं ।इस तकनीक का प्रयोग कम्प्यूटर पर store किए गए किसी डाक्युमेंट का प्रिंट लिए बिना उस पर हस्ताक्षर करने के लिए किया जाता हैं । डिजिटल सिग्नेचर किसी मैसेज या डाक्युमेंट के साथ जुड़ जाता हैं । तथा उसकी वैधता या Authenticity प्रमाणित करता हैं । यह कम्प्यूटर पर coded form में स्टोर किया जाता हैं ताकि उसे unauthentic user की पहुंच से दूर रखा जाए । ई-कामर्स तथा ई-प्रशासन (E-governance) में इसका प्रयोग प्रचलित हो रहा हैं ।

22) स्पैम (Spam):-

                          कम्प्यूटर तथा इंटरनेट का प्रयोग कर अनेक व्यक्तियों को अवांछित तथा अवैध रूप से भेजा गया संदेश स्पैम कहलाता हैं । इसे नेटवर्क के दुरूपयोग के रूप में जाना जाता हैं । Spam सामान्यत: कम्प्यूटर नेटवर्क तथा डाटा को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं । वास्तव में Spam एक छोटा प्रोग्राम है जिसें हजारों की संख्या में इंटरनेट पर भेजा जाता हैं ताकि वे इंटरनेट user की साइट पर बार-बार प्रदर्शित हो सकें । Spam मुख्यत: विज्ञापन होते हैं जिसे सामान्यतः लोग देखना नहीं चाहते । अत: इसे बार बार भेजकर users का ध्यान आकर्षित किया जाता हैं ।

23) डाउनलोड (Download):-

                          किसी File, Program आदि को इंटरनेट के माध्यम से users द्वारा अपने कंप्यूटर या डिवाइस में store करने की क्रिया को download कहा जाता है । इस काम को करने के लिए हमारे पास internet connection होना अनिवार्य है ।

24) अपलोड (Upload):- 

                     किसी File, Program आदि को इंटरनेट के माध्यम से users द्वारा अपने कंप्यूटर या डिवाइस में store डाटा को internet पर किसी website पर भेजने या डालने की क्रिया को upload कहा जाता है । इस काम को करने के लिए हमारे पास internet connection होना अनिवार्य है ।

25) एच टी टी पी एस (HTTPS):-

                           इसका पूरा नाम hyper text transfer protocol secure है । यह प्रोटोकॉल वेबसाइट users के लिए संवेदनशील डेटा जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर, बैंकिंग जानकारी और इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से लॉगिन क्रेडेंशियल संचारित करना संभव बनाता है । इस कारण से, HTTPS खरीदारी, बैंकिंग और दूरस्थ कार्य जैसे ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है । यह यूजर को एक सैफ internet इंटरफेस उपलब्ध कराता है ।

26) टी सी पी / आई पी (TCP/IP):- 

                             ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल / इंटरनेट प्रोटोकॉल एक वैश्विक मानक नेटवर्किंग प्रोटोकॉल (The Global Standard Networking Protocol) है । 1970 के दशक में अमेरिकी रक्षा विभाग से अनुबंध के तहत विकसित, TCP / IP का आविष्कार विंटन सेर्फ़ और बॉब कान ने किया था । TCP/IP निजी स्थानीय क्षेत्र और विस्तृत क्षेत्र नेटवर्क (LAN और WAN) के साथ-साथ इंटरनेट पर डेटा पैकेट तैयार और अग्रेषित (forward) करता है । वास्तव में, इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा TCP / IP नेटवर्क है ।

27) नेटवर्क (Network):-

                      कई सिस्टमों को एक साथ जोड़कर बनाए गए connection को नेटवर्क कहते हैं । इसके द्वारा एक साथ कई जगहों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है । 

28) आन-लाइन (Online):-

                    जब यूजर इंटरनेट पर जानकरियों व सेवाओं का अध्ययन करता है । तब कहा जाता है कि यूजर ऑन लाइन है । दूसरे शब्दों में कहें तो जब यूजर कंप्यूटर या मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर रहा हो या इंटरनेट यूज कर रहा हो तो उसे ऑनलाइन कहा जाता है ।

29) ऑफ लाइन (Offline):-

                  इसमें यूजर इंटरनेट में मौजूद सूचनाओं को अपने अपने सिस्टम में संग्रहित कर इंटरनेट संपर्क काट देता है । जब बिना इंटरनेट यूज किए कंप्यूटर को प्रयोग करना ऑफलाइन कहा जाता है ।

30) हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैग्वेंज (HTML):-

                    इसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है । शुरूआत में इसका प्रयोग वेब पेज डिजाइन करने में किया जाता था । यह एक वेब डिजाइन की एक COMPUTER LANGUAGE है । जो आज भी प्रयोग में है ।

31) सर्फिंग (Surfing):-

                  इंटरनेट के नेटवर्कों में अहम सूनचाओं को खोजने का काम सर्फिंग कहलाता है ।

32) डोमेन नेम सिस्टम (DNS: Domain Name System):-

                        इंटरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता है । इंटरनेट से जुड़े हर कम्प्यूटर का एक अलग डोमेन होता है । जिसे डोमेन नेम सिस्टम (DNS) कहते हैं । जिसे 3 भागों में बांटा जा सकता है:- 

1) जेनेरिक डोमेन ।

2) कंट्री डोमेन ।

3) इनवर्स डोमेन ।

33) बैंड (Band):-

                    वह इकाई जो डाटा संचारण की गति को मापता है । 1 Band= 1 Bit/sec

34) Bandwidth (बैंडविड्थ):- 

                      यह बताता है कि, निश्चित समय में विशिष्ट कनेक्शन पर कितना डाटा ट्रांसमिट हो रहा है । यह किसी नेटवर्क या इंटरनेट कनेक्‍शन की अधिकतम डाटा ट्रांसफर रेट है । संक्षेप में ज्यादा बैंडविड्थ यानी अधिक तेजी से डाटा ट्रांसफर रेट और तेज internet speed है ।

35) ब्रॉड बैंड (Broad Band):-

                    कम्प्यूटर नेटवर्क जिसके संचरण की गति 1 मिलियन बिट्स प्रति सेकेण्ड या इससे अधिक होती है ।

36) CAPTCHA Code (केप्चा कोड):-

                 यह एक प्रोग्राम होता है जो websites की bots से रक्षा करने के लिए लिए हैं जो ऐसे टेस्‍ट को बनाते और ग्रेडिंग करते हैं, जिन्‍हे केवल मुनुष्‍य ही पारित कर सकते है । CAPTCHA एक वर्ड वेरीफिकेशन टेस्‍ट होती है, जिसे केवल  मुनुष्‍य ही पढ़ और इसको हल कर सकते है । लेकिन कोई भी कंप्‍यूटर जनरेटेड प्रोग्राम्‍स इन्‍हे नहीं पढ़ और वेरिफाइ नही कर सकते हैं ।

37) बुक मार्क (Bookmark):-

                        यह किसी webpage की save किया गया link होता है, जिसे saved links में add किया जाता हैं । कई बार आपको किसी web page पर कई बार वापस आना पड़ता है या फिर आप ब्राउजिंग कर रहे हो और आपको किसी वेब पर महत्‍वपूर्ण जानकारी मिली जिसे आप बाद में देखना चाहते है तो ऐसे वक्‍त पर आप इस web page को बुकमार्क कर सकते हैं । जिससे आप अगली बार इस webpage पर जल्‍दी से आ सकते हैं और उसी आसानी से प्रयोग कर सकते हो ।

38) Add-ons / Plugins / Extension:-

                             इसको एक्‍टीव एक्‍स कंट्रोल (Active X Control), ब्राउजर एक्‍सटेंशन (browser extension), ब्राउजर हेल्‍पर ऑब्‍जेक्‍ट (browser helper object) या टूलबार (Toolbar) के रूप में जाना जाता है । वे Websites में अतिरिक्‍त फीचर्स को add करके browsing के अनुभव को बढ़ाते हैं । ब्राउजर एक्‍सटेंशन आपको तेजी से काम करने और समय की बचत करने के लिए मदद करते हैं । 

39) एनक्रिप्शन (Encryption):-

                   यह मैसेज या फाइल को Encoding करने की क्रिया है जिससे केवल वैध यूजर ही इसे पढ़ सकते हैं । यह डेटा सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी तरीका है । उदाहरण के लिए अगर आप वेबसाइट से कुछ भी खरीद रहे हैं, तो इस ट्रांजेक्‍शन की जानकारी को आमतौर पर सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए इसे encrypted किया जाता है ।

40) फ्रीवेयर (Freeware):-

                         यह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का एक प्रकार है जो इंटरनेट पर निशुल्क दिया जाता है । इन्हे FOSS यानी Free & open source software भी कहा जाता है ।

41) शेयरवेयर (Shareware):-

                          यह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का एक प्रकार है जो user को परिक्षण के लिए निशुल्क दिया जाता है परन्तु एक समय सीमा के बाद तक प्रयोग करने पर उन्हें सॉफ्टवेयर को खरीदना पड़ता है । इसमें trial version software को शामिल किया जा सकता है ।

42) स्पाइवेयर (Spyware):-

                        यह एक सॉफ्टवेयर है जो इंटरनेट से डाउनलोड किए गए किसी सॉफ्टवेयर के साथ गुप्त रूप से डाउनलोड हो जाता है तथा आपकी निजी सूचनाओ को संकलित करता है तथा इन सूचनाओं का प्रयोग आपकी सहमति के अपने फायदे के लिए करता है । जैसे -कोन सा वेबसाइट आप प्रयोग करते हैं और आपके कार्ड की डिटेल इत्यादि ।

43) ब्लॉग (Blog):-

                      यह वेबलॉग (Weblog) का संक्षेप रूप है ।  यह एक प्रकार का वेबसाइट है जहाँ लोग  किसी भी टॉपिक पर अपनी बात लिखते हैं और पब्लिक के साथ शेयर करते हैं । ब्लॉग को आप अपनी पर्सनल डायरी की तरह use कर सकते हैं ।

44) प्रोटोकॉल (Protocol)– प्रोटोकॉल नियमों का एक समूह होता है जो उस विधि को नियंत्रित करता है जिस विधि से कम्प्यूटरों के मध्य डाटा भेजा जाता है। 

45) सर्च इंजन (Search  Engine):-

                       सर्च इंजन आपके लिए इंटरनेट पर सूचना खोजने का कार्य करता है । इसके माध्यम से हम कोई भी सूचना आसानी से खोज सकते हैं । जैसे Google, Bing, Yahoo,Duck duck Go etc, यह सभी सर्च इंजन हैं ।

46) सर्वर (Server):-

                   सर्वर एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो किसी नेटवर्क से जुड़े अनेकों कम्प्यूटरों पर सूचना को नियंत्रित करता है या भेजता है । सर्वर वह मुख्य कंप्यूटर है जिस पर सर्वर प्रोग्राम चलाया जाता है ।  

47) होस्ट (Host):-

                     यह किसी नेटवर्क का मुख्य कंप्यूटर होता है जो इससे जुड़े अन्य कंप्यूटर पर सूचना को नियंत्रित करता है तथा सूचना भेजता है । 

48) क्लाइंट (Client):-

                        क्लाइंट वह कंप्यूटर है जो सर्वर से जुड़ा होता है । दूसरे शब्दों में, क्लाइंट एक कंप्यूटर है जो सर्वर से request कर सर्विस प्राप्त करता है ।

49) हैकर (Hacker):-

                        हैकर एक कंप्यूटर जीनियस व्यक्ती (Person) होता है । जिसके पास कंप्यूटर सम्बन्धी ज्ञान बहुत अधिक होता है और वह कंप्यूटर सम्बन्धी सुरक्षा में कमी खोजने में मदद करता है । कंप्यूटर को गलत तरीके से प्रयोग कर सकता है ।

50) इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP (Internet Service Provider):-

                            वे सभी कंपनी या संगठन जो इन्टरनेट की सेवा प्रदान करती है उन सभी कंपनी को ISP अर्थात Internet service Provider कहा जाता है । ISP, इन्टरनेट के साथ साथ कई अन्य सर्विसेस भी प्रोवाइड करती है जैसे:- Web page Hosting, मेल सर्विसेस, फाइल ट्रान्सफर इत्यादि । Example:- इंडिया में इस समय बहुत सारें ISP कार्य कर रहे है ज्यादातर फ़ोन कंपनीयां, cable कंपनी और उपग्रह कंपनीयां इन्टरनेट सेवा प्रोवाइड करने का कार्य करती है । जैसे Airtel, Jio, Idea, Videophone और BSNL इत्यादि ।

51) साईंन अप (Sign up):-

                         User द्वारा इन्टरनेट के किसी भी वेबसाइट में account खोलने के कार्य को Sign up कहा जाता है । मान लीजिये किसी वेबसाइट में आपका एकाउंट नहीं है और आप उसमे एकाउंट खोलना चाहते है और एकाउंट खोलने के लिए आप वेबसाइट में अपना इनफार्मेशन भरते है इस प्रक्रिया को ही Sign up कहा जाता है । आसान भाषा में कहे तो किसी भी वेबसाइट पर अपनी आईडी बनाना Sign up कहलाता है ।

52) Forums (फ़ोरम्स):-

                         यह वे सभी वेबसाइट जिनमे लोग सवाल पूछते है और विभिन्न विषयों पर चर्चा करते है । इन सभी वेबसाइट को forums कहा जाता है। इन वेबसाइट को आप Question और Answer साईट भी कह सकते हैं । ये बहुत ही महत्वपूर्ण साईट होते है जिनमे लोगो को उनके सवालों के जवाब आसानी से मिल जाते है और साथ ही अगर आपको किसी topic में अच्छी जानकारी है तो लोगो के सवालो के जवाब देकर आप उनकी मदद कर सकते हो ।

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Thanks for read my Blog || राज रंगा

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