10th-Level-2-IT-Unit-4-Web Applications and Security (CBSE) in hindi - IT/ITes-NSQF & GK

10th-Level-2-IT-Unit-4-Web Applications and Security (CBSE) in hindi

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट "https://raazranga.blogspot.com" पर स्वागत हैं, आज हम इस पोस्ट के माध्यम से "10th-Level-2-IT-Unit-4-Web Applications and Security (CBSE) in hindiकी  जानकारी प्राप्त करेंगे ।


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SESSION-1: Working with Accessibility Options in hindi (CBSE)

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Q.1) Assertive Technology क्या होता है?

                                                              (Imp.)

Ans:- यह एक सहायक तकनीक है, जो हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके कंप्यूटर का प्रयोग आसान बनती है । इसे Assertive Technology कहा जाता है ।

Q.2) डिसएबल पर्सन की उन Disability के बारे में बताए जो कंप्यूटर का उपयोग करने में बाधा उत्पन्न करती है?

Ans:- वह disability जो कंप्यूटर का उपयोग करने में बाधा उत्पन्न करती है निम्न प्रकार से है:-

1) कम सुनना ।

2) कम दिखाई देना ।

3) हाथ कांपना ।

4) शरीर की गति कम होना ।

Q.3) कौन सा ऑप्सन है जिससे कीबोर्ड, माउस डिस्प्ले की working चेंज कर सकते हैं जिससे डिसएबल पर्सन को मदद मिले? 

Ans:- Accessibility option in control pannel -->click start-->Control panel --> Accessibility option.

Q.4) Sticky Keys क्या है? 

Ans:- Sticky Keys उपयोगकर्ता को एक संशोधक कुंजी को दबाए और जारी करने की अनुमति देता है । जैसे कि Shift, Ctrl, Alt, या Windows keys  ।

Q.5) Filter keys की क्या फ़ीचर / विशेषता है?

Ans:- यह keyboard को संक्षिप्त या दोहराए गए key strocks को अनदेखा करने के लिए कहता है, जिससे हाथ में झटके वाले लोगों के लिए टाइपिंग आसान हो जाता है ।

Q.6) Toggle Keys की क्या फ़ीचर / विशेषता है? 

Ans:- यह उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनके पास दृष्टि हानि या संज्ञानात्मक विकलांग है । जैसे- Caps Lock, Num Lock, or Scroll Lock keys इत्यादि ।

Q.7) Sound Sentry फ़ीचर / विशेषता क्या है?

Ans:- Sound Sentry को श्रवण विकलांगता के साथ उपयोगकर्ताओं यानी users को मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है । Sound Sentry दृश्य चेतावनी उत्पन्न करता है, जैसे कि ब्लिंकिंग शीर्षक बार या फ्लैशिंग बॉर्डर, जब भी कंप्यूटर एक ध्वनि उत्पन्न करता है ।

Q.8) Serial key फ़ीचर / विशेषता क्या है?

Ans:- Serial key एक पहुंच-योग्यता (accessibility) सुविधा है जो कि उन लोगों की सहायता करता है जिन्हें कीबोर्ड या माउस (या दोनों का उपयोग करने में कठिनाई होती है । यह सीरियल पोर्ट्स के माध्यम से कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करने के लिए विशेष उपकरणों जैसे Sip, Puff और breath स्विच का उपयोग कर सकते हैं ।


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SESSION-2: Networking Fundamentals in hindi (CBSE)

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Q.1) कम्प्यूटर नेटवर्क क्या होता है? 

Ans:- कम्प्यूटर नेटवर्क आपस मे एक दूसरे से जुड़े कम्प्यूटरों का group हैं जो एक दूसरे से संचार स्थापित करने और सूचनाओं, संसाधनों को सांझा इस्तेमाल करने में सक्ष्म होते हैं । विश्व का प्रथम कम्प्यूटर नेटवर्क ARPANET हैं ।

Q.2) नेटवर्क के architecture कितने प्रकार के होते हैं?                                              (V.Imp.)

Ans:- नेटवर्क के main architecture दो होते हैं:-

1) P2P:- P2P का पूरा नाम peer to peer है । इस नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर को एक समान दर्जा प्राप्त होता है । इस तरह के नेटवर्क में प्रत्येक टर्मिनल का एक समान CPU है ।

2) Cllent-Server:- इस नेटवर्क में एक कंप्यूटर सर्वर का काम करता है जो अन्य कंप्यूटरों (नेटवर्क में) को सेवाएं प्रदान करते हैं जिन्हें क्लाइंट सर्वर नेटवर्क कहा जाता है कंप्यूटर जो सेवाओं को प्रदान करते हैं उन्हें server कहा जाता है और जो इन सेवाओं का उपयोग करते हैं उन्हें client कहते हैं ।

Q.3) नेटवर्क कितने प्रकार के होते हैं?  (M.Imp.)

Ans:- नेटवर्क के प्रकार निम्न प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है:-

Network Types (नेटवर्क के प्रकार):-

                       Networks पांच प्रकार के होते हैं । PAN, LAN, MAN, SAN, WAN । ये निजी (Private), Govt.,  Business House और Organisations द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं । हर Business और Organisation की अपनी जरूरत होती है इसलिए हर Network अपने आप में भिन्न होता है । Network का साइज इस बात पर निर्भर करता है कि Business House अथवा organisation किस तरह के Network को इस्तेमाल करना चाहती है । भिन्न-भिन्न साइज के Network data को भिन्न-भिन्न तरह से transmit करते हैं । For Example, दो हजार Users वाली संस्था का Network अलग तरह से organise रहता है और उसको components की विविधता की जरूरत होती है जो कि उस Network मे नहीं होती जिसमें कि केवल दस Users हों । Computer Network को बनाने के लिए दो या दो से ज्यादा कंप्यूटरो को आपस मे  जोड़ना होता है । कंप्यूटर को आपस मे जोड़ने के लिए हमे नेटवर्क केबल जैसे:-RJ-45 Cat-5, Cat-6, Cat-8, Ethernet Cable, Co-axial Cable, UTP Cable, STP Cable etc या Wi-Fi नेटवर्क की जरूरत होती हैं । Network cable को जोड़ने के लिए हमें Switch, Hub, Router और Network Access Point (NAP) जैसे Devices का प्रयोग करना होता है । इन Network Devices को सभी कंप्यूटर के बीच मे जोड़कर Network बनाया जा सकता है । आइए Network के सभी प्रकारो को विस्तार से जानते हैं:-

1) Personal Area Network (पर्सनल एरिया नेटवर्क):-

                         PAN का Full Form Personal Area Network होता है । यह एक ऐसा network होता है जो की Personal devices के use से बना होता है । इसे केवल एक या दो  व्यक्तियो द्वारा इस्तमाल किया जाता है । इसमे  devices जैसे Computers, Tablets, Smartphones, और Smart Watches को एक दुसरे के साथ communicate करने के लिए आपस मे कनेक्ट किया जा सकता है । इसका सबसे आम उदाहरण एक Bluetooth Earpiece और Smartphone के बीच connection है । PAN मे लैपटॉप, टैबलेट, प्रिंटर, कीबोर्ड और अन्य Computing devices को भी जोड़ सकते हैं । जैसे हम मोबाइल को मोबाइल से connect करके data transfer करते हैं या hotspot के द्वारा internet प्रयोग करते हुए । यह नेटवर्क कनेक्शन Wired या Wireless हो सकते हैं । इसकी range 10 Meter तक होती हैं ।

2) Local Area Network (लोकल एरिया नेटवर्क-LAN):-

                           एक इमारत और office में ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क जिसमें दो या दो से अधिक कंप्यूटर physical रूप से एक-दूसरे से connect रहते हैं, वह Local Area Network कहलाता है । आपस मे जुड़े हुए यह कंप्यूटर Workstation  कहलाते हैं । यह Printer और Fax जैसे data और resources को share करने के लिए कंप्यूटर और वर्कस्टेशन (workstation) को जोड़ता है । इसमें कंप्यूटर एक-दूसरे से इसलिए जुड़े रहते हैं ताकि महंगे devices जैसे Laser Printer etc को share कर सके । Server में उपलब्ध Database और Applications सभी Workstations के लिए उपलब्ध हो सकें । LAN एक कंप्यूटर नेटवर्क होता है जो एक छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ होता है । LAN एक छोटे से क्षेत्र जैसे घर, कार्यालय या कॉलेज तक सीमित है । इस नेटवर्क मे नेटवर्क डिवाइस (Network Device) की help से सभी वर्कस्टेशन (workstation), नेटवर्क सर्वर (Network Server) और प्रिंटर (Printer) आपस में जुड़े हुए होते हैं । Printer का उपयोग अन्य वर्कस्टेशनों (workstations)  द्वारा भी किया जा सकता है । एक LAN Network की range 100-1000 Meter कवरेज के बीच सीमित होती है । संयुक्त राज्य अमेरिका में इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर्स (IEEE) ने LAN के लिए Standards की एक श्रृंखला को बनाया है । जिसे IEEE 802 standard कहा जाता है । LAN की Data transfer rate बहुत ज्यादा होती हैं । यह लगभग 1000 mbps होती है । 

3) Metropolitan Area Network (मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क-MAN):-

                                      यह नेटवर्क LAN नेटवर्क से बडा और WAN नेटवर्क से छोटा होता हैं । इस नेटवर्क की help से एक बड़े क्षेत्र के users को कंप्‍यूटर नेटवर्क के साथ जोडा जा सकता है । यह नेटवर्क लगभग 10km-100km तक के area को cover कर सकता है । यह एक Highspeed Network है जो 200 Mbps तक में Sound, Data और Image को तेजी से 75 KM की दूरी तक इमारतों के कुछ Blocks या पूरे शहर में ले जा सकता है । Transmission की Speed नेटवर्क के आर्किटेक्चर पर आधारित होती है और यह कम दूरी के लिए ज्यादा हो सकती है । यह WAN की तुलना में छोटा होता है लेकिन इसकी Speed आमतौर पर अधिक होती है । इस नेटवर्क के द्वारा एक शहर को दुसरे शहर से जोडा जाता सकता है ।MAN एक क्षेत्र में कई LAN को एक साथ जोड़ सकता है । टेलीविजन केबल भी MAN का एक उदाहरण है ।

4) Storage Area Network (सटोरेज एरिया नेटवर्क-SAN):-

                            SAN एक तरह का Computer Network होता है । SAN को डाटा स्टोरेज करने के रूप में जाना जाता है जो कई तरह के Servers के लिए storage devices के Shared Pool को परस्पर connect करता है । यह एक ढांचा है जो कि रिमोट कंप्यूटर उपकरणों जैसे डिस्क सारिणी, Tap Liabrary तथा Optical Juke Box etc को सर्वर से इस ढंग से जोड़ता है कि सिस्टम स्थानीय ऑपरेटिंग सिस्टम (O/S) से जुड़ा प्रतीत होता है । SAN को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को मिलाकर बनाया जाता है । यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसमे data transfer का rate बहुत ही fast होता है जिसका इस्तेमाल विभिन्न server के लिए data को transfer करने के लिए किया जाता है । इसमें स्टोरेज डिवाइस जैसे की Hard Disc (HDD) को एक साथ जोड़ कर एक STORAGE POOL तैयार किया जाता है इसके बाद इन डिवाइस को नेटवर्क स्विच से कनेक्ट कर दिया जाता है । यदि आप Phone, Desktop computer, Tablet PC, Laptop etc प्रयोग  करते है तो आपको Data Storage के महत्व का पता होगा । हम सब को storage को बढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है ऐसे में हम डाटा को स्टोर करने के लिए हार्ड डिस्क (HDD) का सहारा लेते है । यह सब छोटे स्तर पर किया जाता है । वही अगर किसी Company की बात करे तो उनके लिए ऐसा कर पाना संभव नही होता है क्योकि उनके पास data storage बहुत ज्यादा होता है । ऐसे में उनके लिए data को store करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है । इस परिस्थिति से निकलने के लिए बड़ी बड़ी Companies स्टोरेज एरिया नेटवर्क (SAN) का उपयोग करती है ।

5) Wide Area Network (वाइड एरिया नेटवर्क-WAN):-

                    यह एक ऐसा Computer Network है जो अपनी लंबी दूरी तक Communicate करने की क्षमता के कारण लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) से काफी अलग होता है । यह एक छोटे से शहर से लेकर देश-दुनिया हर जगह फैला होता है लेकिन इसका सबसे अधिक उपयोग लम्बी दुरी में डाटा संचालन के लिए किया जाता है । वही इसका इस्तेमाल PAN, MAN, LAN आदि नेटवर्क को जोड़ने के लिए किया जाता है । WAN में पूरा देश और बड़ी International Company की सभी Sites कवर हो सकती हैं । इसका इस्तेमाल लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) और दुसरे अन्य नेटवर्कों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए होता है । इसके द्वारा कोई भी User अपने Computer के जरिए कहीं दूर बैठे किसी दूसरे User से Communicate कर सकता है । WAN संचार, सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान कर सकता है । WAN दूरसंचार नेटवर्क का एक रूप है जो कई स्थानों से devices को जोड़ सकता है । यह नेटवर्क बहुत ही महंगा होता है क्योकि यह लम्बी दुरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है साथ में इसमें कई बेहतरीन तकनीक जैसे- ATM, Frame Relay और X.25 का इस्तेमाल भी किया जाता है । इसके साथ दुरी बढ़ने के कारण local area network की तुलना में इसकी Speed कम हो जाती है । WAN का सबसे अच्छा उदाहरण हम Internet को कह सकते हैं क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है जो पुरे संसार को cover किए हुए है । इस नेटवर्क की range लगभग 100000 किलोमीटर तक होती है ।

Q.4) इंटरनेट क्या होता है?

Ans:- इंटरनेट का पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है । यह आपस मे एक दूसरे से जुड़े नेटवर्क की एक ग्लोबल संरचना है । यह नेटवर्कों का नेटवर्क है जो लाखो पब्लिक और प्राइवेट नेटवर्कों को सारे विश्व मे विस्तार करता है । आधुनिक समय की सबसे उपयोगी तकनीकों से एक इंटरनेट है जो हमें अपनी दैनिक, व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में मदद करता है । इंटरनेट व्यापक रूप से छात्रों, शैक्षणिक संस्थानों द्वारा उपयोग किया जाता है । इंटरनेट सामान्य जनता के मनोरंजन का एक प्रमुख स्रोत भी बनता जा रहा है ।

Q.5) WWW क्या होता है?

Ans:- WWW का पूरा नाम World Wide Web है | WWW और इंटरनेट दोनों अलग-अलग दो चीजे है परंतु दोनों एक दूसरे पर निर्भर होते है । WWW जानकारी युक्त पजों का भंडार है जो एक दुसरे से जुड़ा है जिसे वेब पेज कहते है । वेब पेज HTML भाषा मे लिखा होता है जो कम्प्यूटर मे एक भाषा है। वेब ब्राउजर के साथ, कोई भी वेब पेज देख सकता है जिसमें text, चित्र, वीडियो और अन्य मल्टीमीडिया शामिल हो सकते हैं, और हाइपरलिंक्स के माध्यम से उनके बीच नेविगेट कर या जा सकते हैं । WWW एक विशाल सूचनाओं का डाटाबेस है तथा हर सुचना एक दूसरी सुचना से जुड़ी होती है ।

Q.6) वेब पता (Web Address) क्या है?

Ans:- एक वेब पता (Web Address) विभिन्न कंप्यूटरों और वेब साइट के सही स्थान के बीच डेटा स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल को निर्दिष्ट (specify) करत है । एक वेब पते को यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL) के रूप में भी जाना जाता है ।

Q.7) वेब ब्राउज़र (Web Browser) क्या है?

Ans:- वेब ब्राउज़र एक प्रोग्राम है जो आपको वेब पर विभिन्न संसाधनों को देखने और उनके साथ इंटरेक्ट करने में सक्षम बनाता है । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की वे software जिनके द्वारा हम कंप्यूटर या कम्प्यूटिंग डिवाइस पर इंटरनेट चला सकते हैं ।

Q.8) वेब पेज (Web Page) क्या है?

Ans:- एक वेब पेज, वेब पर Formatted Text Document है । जो इंटरनेट पर प्रयोग किए जा सकते है । इनको html या css कंप्यूटर लैंग्वेज का प्रयोग करके बनाए जाते हैं ।

Q.9) वेबसाइट (Website) क्या है?

Ans:- एक वेब साइट एक या अधिक वेब पेजों का संग्रह है जो एक साथ जुड़े हुए हैं और वेब सर्वर के माध्यम से उपलब्ध कराई गई हैं ।

Q.10नेटवर्किंग (Networking) के फायदे लिखें?

                                                          (V. Imp.)

Ans:- नेटवर्किंग (Networking) के फायदे इस प्रकार है:-

1) डाटा को शेयर करना (Data sharing):- नेटवर्क का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग डेटा को शेयर करना है। यूजर किसी भी text फाइल, दस्तावेज को, स्प्रेडशीट, audio files आदि को दूसरे यूजर के पास भेजा जा सकता है ।

2) हार्डवेयर को शेयर करना (Hardware sharing):- नेटवर्किंग के द्वारा हम हार्डवेयर जैसे कि प्रिंटर, स्कैनर आदि को भी शेयर कर सकता है । उदाहरण के लिए, प्रत्येक user के लिए 10 प्रिंटर खरीदने के बजाय एक प्रिंटर को खरीदा जा सकता है और कई users के बीच साझा किया जाता है जिससे लागत को बचाया जा सकता है ।

3) इंरनेट connection को शेयर करना (Internet Connection sharing):- आप एक इंटरनेट कनेक्शन खरीद सकते हैं और प्रत्येक कंप्यूटर के लिए कई इंटरनेट कनेक्शन खरीदने के बजाय नेटवर्क में अन्य कंप्यूटरों में इसे साझा कर सकते हैं । यह इंटरनेट कैफे ब्राउजिंग केंद्र, स्कूलों, कॉलेजों, कंपनियों आदि में बहुत सामान्य रूप से पाया जाता है ।

4) वेब आधारित एप्लीकेशन शेयर करना (Web Based Application sharing):- वेब ब्राउज़र, ईमेल क्लाइंट चैट एप्लिकेशन, ऑडियो और वीडियो कॉलिंग आदि जैसे नेटवर्क आधारित अनुप्रयोगों का उपयोग एक अन्य लाभ है ।

5) विश्वसनीयता (Reliability):- कंप्यूटर नेटवर्किंग बिना किसी बाधा के कामकाज के लिए सूचना का बैकअप सुनिश्चित करता है । तो आपको अब डिवाइस और उपकरण क्रैश होने पर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है ।

6) उच्च कनेक्टिविटी (High connectivity):- यह व्यक्तियों को जुड़े रहने की अनुमति देता है चाहे वे कहीं भी हों । वीडियो कॉलिंग ऐप्स और Google दस्तावेज़ों के आगमन के साथ, हम इस परीक्षण के समय में अपने दोस्तों और सहकर्मियों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं, इसके जीवंत उदाहरण देख सकते हैं ।

Q.11) ISP क्या होता है?

Ans:- ISP का पूरा नाम INTERNET SERVICE PROVIDER होता है । ISP एक संस्था है जो आपको डायल अप यानी Modem का उपयोग करके या प्रत्यक्ष या वायरलेस कनेक्शन के माध्यम से इंटरनेट तक पहुंच प्रदान करता है । इसके उदाहरण JIO, VODA, RELIENCE, TATA INDICOM, BSNL, AIRTEL, VIDEOCON, IDEA इत्यादि सभी ISP यानी Internet Service Provider है ।

Q.12) MODEM क्या होता है?

Ans:- MODEM का पूरा नाम MODULATOR \DEMODALATOR होता है । जब इंटरनेट को टेलीफोन लाइन के माध्यम से कनेक्ट करना होता है तब मोडम के आवश्यकता होती है । मॉडम Analog signal को digital signal मे बदलता है । मॉडेम के स्पीड को Bits/sec (Bps) में मापते है ।

Q.13) वायर्ड इंटरनेट कलक्टविटी (Wired internet connectivity) के कितने प्रकार होते है?

                                                           (V.Imp.)

Ans:- वायर्ड इंटरनेट कनक्टिविटी (Wired internet connectivity) के तीन प्रकार है जो इस प्रकार है:-

1) Dial-Up connection:- डायल अप लाइन टेलीफोन कनेक्शन से संबंधित है जो एक सिस्टम में बहुत सारे लाइनो तथा यूजरों से जुड़ा है । ब्रॉडबैंड ट्रैकिंग भी डायल अप कनेक्शन के द्वारा ही प्रयोग होता है । डायल-अप इंटरनेट एक्सेस इंटरनेट एक्सेस का एक रूप है जो इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) से कनेक्शन स्थापित करने के लिए सार्वजनिक स्विच किए गए टेलीफोन नेटवर्क (PSTN) की सुविधाओं का उपयोग करता है ।

2) DSL Connection:- DSL का पूरा नाम DIGITAL SUBSCRIBER LINE है । यह एक हाई SPEED इंटरनेट सेवा है जो केवल के माध्यम से internet की सुविधा प्रदान करता है ।

3) Cable Internet Access:- यह ब्राडबैंड इंटरनेट का एक रूप है जो केबल टीवी के बुनियादी ढांचे का उपयोग करता है । केवल इंटरनेट एक्सेस मौजूदा केबल टीवी नेटवर्क के माध्यम से प्रदान की जाती है । यह DSL के समान है जो मौजूदा टेलीफोन लाइनों पर प्रदान किया जाता है ।

Q.14) वायरलेस इंटरनेट कलक्टिविटी के कितने प्रकार होते है?                                     (V.Imp.)

Ans:- वायरलेस इंटरनेट कनक्टिविटी के तीन प्रकार है जो इस प्रकार है:-

1) Wi-Max connection:- इसका पूरा नाम Interoperability for Microwave Access होता है। यह एक डिजिटल वायरलेस संचार प्रणाली है। जो विभिन्न उपकरणों के माध्यम से शहरों और देशों में मोबाइल ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया। आमतौर पर इसका इस्तेमाल होता है जहां डीएसएल या केवल इंटरनेट एक्सेस का उपयोग नहीं किया जा सकता ।

2) 3G/4G connection:- इसका पूरा नाम 3rd generation/4th generation होता है । 3G/4G मोबाईल डिवाइस और मोबाईल दूरसंचार सेवाओं और नेटवर्क के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला  मानको का एक सेट है । यदि आपका फोन 3G/4G को स्पोर्ट करता है, तो आप अपने फोन पर उच्च गति Internet कनैक्शन प्राप्त कर सकते हो ।

3) WI-FI connection:- WiFi का पूरा नाम Wireless Fidelity होता है । एक लोकप्रिय तकनीक है जो की इलक्ट्रोनिक उपकरणों को बिना वायरलेस के computer और मोबाईल का डाटा नेटवर्क पर आदान प्रदान करने की अनुमति देता है । Wi-Fi कनेक्टिविटी का उपयोग हम ऑफिस, होटल, कॉलेज, स्कूल में internet को access करने के लिए करते हैं । इसका उपयोग वहा किया जाता है जहां नेटवर्क और इंटरनेट एक्सेस प्रदान करने के लिए केवल को नहीं लगया जा सकता है ।

 Q.15) Explain Wifi and its significance. (वाईफाई और इसके महत्व के बारे में बताएं ।)

Ans:- WiFi का पूरा नाम Wireless Fidelity होता है । एक लोकप्रिय तकनीक है जो की इलक्ट्रोनिक उपकरणों को बिना वायरलेस के computer और मोबाईल का डाटा नेटवर्क पर आदान प्रदान करने की अनुमति देता है । Wi-Fi कनेक्टिविटी का उपयोग हम ऑफिस, होटल, कॉलेज, स्कूल में internet को access करने के लिए करते हैं । इसका उपयोग वहा किया जाता है जहां नेटवर्क और इंटरनेट एक्सेस प्रदान करने के लिए केवल को नहीं लगया जा सकता है । वाई-फाई एक्सेस प्वाइंट के इर्द-गिर्द मौजूद मोबाइल फोनों को वायरलैस इंटरनेट उपलब्ध कराने का काम करता है ।

Q 16) इंटरनेट पर डाटा कैसे ट्रांसफर कर सकता है? 

Ans:- डेटा ट्रांसफर और इंटरनेट पर बात करने के बाद, क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के एक कोने में कैसे बैठे हैं, आपको कुछ सेकंड में दूसरे दूर क्षेत्र से जानकारी मिलती है । बहुत सरल भाषा में, देखते हैं कि डेटा के एक हिस्से का क्या होता है, एक वेब पेज कहें, जब इसे इंटरनेट पर स्थानांतरित किया जाता है:-

1) डेटा पैकेट नामक एक ही आकार के टुकड़ों में टूट जाता है ।

2) एक header प्रत्येक पैकेट में जोड़ दिया जाता है जिसमें बताया गया है कि डेटा कहाँ से आया है और कहां इसे जाना है और बाकी के पैकेट के साथ कहां फिट होना है ।

3) प्रत्येक पैकेट को कंप्यूटर से कंप्यूटर तक भेजा जाता है जब तक कि इसका गंतव्य (Destination) नहीं मिलता । रास्ते पर प्रत्येक कंप्यूटर यह तय करता है कि पैकेट भेजने के बाद सभी पैकेट एक ही मार्ग नहीं ले सकते ।

4) गंतव्य (Destionation) पर, पैकेट की जांच की जाती है यदि कोई पैकेट गायब हो या क्षतिग्रस्त हो, तो एक संदेश भेजा जाता है कि वह फिर से भेजा जाए । यह तब तक जारी रहता है जब तक सभी पैकेट सही प्राप्त नहीं हो जाते ।

5) पैकेट अब उनके मूल रूप में फिर से जोड़ा जाता है । यह सब सेकंड में किया । 

Q.17) P2P आर्किटेक्चर की व्याख्या करें और यह क्लाइंट सर्वर आर्किटेक्चर से कैसे अलग है? (Imp)

Ans:- P2P जिसका कि पूरा नाम Peer To Peer होता है । यह एक ऐसा नेटवर्क होता है जिसमें दो डिवाइस आपस में कनेक्ट होकर बिना किसी सेंट्रल सर्वर के डेटा या फाइल शेयर कर सकते हैं । P2P नेटवर्क में Peer यानि कि कंप्यूटर होते हैं जो आपस में इंटरनेट के जरिये एक दूसरे से जुड़े रहते हैं । P2P दो कंप्यूटर के बीच विकेन्द्रीकृत कम्युनिकेशन मॉडल है जो बिना केन्द्रीय सर्वर के भी एक दुसरे के साथ कम्युनिकेशन कर सकते हैं और डेटा शेयर कर सकते हैं । इसमें प्रत्येक कंप्यूटर सर्वर के रूप में ही कार्य करते हैं ।

P2P आर्किटेक्चर, क्लाइंट सर्वर आर्किटेक्चर से इस प्रकार अलग है:-

पीयर-टू-पीयर (P2P) नेटवर्क में क्लाइंट और सर्वर अलग-अलग नहीं होते हैं । क्लाइंट-सर्वर नेटवर्क में डेटा को स्टोर करने के लिए केंद्रीय सर्वर का उपयोग किया जाता है । जबकि पीयर-टू-पीयर (P2P) नेटवर्क में, प्रत्येक PEER का अपना डेटा होता है । क्लाइंट-सर्वर नेटवर्क सूचना सांझा करने पर केंद्रित है ।


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SESSION-3: INTRODUCTION TO INSTANT MESSAGING in hindi (CBSE)

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Q.1) Instant Messaging क्या होता है और इसके fatures क्या होते है?     (OR)

Give any three key features of Instant Messaging. 

Ans:- Instant Messaging internet के द्वारा बातचीत का माध्यम है जो हमारे मैसेज को internet के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह पहुँचता है । यह text पर आधारित मैसेज को भेज सकता है । बहुत सारे Instant Messaging softwere है जो हमारे फाइल को एक जगह से दूसरी जगह भेजते हैं । बातचीत करते है, और हम अपनी चीजों को share करते है । Instant Messaging के fatures इस प्रकार हैं:-

1) एक या एक से अधिक लोगो के पास हम text massege भेज सकते है ।

2) Audio कॉलिंग और कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं ।

3) Video कॉलिंग और कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं ।

4) file को भेज सकते है ।

5) Massege की History का पता लगा सकते हैं ।

Q.2) Instant Messaging सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते है ?               (OR)         (V.Imp.)

List any five Application based instant messaging software.    (OR) 

List any five Web based instant messaging software.  

Ans:- Instant Messaging सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते है जो इस प्रकार है:-

1) Appliation based instant messaging software:- Aplication के आधार पर Instant Messaging सॉफ्टवेयर को पहले डाउनलोड किया जाता है और उसके बाद यूजर के कंप्यूटर में उसे install किया जाता है । Aplication के आधार पर Instant Messaging के कुछ उदारहण इस प्रकार से है:- Skype, Windows live messenger,  Yahoo Messanger, Google talk, Whatsapp, Telegram, Rediff Bol इत्यादि ।

2) Web based instant messaging software:- Web के आधार पर Instant Messaging सॉफ्टवेयर को ब्राउजर (Internet Explorer, Mozilla Firefox, Google Chrome, etc) का उपयोग कर Access किया जा सकता है । Web के आधार पर Instant Messaging के कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं:- IMO, Facebook, Msn web Messenger, Gmail, Yahoo Messenger, Google talk, Meebo इत्यादि ।


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SESSION-4: CHATTING WITH A CONTACT -GOOGLE TALK in hindi (CBSE)

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Q.1) कुछ सामान्य नियमो के बारे में लिखो जिनसे चेटिंग का पालन किया जा सके?   (OR)

State any three rules and etiquettes to be followed while chatting on the Internet. 

Ans:- नियम इस प्रकार से है जिनसे पेंटिंग का पालन किया जा सकता है:-

1) Massage छोटा और सटीक होना चाहिए ।

2) अगर आपकी स्क्रीन पर आपका नाम नहीं है तो हमेशा पहले नाम से अपना परिचय दे ।

3) अपने massage को बड़े अक्षरों में लिखना अच्छा नहीं होता ।

4) यूजर को एक से ज्यादा लोगो के massage आ जाते है तो उसको उन सभी को समय निकल कर जवाब भेजना चाहिये ।

5) हमें यह पता होना चाहिये की हमें क्या बात करनी है । 

6) बातचीत को हमेशा अच्छे से समाप्त करना चाहिए ।

Q.2) What are the basic needs to use instant messaging (chat) software. (इंस्टेंट मैसेजिंग (चैट) सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए बुनियादी जरूरतें क्या हैं ।)

Ans:- इंस्टेंट मैसेजिंग (chat) सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए बुनियादी जरूरतें इस प्रकार है:- 

1) एक सक्रिय इंटरनेट कनेक्शन जिसके माध्यम से त्वरित संदेश भेजना संभव है ।

2) डाउनलोड किया जाने वाला चैट सॉफ्टवेयर जैसे:- वाट्सएप, स्काइप, वी चैट, वाइबर, टेलीग्राम, FB मैसेंजर, मीबो आदि हो सकता है ।

3) एक खाता खोला जाना और इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति के नाम पर उसका आवेदन हो ।

4) Instant messaging तकनीक एक तरह की ऑनलाइन चैट है जो इंटरनेट पर टेक्स्ट का रीयल-टाइम ट्रांसमिशन प्रदान करती है । यह आमतौर पर दो लोगों/व्यक्तियों के बीच प्रसारित होते हैं जिसमें प्रत्येक user ने एक विचार समाप्त करने का निर्णय लिया और फिर मेसेज "send" का चयन किया जाता है ।


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SESSION-5: CREATING AND PUBLISHING WEB PAGES-BLOG in hindi (CBSE)

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Q.1) Blog क्या होता हैं? 

Ans:- Blog तकनीकी और गैर तकनीकी यूजर के द्वारा बनाया गया अपना खुद का web page होता है । Blog user की एक निजी डायरी के सामान होता है और उसका वह आसानी से प्रयोग कर सकता है । Users घटनाओं, घोषणा, समाचार आदि के बारे में संदेश देने के लिए एक Blog का उपयोग कर सकते है । Blog को web ब्राउज़र के द्वारा ही उपयोग कर सकते है और इसके लिये इन्टरनेट connection की आवश्यकता होती है ।ब्लॉगिंग (Blogging) को 'Web Blog' के नाम से भी जाना जाता है । इंटरनेट पर अरबों Blogs मौजूद हैं । ब्लॉगिंग एक बहुत अच्छा ऑनलाइन माध्यम है जहां आप अपने विचारों, सुझावों और स्टोरी को भी ऑनलाइन लोगों के साथ शेयर कर सकते हो । इंटरनेट पर मौजूद अरबों Blog को पढ़कर आप यह जान सकते हैं कि दूसरे लोगों ने क्या प्रकाशित या Publish किया है । ब्लॉग एक प्रकार की वेबसाइट हैं जहां पर लोगों की प्रविष्टियों (entries) का संग्रह होता है । अधिकांश ब्लॉग किसी विषय अथवा Topic पर केंद्रित होते हैं । हालांकि अधिकांश ब्लॉग लोगों द्वारा लिखे गए विचार होते हैं, लेकिन कई ब्लॉग किसी विषय पर लोगों के विचार अथवा न्यूज उपलब्ध कराते हैं । आम ब्लॉग में Text, Image और दूसरे ब्लॉग के Links जुड़े रहते हैं । इंटरेक्टिव फार्मेट कई ब्लॉग का एक महत्त्वपूर्ण भाग होता है जहां पर लोग अपने कमेंट दे सकते हैं ।

Q.2) Blog का उद्देश्य क्या है?

Ans:- Blog का उद्देश्य एक उत्पाद या सेवा को बढ़ावा देने, सामाजिक मुद्दों के बारे मे जागरूकता लेखन के लिए किसी भी विषय की जानकारी देने के लिए होता है । आप इसे अपनी निजी डायरी के तौर पर भी प्रयोग कर सकते हो और अपने विचारो को लोगो के साथ शेयर कर सकते हो । 

Q.3) पांच वेबसाइटों के नाम जो मुफ्त में ब्लॉग सेवा उपलब्ध कराती है?

Ans:- इसके लिए कुछ Websites इस प्रकार हैं जो आपको free blogging की सुविधा उपलब्ध कराती हैं:- 

1) www.WordPress.com

2) www.blogger.com 

3) www.blog.com

4) www.weebly.com

5) www.blogsome.com

के6) www.wix.com

7) www.linkedin.com

8) www.medium.com

9) www.ghost.org

10) www.tumblr.com

11) www.joomla.org

12) www.jimdo.com

13) www.Strikingly.com

14) www.medium.com

15) www.site123.com

16) www.Squarespace.com

17) www.Write.as

18) www.drupal.org

19) www.Postach.Io

20) www.typepad.com

21) www.svbtle.com

Q.4) Blog account को बनाने के चरण लिखो ? 

Ans:- Blog account को बनाने के चरण इस प्रकार है:-

1) सबसे पहले वेद ब्रॉउजर को खोलगे ।

2) Address बार मे www.wordpress.com लिख कर enter key को दबा देंगे ।

3) Sign Up पर click करेगे ।

4) स्क्रीन पर पेज खुल जायेगा ।

5) इसमे यूजर नेम और यूजर प्रसवर्ड, ईमेल का address और भाषा लिखेगे ।

6) अब create blog नाम के बटन पर click करेगे ।

7) click करते ही आपका पेज तैयार हो जाएगा ।

Q.5) Blog post को बनाने के चरण लिखो ?

Ans:- Blog पोस्ट को बनाने के चरण इस प्रकार है:-

1) Blog site को open करेंगे । Blog site खुलने पर, Blog की विंडो मे New Post नाम के बटन पर Click करेगे ।

2) New post की विंडो खुल जाएगी । इसमे Post के बारे मे लिखो, जिस topic पर आप अपना Blog लिखना चाहते हो । 

3) Blog Post लिखने के बाद आप अब इसमे दिये गए Publish Post button पर click करेगे ।

4) Click करते ही Post Publish हो जायेगा ।

इस प्रकार आप अपने ब्लॉग बना सकते हो और उनको पब्लिश कर सकते हो ।

Q.6) Web page और Website में क्या अंतर है?

Ans:- Web page और Website में अंतर इस प्रकार है:-

1) वेब पेज HTTP के माध्यम से एक्सेस किया जाता है, जबकि वेबसाइट HTTP और DNS प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है ।

2) वेबपेज इंटरनैट पर एक अकेला दस्तावेज है । जबकि वेबसाइट कई सारे  वेब पजों को जोड़कर बनती है, जिसका एक डोमेन नाम होता है । 

3) एक से ज्यादा वेबपेज का Domain नाम एक हो सकता है परन्तु वेबसाइट का Domain नाम अलग अलग ही होता है ।

4) वेबपेज का URL वेबसाइट पर निर्भर होता है परन्तु वेबसाइट का URL वेबपेज पर निर्भर नहीं करता है ।

5) हर वेबसाइट का URL अलग अलग होता है परन्तु वेब पेज का URL वेबसाइट के URL पर निर्भर करता है ।

6) वेबपेज में एक ही जानकारी होती है जबकि वेबसाइट में कई संस्थाओ के बारे में जानकारी हो सकती है ।

7) वेब पेज को विकसित करने के लिए न्यूनतम समय लगता है परन्तु वेबसाइट के लिए अधिक समय लगता है ।

Q.7) एक ब्लॉग पोस्ट को publish करने से आपका क्या अभिप्राय है?

Ans:- Web publishing, या online publishing एक ऐसा process है जिसमें की Users अपने contents को Internet पर publish करते हैं । इसमें बहुत सी चीज़ें शामिल हैं जैसे की Websites को create करना और upload करना, WebPages को update करना और Blogs को online post करना इत्यादि । प्रकाशित सामग्री में पाठ, चित्र, वीडियो और अन्य प्रकार के मीडिया शामिल हो सकते हैं ।

वेब पर सामग्री प्रकाशित करने के लिए, आपको तीन चीजों की आवश्यकता होती है:-

1) Web Development Software

2) Internet Connection

3) Web Server


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SESSION-6: USING OFFLINE BLOG EDITORS in hindi (CBSE)

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Q.1) Offline Blog का उद्देश्य क्या होता हैं?

Ans:- Offline Blog का उद्देश्य किसी भी इंटरनेट कनेक्शन के बिना पोस्ट लिखने से होता है उसका उपयोग इंटरनेट के बिना पोस्ट ऑफलाइन लिखने के लिए उपयोग करते है ।

Q.2) उन वेब साईट के नाम बताओ जो हमे फ्री मे Offline Blog सेवा प्रदान करवाती है?

                                   (Or)

List any five offline blog editors.

Ans:- उन वेबसाईट के नाम निम्र प्रकार से है जो हमे फ्री मे Offline Blog सेवा प्रदान करवाती है जो इस प्रकार है:- 

1) Qumana

2) Windows live writer

3) Blogdesh

4) MarsEdit (Mac)

5) Ecto (Mac)

6) Blogjet

7) Bits (Mac)

8) Thingamablog

9) w.bloggar

10) Bleezer

11) Scribefire


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SESSION-7: ONLINE TRANSACTIONS in hindi (CBSE)

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Q.1) ऑनलाइन लेनदेन का उद्देश्य क्या होता है?

Ans:- ऑनलाइन लेनदेन का उद्देश्य घर बैठे लोगो तक सुविधा पहुंचना है । आज के समय मे आपको बहार जाने की जरुरत नहीं है । घर पर बैठे कर ही ऑनलाइन के द्वारा कुछ भी सामान खरीद सकते है।

Q.2) ऑनलाइन शॉपिंग क्या होती है?

Ans:- ऑनलाइन शॉपिंग एलेक्ट्रोनिक कॉमर्स का एक रूप है । जहाँ कस्टमर को इंटरनेट पर खरीद के लिए सुविधा उपलब्ध होती है । कस्टमर को विक्रता द्वारा पेस की गई वस्तुओं या सेवाओं को देखने के लिए एक इंटरनेट connection की आवश्यकता होती है । कस्टमर क्रेडिट और डेबिट कार्ड का उपयोग कर ऑनलाइन भुगतान कर सकते है । इसके लिए बहुत सी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स है जहा से आप अपनी पसंद कि वस्तुए खरीद सकते है जैसे:- Flipkart, Amezon, eBay, snapdeal, meeso इत्यादि ।

Q.3) फिल्पकार्ड का उपयोग कर ऑनलाइन लेनदेन की प्रक्रिया क्या है?

Ans:- फिल्पकार्ड का उपयोग कर ऑनलाइन लेनदेन कि प्रक्रिया इस प्रकार है:-

1) किसी भी वेब ब्राउजर को खोलगे ।

2) Address बार में WWW.FLIPKART.COM लिख कर Enter करे ।

3) स्क्रीन पर FLIPKART की विंडो खुल जाएगी ।

4) अब उसमे यूजर नाम और यूजर पासवर्ड लिखकर SIGN UP NOW बटन पर click कर देंगे ।

5) Click करते ही फ्लिपकार्ट का मेन पेज खुल जाएगा । 

6) अब हम कोई भी चीज खरीद सकते हैं ।

7) किसी भी सामान के ऊपर माऊस मे click करेंगे ।

8) Click करने के बाद BUY NOW का बटन आएगा उस पर click कर देंगे ।

9) फिर हम Cash on delivery पर क्लिक करेंगे ।

10) Click करने के बाद हमारा ऑनलाइन आर्डर बुक हो जाता है ।

Q.4) ऑनलाइन शॉपिंग किन स्थितियों में उपयोगी हो सकती है?

Ans:- ऑनलाइन शॉपिंग निम्न स्थितियों में उपयोगी हो सकती है:-

1) एक ग्राहक दुकानों की यात्रा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है ।

2) एक दुकान पर जाकर कोई उत्पाद ऑनलाइन खरीदने से ज्यादा महंगा है ।

3) एक उत्पाद या सेवा है कि स्थानीय बाजार में उपलब्ध नहीं है ऑनलाइन उपलब्ध है ।

Q.5) किसी भी पांच वेबसाइटों की सूची बनाओ जो ऑनलाइन लेन-देन की अनुमति दें?

Ans:- लोकप्रिय ऑनलाइन लेन-देन वेबसाइटों में से कुछ इस प्रकार हैं:-

1) IRCTC फ़्लाइट और ट्रेन टिकट बुकिंग के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल ।

2) Flipkart उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

3) eBay खरीदने और बेचने की वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल ।

4) Redbus बस टिकट बुकिंग के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल ।

5) Amazon उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

6) Snapdeal उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

7) Meeso उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

8) Ajio उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

9) Mantra उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

10) Bigbasket उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ।

Q.6) ऑनलाइन लेनदेन का उपयोग करने के लिए कोई तीन भुगतान उपकरण सूचीबद्ध करें । (List any three payment tools to use online transactions.)

Ans:- ऑनलाइन लेनदेन का उपयोग करने के लिए तीन भुगतान उपकरण इस प्रकार है:-

1) Debit Card

2) Credit Card

3) PayTm

4) Netbanking

5) Bhim App

6) Google Pay

7) PayPal 

8) WePay 

9) Amazon Pay 

10) RTGS/NEFT 

Q.7) ऑनलाइन लेनदेन के कोई दो लाभ लिखिए ।(Write any two benefits of online transactions.)

Ans:-1) वित्तीय लेन देन में आसानी:- डिजिटल पेमेंट सिस्टम के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि आपको कैश ढोने, प्लास्टिक कार्ड, बैंक या एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं है । खासतौर पर जब आप सफर में हों तो खर्च करने का यह सेफ और इजी विकल्प है ।

2) कम जोखिम:- क्रेडिट कार्ड या मोबाईल वालेट के गुम या चोरी होने पर इसे दूर से भी ब्लॉक करना मुश्किल नहीं है । नकदी मामले में यह नामुमकिन है । 

3) छोटी बचत:- यह आपको भले ही बहुत फायदेमंद न लगे लेकिन सच है कि उधार लेना बंद हो जायेगा । दूसरी बात यह है कि दुकानदार से वापसी में आपको समय खर्च नहीं करना पड़ेगा और आप ठीक उतने ही पैसे चुका पाएंगे, जितने का सामान या सेवा ली है ।

4) जल्दी पैसे का भुगतान:- इसके द्वारा हम पैसे का लेनदेन जल्दी कर सकते हैं । क्योंकि पैसा खाते से खाते में transfer होता है ।


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SESSION-8: INTERNET SECURITY in hindi (CBSE)

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Q.1) इंटरनेट सुरक्षा का क्या उद्देश है?

Ans:- इंटरनेट सुरक्षा व्यक्तिगत और व्यवसाय जानकारी की रक्षा करने के लिए आवश्यक है । इंटरनेट सुरक्षा का उपयोग हाई प्रोफाइल हमलो, हैकर्स, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी को कोई चूरा ना सके आदि से बचने के लिए करते है । अगर हमारे पास इंटरनेट सुरक्षा नहीं है तो कोई भी हमारे डाटा को चुरा सकता है ।

Q.2) इंटरनेट सुरक्षा क्या है?

Ans:- इंटरनेट सुरक्षा कंप्यूटर सुरक्षा की एक साखा है जो विशेष रूप से इंटरनेट से संबंधित है । इंटरनेट सुरक्षा का उदेशय नियमों और इंटरनेट पर हमलों के खिलाफ उपयोग करने के लिए उपायों की स्थापना करने से है। इंटरनेट सुरक्षा हमारी जानकारी को सुरक्षित रखता है ।

Q.3) मजबूत पासवर्ड क्या होता है?

Ans:- एक मजबूत पासवर्ड अल्फान्यूमेरिक और स्पेशल करेक्टर का सयोजन है जो हमे पासवर्ड को बनाने में मदद करता है जो जल्दी से चुराया न जा सके । हमारा पासवर्ड हमारी कोई भी अच्छी दोस्त, बाइक नंबर, मोबाइल नंबर, आदि नहीं होना चाहिए। ये पासवर्ड जल्दी से हैक हो जाते है । दो या तीन सप्ताह बाद पासवर्ड को बदलते रहना चाहिए ।

Q.4) मजबूत पॉसवर्ड को बनाने के दिशा-निर्देश क्या होंगे?

Ans:- मजबूत पॉवर्ड को बनाने के निर्देश निम्र प्रकार से है:-

1) पासवर्ड कम से कम 12 से 14 शब्दों का होना चाहिए ।

2) बड़े और छोटे शब्दों का उपयोग करे । 

3) पासवर्ड में नंबर और symbol भी होने चाहिए ।

4) एक पासवर्ड को एक से ज्यादा साईट पे नहीं लगाना चाहिए । 

5) पासवर्ड में एक नंबर या शब्दों को बार-बार नहीं लिखना चाहिए ।

Q.5) ऑनलाइन खतरों के विभिन्न प्रकार के बारे में बताएं । 

Ans:- ऑनलाइन खतरों के विभिन्न प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है:-

1) बॉटनेट्स (Botnets) ।

2) डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ़ सर्विस (DDoS) ।

3) हैकिंग (Hacking) ।

4) मैलवेयर (Malware) ।

5) Pharming (फार्मिंग) ।

6) फिशिंग (Phishing) ।

7) रैमसमवेयर (Ramsomware) ।

8) स्पैम (spam) ।

9) स्पाइवेयर (Spyware) ।

Q.6) विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन खतरों के बारे में बताओ?

Ans:- विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन खतरे निम्न प्रकार से हैं:-

1) Spyware:- स्पाइवेयर वो प्रोग्राम है जो आपकी जानकारी के बिना कंप्यूटर में Install हो रहे हैं वे चोरी से आपके वेब ब्राउजिंग की जानकारी भेज सकते हैं ।

2) Internet Scams:- ई-मेल के मध्यम से आपके पास कुछ आकर्षण ऑफर आते है । ऐसे ऑफर को कभी भी जवाब नहीं देना चाहिए क्योकि ये हमारी जानकारी को चुराने के लिए इंटरनेट के मध्यम से ई-मेल भजते है ।

3) Virus:- वायरस एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो की आपके कंप्यूटर पर डेटा या सॉफ्टवेयर को नुकसान या आपकी जानकारी की चोरी कर सकते है । वायरस अपने आप ही हमारे कंप्यूटर को हानि पहुंचा सकते है ।

4) THEFT:- कोई भी हमारे कंम्प्यूटर को चोरी कर उससे हमारे डेटा को चुरा सकता है और उस डेटा का गलत इस्तेमाल कर सकता है ।

5) ऑनलाइन शिकारी (PREDATORS):- ऑनलाइन विकारी ई-मेल का उपयोग करके अपने लक्ष्य तक पहुंचते है । आप और आपके परिवार के सदस्यों को ऑनलाइन शिकारी द्वारा निशाना बनाया जा सकते है ।

6) डेटा का दुर्घटनावश डिलीट हो जाना ।

Q.7) ऑनलाइन खतरों (THREATS) से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते है? 

Ans:- ऑनलाइन खतरों (Online Threats) से बचने के लिए उपाय निम्र प्रकार से है:-

1) एंटीवायरस सॉफ्टवयर का उपयोग करना ।

2) इंटरनेट के द्वारा सुरक्षित लेनदेन करना ।

3) इंटरनेट पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी कभी शेयर ना करे ।

4) सिर्फ सही वेबसाइट पर ही रजिस्टर करना चाहिए ।

5) ब्राउजर कूकीज़ का काम करने के बाद डिलीट कर देना चाहिए ।

6) फायरवॉल को इंस्टॉल करना चहिए ।

7) अज्ञात स्रोत से सोफ्टवेयर कभी इंस्टॉल नहीं करना चाहिए ।

8) किसी भी वेब साइट का यूजर नेम और पासवर्ड किसी को भी बताना नहीं चाहिए ।


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Session-9: Maintain Workplace Safety in hindi (CBSE)

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Q.1) Workplace Safety से आपका क्या मतलब है?

Ans:- Workplace Safety का मतलब उस जगह की safety या सुरक्षा से है जहा पर कर्मचारी / employee काम करते है । हम यह भी कह सकते है की किसी company का working environment वहां के Employee के लिय Safe, Healthy और Well being होना भी Workplace Safety में आता है । एक Safe और Healthy working environment हर Employee / कर्मचारी का अधिकार होता है जिसके कारण Employee बिना किसी डर और खतरे के काम करता है ।

Q.2) Hazards का क्या मतलब है?

Ans:- Hazard's का Simple meaning खतरा या जोखिम से है और यह किसी भी कारण से हो सकता है । वह कोई भी खतरा या जोखिम जिस से आपकी health / safety को कोई नुकसान पहुंचे वह Hazard कहलाता है । 

Q.3) Workplace safety में कोन-कौन से खतरे या जोखिम घटित हो सकते है?

Ans:- Workplace safety में निम्नलिखित खतरे या जोखिम घटित हो सकते है जो इस प्रकार है:-

1) Physical Hazards (शारीरिक जोखिम):- इस तरह के hazard physical environment से पैदा होते है जैसे की फर्श से फिसलना, दिवार और छत का गिरना ।

2) Electric Hazards (बिजली से खतरा):- Electricity यानी बिजली से पैदा होने वाले hazard या खतरे को Electrical Hazards कहा जाता है । जैसे की Electric Shock लगना Electric wire के संपर्क में आना या electric short circuit हो जाना ।

3) Fire Hazards (आग से खतरा):- Workplace में किसी भी तरह से आग लगना Fire Hazard यानी आग से खतरा कहलाता है । इसके कई कारण हो सकते है जैसे की electric short circuit, heating, flammable liquid (जवलनशील तरल) इत्यादि ।

4) Health Hazards (स्वास्थ्य संबंधी खतरे):- Health Hazards में worker / कर्मचारी की physical fitness आती है जैसे की किसी worker / कर्मचारी को physically problem यानी शारीरिक दिक्कत ना हो ।

Q.4) Workplace में First Aid (प्राथमिक चिकित्सा) का क्या प्रयोग है?

Ans:- किसी भी घायल या बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुँचाने से पहले उसकी जान बचाने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं उसे First Aid या प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं । उस आपातकाल में पड़े हुए व्यक्ति की जान बचाने के लिए हम आस-पास के किसी भी प्रकार की वस्तु का उपयोग कर सकते हैं जिससे जल्द से जल्द घायल या बीमार व्यक्ति आराम मिल सके और अस्पताल पहुंचाया जा सके ।


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Session 10: Prevent Accident & Emergencies in hindi (CBSE)

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Q.1) Accident / दुर्घटना से आपका क्या अभिप्राय है?

Ans:- कोई भी ऐसी घटना जो अचानक हो जाए या जिसके होने के बारे में हमे बिलकुल भी अंदाजा न हो और उस से हमे या हमारे सामान को नुकसान पहुंच जाए वह Accident / दुर्घटना कहलाती है  जैसे की कोई person / व्यक्ति अगर office में गिर जाता है तो उसे कही न कही चोट भी लगती है और उसके गिरने से कोई भी समान टूट सकता है जैसे की Table, Computer, Crockery इत्यादि ।

Q.2) Emergency का क्या मतलब है?

Ans:- ऐसी स्थिति या situation जो बहुत ज्यादा गंभीर हो और जिसमे हमें एक दम से कोई action लेने की जरूरत हो उसे Emergency कहा जाता है ।

Q.3) Workplace में होने वाले Common Accidents / सामान्य दुर्घटना के प्रकार के बारे में बताए ।

Ans:- Workplace में होने वाले Common Accidents / सामान्य दुर्घटना के प्रकार इस प्रकार है:-

1) Trip & Fall:- कई बार रास्ते में कोई सामान या केबल होने की वजह से हमारा पैर उसमे फस जाता है और हम गिर सकते है । गिरने से हमारी किसी भी body part को नुकसान पहुंच सकता है।

2) Slip & Fall:- Floor और stairs पर चलते हुए अगर हम अपने steps अच्छे से नहीं रख रहे तो भी फिसलने और गिरने का खतरा बना रहता है जिस से हमारे body part को नुक्सान हो सकता है ।

3) Escalator (चलती सीडी) / Elevators (लिफ्ट) लिफ्ट पर चड़ते और उतरते समय भी हमे सावधानी बरतनी चाहिऐ नहीं तो उस समय भी accident हो सकता है ।

Q.4) Workplace में Accidents / दुर्घटना को रोकने के लिय क्या करना चहिए?

Ans:- Workplace में accident को handle या control करने के लिय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है:-

1) सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए के सभी कर्मचारी सुरक्षा सावधानी के नियमो को अनुकरण / follow कर रहे है या नहीं । अगर कोई कर्मचारी सुरक्षा सावधानी के नियमो को अनुकरण / follow नहीं करता तो supervisor को inform करे ।

2) Accidents होने वाले सभी कारणों का पता लगाये और उन्हें दूर करे ।

3) Safety उपकरण workplace में होने चाहिए जैसे की Fire Exhaust, Gloves, First Aid kit इत्यादि ।

4) Accident injured होने वाले व्यक्ति को सबसे पहले first aid सहायता दे और उसे जल्दी से जल्दी hospital पहुंचाए ।

5) सभी कर्मचारियों को समय-समय पर safety tips और Accident की condition में बचने और सहायता करने की training देनी चाहिए ।

Q.5) Emergency के type के बारे में बताए?

Ans:- बहुत सारी ऐसी स्थिति होती है जिन्हें emergency माना जाता है और वही emergency की type इस प्रकार है:-

1) Earthquake (भूकंप):- भूकंप / भूचाल आना भी एक emergency situation या स्थिति है ।

2) Floods (बाढ):- ज्यादा बारिश होने से या कोई बांध या पुल टूट जाने से किसी इलाके में बहुत ज्यादा पानी भर जाता है वो भी emergency situation कहलाता है ।

3) Fire (आग):- Electric short circuit या किसी और कारण से किसी इमारत में आग लगने को भी emergency situation कहा जाता है

4) Terrorist Attack (आतंकवादी हमला):- आतंकवादी या किसी gang के हमले को भी emergency situation में गिना जाता है ।

Q.6) किसी organization में Emergency हालातों से निपटने के लिए पहले से क्या करना  चाहिए?

1) Organization के पास पहले से action plan होना चाहिए जिसे emergency situation में प्रयोग करके नुकसान होने से बचा सके ।

2) Organization में वो सभी equipment / समान होने चाहिए जिन्हें emergency situation में प्रयोग किया जा सके जैसे की fire-exhaust, first-aid kit, rope इत्यादि ।

3) External department के contact number और link होने चाहिए जिन्हें जल्दी से बुला कर situation पर काबू पाया जा सके जैसे की Police, Ambulance, Fire Brigade इत्यादि ।

4) हर organization में एक safety department होना चाहिए जो ऐसी condition में नुकसान होने से बचा सके ।


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Session 11: Protect Health & Safety at Work in hindi (CBSE)

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Q.1) सामान्य निकासी प्रक्रिया (General Evacuation Procedure) का क्या मतलब है? 

Ans:- किसी Emergency situation खतरे से बचने के लिये हम जो plan या रास्ता अपनाते है उसे सामान्य निकासी प्रक्रिया (General  Evacuation Procedure) कहा जाता है ।  सामान्य निकासी प्रक्रिया (General Evacuation procedure) में किसी organization के designated person वह सारे rules follow करते हैं जो emergency situation से बहार निकलने में मदद करते हैं ।

Q.2) Emergency situation से बचने के लिय किसी organization को क्या evacuation procedure follow करने चाहिए?

Ans:- Emergency situation से बचने के लिय किसी organization को निम्नलिखित evacuation procedure follow करने चाहिए । जो इस प्रकार है:-

1) हर organization में एक emergency exit map होना चाहिए जिसकी सहायता से खतरे वाली जगह से जल्दी बहार निकला जा सके ।

2) हर company में एक safety department और designated staff होना चाहिए जो नुकसान होने से बचा सके ।

3) External emergency services से easily contact होना चाहिए जैसे medical, fire brigade, police etc. जो समय पर आकर condition पर काबू पा सके ।

4) जरूरत पड़ने पर सारे plant या organization को shut-down कर देना चाहिए या electricity, gas, water supply बंद कर देनी चाहिए ।

5) First Aid kit हर organization में होनी चाहिए ।

6) Organization को अपने employee को समय समय पर emergency situation को संभालने की ट्रेनिंग देनी चाहिए ।

Q.3) Emergency situation को संभालने के लिय Employees/ कर्मचारियों को किन topies पर ट्रेनिंग देनी चाहिए?

Ans:- Emergency situation को संभालने के लिय Employees/ कर्मचारियों को निम्नलिखित topies पर ट्रेनिंग देनी चाहिए । जो इस प्रकार है:-

1) Emergency situation में हर employee को अपनी भूमिका और जिम्मेदारी (roles & responsibility) पता होनी चाहिए ।

2) खतरे और सुरक्षात्मक कार्य योजना  (Hazards and protective action plan) पता होना चाहिए ।

3) Warning और Communication procedure पता होना चाहिए ।

4) सभी employee को emergency equipment operate करने आने चाहिए जैसे की fire exhaust इत्यादि ।

5) Emergency shutdown procedure का भी पता होना चाहिए ।

Q.4) Workplace में Fire Hazards के क्या कारण हो सकते है?

Ans:- workplace में Fire Hazard के कई कारण हो सकते है जिनमें से कुछ मुख्य कारण निचे दिए गए है जो इस प्रकार है:-

1) Electrical Short Circuit:- Fire Hazard सबसे common reason बिजली के short circuit होते है । Short circuit से आग की चिंगारिया निकलती है जो बाद में भयानक आग में बदल जाती है ।

2) Flammable Material (ज्वलनशील प्रदार्थ):- Flammable material भी आग लगने का सबसे बड़ा कारण है जैसे की पेट्रोल, डीजल और गैस के leak होने से भी आग लग सकती है ।

3) Combustible Material (दहनशील सामग्री):- अगर organization में कोयले जैसा कोई material पड़ा है तो भी आग लगने का खतरा बना रहता है ।

Q.5) Fire Hazards से बचने के लिय क्या 2 करना चाहिए?

Ans:- Fire Hazards से बचने के लिय जो करना चाहिए वह इस प्रकार है:-

1) Fire Exhaust:- सभी organization में fire exhaust होने चाहिए, जिसके उसे से आग को बड़ने से रोका जा सकता है ।

2) Proper Wiring:- Electricity wiring proper और बढ़िया quality की wire उसे करनी चाहिए ।

3) Safe Storage Material:- पेट्रोल डीजल और gas जैसे material को ऐसी जगह store करना चाहिए जहा आग लगने या उनके फैलने का खतरा कम हो ।

Q.6) Electrical Hazards से बचने के लिए क्या क्या करना चाहिए?

Ans:- Electrical Hazards से बचने के लिय निनिम्लिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है:-

1) बिजली का कोई भी काम करने से पहले main power switch को off कर लेना चाहिए ।

2) ध्यान रहे आपके हाथ और पैर बिलकुल सूखे होने चाहिए ।

3) हाथों में gloves और पैरो में shoes पहने होने चाहिए ।

4) Non-conductive ISI tools का ही use करना चाहिए जैसे की plier screw driver इत्यादि ।

5) Heat Surface वाले material से alert रहना चाहिए । 

6) High Voltage वाली जगह पर alert poster लगाने चाहिए ।

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Thanks for read my Blog || राज रंगा

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