11th-IT-CBSE-Unit-1- Session:-1 कंप्यूटर के मूल सिद्धांत (Fundamentals of computer) - IT/ITes-NSQF & GK

11th-IT-CBSE-Unit-1- Session:-1 कंप्यूटर के मूल सिद्धांत (Fundamentals of computer)

नमस्कार आप सभी का हमारी वेबसाइट https://raazranga.blogspot.com पर स्वागत हैं, आज हम इस पोस्ट के माध्यम से || 11th-IT-CBSE-Unit-1- Session:-1 कंप्यूटर के मूल सिद्धांत (Fundamentals of Computer) के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे ।

Session-1:- कंप्यूटर के मूल सिद्धांत (Fundamentals of computer)

परिचय (Introduction):-

                                 आज की दुनिया में हम देख सकते हैं कि हमारा लगभग सारा काम कंप्यूटर की मदद से हो रहा है । कंप्यूटर के अनुप्रयोग आजकल हर विद्युत उपकरण में देखे जा सकते हैं चाहे वह टेलीविजन हो, वाशिंग मशीन हो, घड़ियां हों, मोबाइल फोन हों और सूची अंतहीन है। उपयोग और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कई गुना बढ़ गया है । यह सब इन उपकरणों के साथ हमें मिलने वाली आसानी और सटीकता के कारण संभव है। जीवन ने तेज रफ्तार पकड़ ली है और इन मशीनों की मदद से दूरियों को शायद ही कोई फर्क पड़ता है । आइए इस अध्याय में कंप्यूटर की मूल बातों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। कंप्यूटर का विकास कंप्यूटर उद्योग का विकास तेजी से गणना करने की आवश्यकता के साथ शुरू हुआ । कंप्यूटिंग की सरल विधि धीमी थी और त्रुटियों की संभावना थी । इसलिए तेजी से गणना करने वाले उपकरणों को विकसित करने का प्रयास किया गया । पहले कैलकुलेटिंग डिवाइस यानी अबेकस (Abacus) से शुरू हुई यात्रा ने आज हमें बेहद हाई स्पीड कैलकुलेटिंग डिवाइसेज तक पहुंचा दिया है ।कंप्यूटर शब्द 'गणना' शब्द से बना है जिसका अर्थ है गणना करना । कंप्यूटर उपयोगकर्ता से इनपुट लेता है, उसे प्रोसेस करता है और आउटपुट प्रदर्शित करता है । यह एक उपकरण है जो निर्देशों के एक सेट पर काम करता है। यह उपयोगकर्ता से इनपुट लेता है, निर्देशों के सेट के अनुसार इनपुट को प्रोसेस करता है और आउटपुट देता है । कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल पर काम करता है । ऑन और ऑफ सिग्नल क्रमशः 1 और 0 को दर्शाते हैं । बाइनरी भाषा, जिसे मशीनी भाषा भी कहा जाता है, दो अंकों 0 और 1 पर काम करती है । पहले कंप्यूटर विशेषज्ञ बाइनरी भाषा में ही काम करते थे और निर्देश देते थे । इन वर्षों में, सरल अंग्रेजी शब्दों के समान कई उपयोगकर्ता के अनुकूल भाषाएं विकसित हुई हैं और प्रत्येक कंप्यूटर प्रोग्रामर को बाइनरी भाषा में सीखने और निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है । कई उपयोगकर्ता के अनुकूल भाषाएं विकसित की गई हैं जैसे C, C ++, Java, JavaScript, Python और कई अन्य । इन भाषाओं को उच्च स्तरीय भाषाओं के रूप में जाना जाता है । उच्च स्तरीय भाषाओं में दिए गए कमांड को अनुवादकों की मदद से बाइनरी भाषा में बदलने की जरूरत है ।यह सब मोटे तौर पर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के रूप में वर्गीकृत कंप्यूटर के घटकों के प्रभावी समन्वय द्वारा प्राप्त किया जाता है । हार्डवेयर शब्द कंप्यूटर के वास्तविक घटकों को संदर्भित करता है जिसे हम कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर की तरह छू सकते हैं और महसूस कर सकते हैं । हालाँकि सॉफ़्टवेयर शब्द निर्देशों के एक सेट को संदर्भित करता है और अमूर्त है । सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण ऑपरेटिंग सिस्टम, वर्ड प्रोसेसर, स्प्रेडशीट, ऑनलाइन कैलकुलेटर आदि हैं ।उपयोगकर्ता द्वारा मशीन को दिए गए डेटा और / या निर्देशों को इनपुट कहा जाता है और डेटा को संसाधित करने के बाद मशीन द्वारा उत्पन्न परिणाम आउटपुट होता है ।



Characterstics of Computer System (कंप्यूटर सिस्टम की विशेषताए):-

                   इसकी बहुत सी विशेषताए भी होती हैं । हम जानते हैं कि जब किसी चीज में कुछ विशेषताएं या गुण होते हैं तब उसे महत्वपूर्ण एवं उपयोगी बनने में देर नहीं लगती । ऐसी ही कुछ विशेषताएं Computer में भी हैं, जिन्होंने Computer को इतना महत्वपूर्ण और उपयोगी बनाया है आइये कंप्यूटर की विशेषताओ का विस्तार से वर्णन करते हैं जो इस प्रकार हैं:-

1) Fast Speed (तेज गति):-

                            कंप्यूटर की fast speed होना इसकी मुख्य विशेषता है । कंप्यूटर एक मशीन होने के कारण Fast Speed से Calculations तथा Logical operations करता है ।  यूं तो अलग-अलग प्रकार के Computers की Speed अलग-अलग होती है फिर भी एक कम्प्यूटर एक सेकण्ड में कुछ लाख लेकर कुछ करोड़ तक गणनाएं कर सकता है । कम्प्यूटर की Speed को Mega operations per Second की इकाई में नापा जाता है, उदाहरण के लिए किसी Computer की Speed 3 Mega operation per second है तो इसका अर्थ होगा कि वह कम्प्यूटर एक सेकण्ड में 30 लाख सरल Calculations कर सकता है, टेक्नोलॉजी में सुधार करके Computer की Speed बढ़ाई जा सकती है ।

2) Accuracy (शुद्धता):-

                              Computer की अगली विषेशता, इसका किसी भी काम का बिल्कुल Accuracy यानी शुद्धता के साथ करना है । कम्प्यूटर एक मशीन है और एक मशीन होने के नाते वह स्वयं कोई भी कार्य नहीं कर सकता, कम्प्यूटर केवल उन्ही निर्देशों या instruc tions का पालन करता जो उसे प्रोग्राम के रूप में दी गयी हैं, निर्देशों के पालन में Computer कभी भी कोई लापरवाही नहीं करता जिससे उसके किसी भी काम में कभी भी कोई त्रुटि या error नहीं होती, क्योंकि सभी मशीनों की तरह computer की कोई व्यक्गित इच्छा या मरजी नहीं होती, लेकिन हम सुनते आयें हैं कि कम्प्यूटर ने गलत marksheet बना दी या बिजली को Bill गलत बना दिया, वास्तव में यहां गलती Computer की नहीं बल्कि उस प्रोग्रामर या आपरेटर की होती है जिसने कम्प्यूटर को गलत प्रोग्राम या डेटा दिया है । इस प्रकार कहा जा सकता है कि Computer से होने वाले किसी भी काम में त्रुटि या error होने की कोई संभावना नहीं होती बशर्ते उसे सही Program तथा Data दिया जाये ।

3) Huge Storage Capacity (विशाल भंडारण क्षमता):- 

                             कंप्यूटर में डेटा और सूचनाओं को संग्रहीत करने के लिए बहुत बड़ी भंडारण क्षमता होती है जो हम कंप्यूटर को देते हैं । कंप्यूटर मे सारा डाटा और इन्फॉर्मेशन इसकी HDD या SSD मे स्टोर होता हैं । इसमे हम बहुत बड़ी मात्रा मे डाटा को स्टोर करके रख सकते है । इसमे files, audio, Video, graphical data को बड़ी मात्रा मे स्टोर किया जा सकता है । इसमे डाटा storage के लिये storage space G etc मे हो सकता है और जरुरत के अनुशार और भी बढ़ाया जा सकता है ।

4) Versatility (बहुमुखी प्रतिभा यानि एक साथ बहुत से काम करने की क्षमता):-

कंप्यूटर एक बहुमुखी मशीन है । यह एक समय में एक से अधिक कार्य कर सकता है । जैसे हम एक साथ songs सुन सकते है और उसी टाईम पर हम फ़ाईल पर काम कर सकते हैं या गेम खेल सकते है या वीडियो देख सकते हैं इत्यादी । Computer पर सभी काम साथ-साथ होते रहेंगे । 

5) Deligience (उधम या परिश्रम):-              

                          कंप्यूटर इंसानों की तरह थकता या पीड़ित नहीं होता है । जब हम या user कंप्यूटर पर काम करते है तो लगातार काम करते करते एक समय ऐसा आएगा की user को आराम की जरुरत होगी । लेकिन वही कंप्यूटर सिस्टम को किसी प्रकार के आराम की जरुरत नही होती हैं । कंप्यूटर सिस्टम लगातार घंटो, दिनो, सालो कार्य कर सकते हैं । यह बिना थके लगातार काम कर सकते हैं ।

6) Automation (स्वचालित):-

                         कम्प्यूटर पूर्णतः स्वचालित मशीन है। एक बार उसे निर्देश दिया जाता है । यह स्वचालित रूप से आगे काम करता है । जब user इस पर काम करता है तो वह इसे Instruction देता है, जैसे-जैसे user instructions देता जाता है यह अपने आप काम करता जाता है । 

7) No Intelligent (स्वयं बुद्धिमान नही):-

                   Computer system एक मशीन है, उसका अपनी कोई बुद्धि नही होती हैं । कहने का मतबल हैं कि कंप्यूटर अपने आप मे बुद्धिमान नही है । इसको user के द्वारा जो instructions दी जाती है उसके अनुरुप ही यह कार्य करता है । यह Computer के GIGO Concept पर कार्य करता है जिसका अर्थ है गर्बेज इन गर्बेज आउट मतलब अगर आप कंप्यूटर गलत डाटा एंटर करोगे तो आपको परिणाम भी गलत ही प्राप्त होगा । 

8) No Feelings (भावना रहित):-

                            कंप्यूटर की अपनी कोई feelings नही होती है । यह केवल एक मशीन है जो केवल इसको दिए गये Instructions के अनुरुप कार्य करता हैं । इसमे खुद की कोई सोचने समझने की शक्ति नही होती है ।

9) Use of Machine Language (मशीनी भाषा का प्रयोग):- 

                        कंप्यूटर एक मशीन है जिसकी अपनी एक भाषा है जिसके द्वारा यह instructions को समझता है और उन पर काम करता है । इसकी भाषा मशीनी भाषा या Binary language है । Binary language मे केवल दो अंक 0 और 1 होते है । कंप्यूटर सभी instructions को इसी भाषा मे समझता है ।

10) Secrecy (गोपनीयता):- 

                               पासवर्ड सुरक्षा (Password Protection) के साथ लॉगिन सिस्टम (Log In System) बनाकर सूचना का रिसाव कम किया जाता है, उदाहरण के लिए ATM Counter, E-Mail, Login Password आदि ।

11) Plug and Play:-

                           यह भी कंप्यूटर सिस्टम की मुख्य विशेषता है जिसमे हम जब भी कोई डिवाइस कंप्यूटर के साथ जोडते है तो वह डिवाइस अपने आप play हो जाती है ।


कंप्यूटर के अवयव (Components of a Computer):-

                        कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संयोजन है । हार्डवेयर कंप्यूटर के भौतिक घटक हैं जैसे मदरबोर्ड, मेमोरी डिवाइस, मॉनिटर, कीबोर्ड आदि जबकि सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या निर्देशों का सेट है । हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों मिलकर कंप्यूटर सिस्टम को काम करते हैं । कंप्यूटर को पूरा किया गया कार्य Input- Process-Output (IPO Cycle) का फॉलोअप है । इसे कुछ इनपुट की आवश्यकता होती है, उस इनपुट को प्रोसेस करता है और वांछित आउटपुट का उत्पादन करता है । इनपुट यूनिट इनपुट लेती है, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट डेटा की प्रोसेसिंग करती है और आउटपुट यूनिट आउटपुट का उत्पादन करती है । मेमोरी यूनिट प्रोसेसिंग के दौरान डेटा और निर्देश रखती है । आइए हम प्रत्येक घटक और उसकी कार्यक्षमता पर चर्चा करें:-

Input:-

                प्रक्रिया शुरू करने के लिए, कंप्यूटर को हल की जाने वाली समस्या के बारे में बताया जाना चाहिए । इस उद्देश्य के लिए, इनपुट उपकरणों जैसे कीबोर्ड और माउस के माध्यम से निर्देशों और डेटा का एक सेट प्रदान किया जाता है । किसी कार्य को करने के लिए कंप्यूटर को दिए गए निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है ।

Storage:-

                    कंप्यूटर स्टोरेज डिवाइस मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं:-

I) Primary Memory:- प्राथमिक मेमोरी में संग्रहीत डेटा CPU द्वारा सीधे पहुंच योग्य होता है । उपरोक्त चरणों में प्राप्त इनपुट को कंप्यूटर मेमोरी में संग्रहीत किया जाता है, जिसे Random Access Memory (RAM) कहा जाता है । सेकेंडरी स्टोरेज की तुलना में यह स्टोरेज अपेक्षाकृत तेज और महंगा है । Primary Memory सीधे CPU से जुड़ी होती है । इसे मशीन की मुख्य मेमोरी, प्राइमरी मेमोरी या वर्किंग मेमोरी भी कहा जाता है । प्राइमरी मेमोरी दो प्रकार की होती है:- 

i) RAM  

ii)ROM 

i) RAM (Random Access Memory):- यह एक प्राइमरी वोलेटाइल मेमोरी है यानी बिजली की आपूर्ति बंद होने के बाद इसका डेटा खो जाता है ।RAM दो प्रकार की होती है:- DRAM (Dynamic Random Access Memory) और SRAM (Static Random Access Memory) ।

ii) ROM (Read only Memory):- यह आमतौर पर कंप्यूटर के स्टार्टअप संचालन में प्रयोग किया जाता है। यह एक गैर-वाष्पशील प्राथमिक मेमोरी है । इसके अलावा इसे इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:- 

ROM:- Read Only Memory 

PROM:- Programmable Read only Memory

EPROM:- Erasable Programmable Read only Memory

EEPROM:- Electrically Erasable Programmable Read only Memory

II) Secondary Storage:- जो मेमोरी कंप्यूटर सिस्टम के बाहर होती है वह सेकेंडरी स्टोरेज बनाती है, उदाहरण के लिए the magnetic tapes, compact disks, pen drives सभी सेकेंडरी स्टोरेज के उदाहरण हैं । ये सीधे CPU से नहीं जुड़े होते हैं । सभी इनपुट, गणना के मध्यवर्ती परिणाम, और अंतिम परिणाम कंप्यूटर की मेमोरी में संग्रहीत होते हैं । कंप्यूटर में मेमोरी का एक अन्य रूप भी होता है जिसे सेकेंडरी मेमोरी कहा जाता है । वर्तमान में आवश्यक प्रोग्राम और डेटा को सेकेंडरी मेमोरी में स्टोर किया जाता है । यह HDD, Pen Drive और CD-ROM जैसे रूपों में आता है। जब आवश्यक हो, प्रसंस्करण के लिए, इन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है और कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी में स्थानांतरित किया जा सकता है, प्रसंस्करण: उपयोगकर्ता द्वारा प्रदान किए गए इनपुट को निर्दिष्ट निर्देशों के अनुसार केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई द्वारा संसाधित किया जाता है। प्रसंस्करण का परिणाम तब या तो आउटपुट डिवाइस या स्टोरेज के लिए मेमोरी लोकेशन पर निर्देशित किया जाता है ।

Cache Memory:- यह एक बहुत ही उच्च गति की मेमोरी है जिसका उपयोग सीपीयू की उच्च गति से निपटने के लिए किया जाता है । इसे आम तौर पर सीपीयू और प्राइमरी मेमोरी के बीच रखा जाता है और बफर के रूप में कार्य करता है । यह मुख्य मेमोरी से डेटा तक औसत पहुंच समय को कम करता है और तुलनात्मक रूप से महंगा है ।

Control Unit:- कंप्यूटर की विभिन्न इकाइयों के बीच समन्वय के लिए जिम्मेदार है । यह इनपुट, प्रोसेसिंग और आउटपुट संचालन को नियंत्रित करता है । उदाहरण के लिए, यह इनपुट को स्वीकार करने या आउटपुट प्रदर्शित करने के लिए परिधीय उपकरणों के साथ समन्वय करता है । यह सभी कार्यों के प्रबंधक की तरह है । जिस तरीके से प्रोग्राम को क्रियान्वित किया जाना है उसका प्रबंधन कंप्यूटर की नियंत्रण इकाई द्वारा किया जाता है । इसमें वह पता तय करना शामिल है जिससे निर्देशों को निष्पादित किया जाना है, स्मृति स्थान जहां डेटा या मध्यवर्ती परिणाम संग्रहीत किया जाना है, आदि ।

ALU-(Arithmetic Logic Unit):- डेटा के वास्तविक प्रसंस्करण के लिए जिम्मेदार है । यह स्टोरेज यूनिट से डेटा को पुनः प्राप्त करता है और उन पर अंकगणितीय गणना या तुलना करता है और संसाधित डेटा को स्टोरेज में वापस भेज दिया जाता है ।

Output:- कंप्यूटर द्वारा किए गए प्रसंस्करण का परिणाम अक्सर डिस्प्ले डिवाइस जैसे मॉनिटर या प्रिंटर को निर्देशित किया जाता है । उपकरणों के अन्य रूप असामान्य नहीं हैं, उदाहरण के लिए, कंप्यूटर संगीत या वीडियो आउटपुट कर सकता है इनपुट यूनिट डेटा प्राप्त करता है, जो मुख्य मेमोरी में संग्रहीत होता है, जहां से इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और बाद में आउटपुट डिवाइस में स्थानांतरित किया जाता है । सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) के दो मॉड्यूल हैं:- ALU-Arithmatic & Logic Unit और CU-Control Unit । यह समय पर सिग्नल जारी करके मेमोरी और ALU के बीच समन्वय भी करता है । जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, Storage Unit में Primary Storage और Secondary Storage होता है ।

BLOCK DIAGRAM OF COMPUTER 


कंप्यूटर के अंदर (Inside the Computer):-

Computer को सामान्य रूप से PC के रूप में जाना जाता है, Laptop (जिसे नोटबुक भी कहा जाता है) - एक छोटा कंप्यूटर जो आसानी से आपकी गोद में रखा जा सकता है, टैबलेट- एक हैंडबुक के आकार का एक हल्का कंप्यूटर अक्सर इंटरनेट पर काम करने के लिए उपयोग किया जाता है। अगर हम पर्सनल कंप्यूटर को बाहर से देखें तो यह एक बॉक्स जो सीपीयू कहलाता है जिसमें सीपीयू और हार्ड डिस्क, कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर और स्पीकर होते हैं । कीबोर्ड, माउस, स्पीकर, प्रिंटर और अन्य अटैचमेंट जैसे- स्कैनर पेरिफेरल्स का निर्माण करते हैं । कंप्यूटर में प्रमुख कार्यक्षमता प्रोसेसिंग यूनिट में की जाती है । प्रोसेसिंग यूनिट इनपुट लेती है और उस इनपुट के लिए निर्देशों के सेट के माध्यम से इसे प्रोसेस करती है और अंत में यह आउटपुट यूनिट को परिणाम देती है ।

   Thanks for read my Blog || राज रंगा    









Computer's Motherboard and Its components/Parts

Computer's Cables and Connectors (कंप्यूटर के केबल और कनेक्टर )


Computer & History of Computer Evolution (कंप्यूटर और कंप्यूटर के विकास का इतिहास)

Files and types of files(फ़ाईल और फ़ाईलो के प्रकार)



Secondary Storage Memory Devices ( दिवितीय स्टोरज मैमोरी डिवाइसज)

Components of Computer Hardware and Software (कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के घटक)

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